• ABOUT US
  • DISCLAIMER
  • PRIVACY POLICY
  • TERMS & CONDITION
  • CONTACT US
  • ADVERTISE WITH US
  • तेज़ समाचार मराठी
Tezsamachar
  • Home
  • देश
  • दुनिया
  • प्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाईफस्टाईल
  • विविधा
No Result
View All Result
  • Home
  • देश
  • दुनिया
  • प्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाईफस्टाईल
  • विविधा
No Result
View All Result
Tezsamachar
No Result
View All Result

गुलशन कुमार की हत्या की कहानी

Tez Samachar by Tez Samachar
August 13, 2019
in Featured, विविधा
0
gulshan kumar
sudhanshu taak80 का दशक । उस दौर के गाने आज भी लोगों की ज़ुबान पर रहते हैं, जिन्हे कोई भी भुला नहीं पाया। जिसका कारण था कैसेट युग । इस कैसेट युग की शुरुआत की थी गुलशन कुमार ने । इसलिए उन्हे कैसेट किंग कहा जाता है।
1978 में आई डॉन फिल्म ने हिंदुस्तान को बेहतरीन गानों के अलावा एक और ज़रूरी चीज़ हिंदी सिनेमा को दी और वह था कैसेट रिवोल्यूशन । “डॉन” हिंदी सिनेमा की ऐसी शुरुआती फिल्मों में से थी जिसके ऑडियो कैसेट बड़ी संख्या में बिके। इससे पहले गोल चक्के वाले रिकार्ड बिका करते थे, जो उस ज़माने में काफी महंगे हुआ करते थे और आम आदमी से काफी दूर थे।
इस बदलाव ने म्युज़िक इंडस्ट्री और हिंदी सिनेमा को बदल कर रख दिया। म्यूज़िक इंडस्ट्री का रिकॉर्ड से कैसेट पर शिफ्ट होना सिर्फ टेक्नॉल्जी के स्तर पर बदलाव नहीं था। कैसेट में घर में ही गाने रिकॉर्ड करने और उन्हें इरेज कर के फिर से गाने भरने की सुविधा थी। गुलशन कुमार ने इसका फायदा उठाया और लोगों को कैसेट मुहैया कराई । 5 मई 1956 को जन्मे राजधानी दिल्ली के दरियागंज में जन्में गुलशन कुमार दुआ ने खुद भी कभी नहीं सोचा होगा कि वह एक दिन संगीत की दुनिया के बेताज़ बादशाह बन जाएंगे। दरियागंज के इस पंजाबी लड़के ने हिंदुस्तान की म्यूजिक इंडस्ट्री का सबसे बड़ा नाम बना ।
गुलशन कुमार का काम करने का एक ही उसूल था और वह था कि वह सिर्फ नए लोगों को ही मौका देते थे। एक बार कोई भी सिंगर या म्युज़िक डायरेक्टर बड़ा बन गया उसका करियर स्थापित हो गया तो वह फिर उसके साथ काम नहीं करते थे और फिर नए टेलेंट की तलाश में निकल जाते ।
कुछ ऐसा ही उन्होने नदीम- श्रवण के साथ किया । फिल्म आशिकी में अपना संगीत देने के बाद नदीम- श्रवण इंडस्ट्री में स्थापित हो गए थे लेकिन उनकी दोस्ती गुलशन कुमार के काफी अच्छी थी । इस बीच नदीम- श्रवण ने एक म्युजिक एल्बम बनाया जिसके कुछ गाने खुद नदीम ने गाए थे, और वह गुलशन कुमार से उनके गाने का प्रमोशन करवाना चाहते थे । गुलशन कुमार को पता था कि नदीम अच्छे संगीतकार तो हैं लेकिन गाना उनके बस की बात नहीं , फिर भी दोस्ती के कारण उन्होने नदीम के कुछ गाने प्रमोट भी किए , लेकिन नदीम के गाने पिट गए । जिसके बाद गुलशन कुमार ने उनके गाने प्रमोट करने से मना कर दिया।
नदीम को लगा की गुलशन, उनका करियर खत्म करना चाहते हैं। इसलिए उन्होने अबु सलेम को फोन कर उन्हे धमकाने की बात कही। अबु सलेम ने इससे पहले ही गुलशन कुमार से एक्सटॉर्शन मनी ली थी । जिसके बाद एक बार फिर अबु सलेम ने गुलशन कुमार को फोन लगाया और फिर से एक्सटॉर्शन मनी मांगी जिसके बाद गुलशन कुमार ने मना कर दिया इसी के साथ अबु सलेम ने उन्हे नदीम के साथ काम करने को कहा। जिस पर गुलशन कुमार ने कहा कि नदीम अगर खुद गाना गाएंगे तो उनके गाने नहीं चल पाएंगे। एक्सटॉर्शन मनी न देने और नदीम के साथ काम न करने को लेकर फिर उन्हे सजा मिली ।
यह वह दौर था जब सरकारी संरक्षण के चलते मुस्लिम अंडरवर्ल्ड ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को अपने चंगुल में ले लिया था । गुलशन कुमार बॉलीवुड एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो हिंदू देवी देवताओं और उनके भजनों को खुलकर प्रमोट करते थे। वैष्णो देवी में उनके द्वारा पूरे साल श्रद्धालुओं हेतु भंडारा चलता था (यह आज भी चलता है)। साथ ही हिंदी फिल्म म्यूजिक इंडस्ट्री की 65 परसेंट हिस्सेदारी पर उनका कब्जा था । मुस्लिम अंडरवर्ल्ड की आंख में कट्टर हिन्दू गुलशन कुमार लंबे समय से खटक रहे थे और नदीम के साथ हुए विवाद में अंडरवर्ल्ड को मौका दे दिया कि गुलशन कुमार को निपटा दिया जाए।
तारीख आयी 12 अगस्त 1997 । उस दिन सुबह 7:00 बजे गुलशन कुमार ने अपने मित्र फिल्म निर्माता जामू सुगंध को फोन किया कि “मैं मंदिर जाकर एक मीटिंग करूंगा । उसके पश्चात तुमसे मिलने आऊंगा ।” लेकिन सुबह 10.30 बजे मुंबई के अंधेरी इलाके में स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गुलशन कुमार की जघन्य हत्या कर दी गई । उनके शरीर मे 17 गोलियां मारी गयी।
इस सनसनीखेज हत्या के बाद मुस्लिम अंडरवर्ल्ड के डॉन दाऊद इब्राहिम के गुर्गे अबु सलेम (Abu Salem) का नाम हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आतंक का पर्याय बन गया था. बताते हैं कि उस समय एक संवाददाता ने जब अबु सलेम से फोन कर गुलशन कुमार की हत्या के बारे में जानकारी चाही थी, तो जवाब मिला था, ‘यह मर्डर लाल कृष्ण आडवाणी ने कराया है. उसे फोन कर क्यों नहीं पूछते हो?’ मतलब चोरी और सीनाजोरी का स्पष्ट नमूना था ।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अबु सलेम के निशाने पर सबसे पहले सुभाष घई आए. उसने उन्हें धमकी दी, लेकिन मुंबई के तत्कालीन जोन सात के पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह ने ऐन मौके आजमगढ़ के ‘लड़कों’ को दबोचने में सफलता पाई थी. यही सत्यपाल सिंह वर्तमान मोदी सरकार में सांसद और मंत्री हैं ।
बाद में सुभाष घई ने खुद स्वीकार किया था कि अबु सलेम ने उन्हें फोन कर ‘परदेस’ फिल्म के अवरसीज राइट्स खरीदने की मंशा जताई थी. इसके बाद अबु सलेम के निशाने पर राजीव राय आए. यह अलग बात है कि अबु सलेम ने खुद स्वीकारा था कि उसकी मंशा सुभाष घई और गुलशन राय को मारने की कभी थी ही नहीं, वह तो सिर्फ उन्हें डरा कर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को अपनी ताकत का अहसास देना चाहता था. लेकिन दाऊद के दबाव में सालेम को गुलशन कुमार की हत्या करवानी पड़ी।
कहते हैं कि गुलशन कुमार की हत्या करते समय हत्यारों ने अपना मोबाइल का स्पीकर ऑन कर कथित तौर पर अबु सलेम को गुलशन कुमार की चीखें सुनाई थीं. इसके पहले अबु सलेम पर गुलशन कुमार से 10 करोड़ रुपए फिरौती मांगने का आरोप लगा था. बाद में गुलशन कुमार हत्याकांड से संगीतकार नदीम सैफी और टिप्स कंपनी के रमेश तौरानी के नाम भी जुड़े. संगीतकार नदीम सैफी तो उसके बाद से ही लंदन जाकर बस गए.बाद में दाऊद के गुर्गे कहे जाने वाले अब्दुल रऊफ को कैसेट किंग की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया और सजा सुनाई गई.
एस हुसैन जैदी ने अपनी किताब ‘डोगरी टू दुबई’ में लिखा है कि अबु सलेम को हिंदी फिल्मी दुनिया की चकाचौंध से प्यार सा हो गया था. यह अलग बात है कि गुलशन कुमार की हत्या के बाद से फिल्मी दुनिया का चमकते सितारों के न सिर्फ दुबई दौरे कम हो गए थे, बल्कि पुलिस ने भी फोन टैप कर रिश्तों की बखिया उधेड़नी शुरू कर दीं. फिर भी मुंबई अंडरवर्ल्ड और फिल्मी दुनिया की ‘आपसी रंजिश’ ने हिंदी संगीत जगत से गुलशन कुमार को छीन लिया, जिन्होंने भारतीय फिल्म संगीत को कैसेट के जरिए न सिर्फ आम आदमी की जद तक पहुंचाया था, बल्कि नए गायकों को मौका देकर उनकी किस्मत बदलने का काम भी किया था
एक साधारण जूस बेचने वाले शख्स से लेकर म्यूजिक किंग की पदवी तक का सफर गुलशन कुमार को अजर-अमर बनाता है.
आज 12 अगस्त उनकी पुण्यतिथि पर यह सच्चाई आप से शेयर की । उनकी पुनीत आत्मा को शत शत नमन । विनम्र श्रद्धांजलि।
सादर/साभार
सुधांशु
Tags: story-of-gulshan-kumars-murder
Previous Post

जामनेर : आखिर किसने झपटा फर्जी डाक्टर का झोला : मामले से MO अंजान ?

Next Post

पुणे : जीवनावश्यक वस्तुओं से लदे 25 ट्रक बाढ़ग्रस्त इलाकों के लिए रवाना

Next Post
पुणे : जीवनावश्यक वस्तुओं से लदे 25 ट्रक बाढ़ग्रस्त इलाकों के लिए रवाना

पुणे : जीवनावश्यक वस्तुओं से लदे 25 ट्रक बाढ़ग्रस्त इलाकों के लिए रवाना

  • Disclaimer
  • Privacy
  • Advertisement
  • Contact Us

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.

No Result
View All Result
  • Home
  • देश
  • दुनिया
  • प्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाईफस्टाईल
  • विविधा

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.