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अंनिस में हुए आर्थिक घोटालों की भी जांच होनी चाहिए : घनवट

Tez Samachar by Tez Samachar
August 20, 2019
in Featured, पुणे, प्रदेश
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अंनिस में हुए आर्थिक घोटालों की भी जांच होनी चाहिए : घनवट

पुणे (तेज समाचार डेस्क). 20 अगस्त 2013 को महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के  कार्याध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की  हत्या के पश्‍चात ‘डॉ. दाभोलकर कैसे महान समाजसेवक थे’, यह दर्शाने के लिए अंनिसवाले जी जान से जुटे हैं. उनके नाम से ‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण दिन’ पालने के आवाहन से लेकर उनकी तुलना महात्मा गांधी से करने का बचकाना प्रयास भी किया जा रहा है.

– 2012 में शुरू हुई थी पूछताछ
वास्तविक फरवरी 2012 में जब दाभोलकर जीवित थे, तभी हिन्दू जनजागृति समिति ने उनके ट्रस्ट के आर्थिक घोटाले और भ्रष्टाचार प्रमाणों सहित उजागर किए थे. परिणाम स्वरूप विविध शासकीय तंत्रों द्वारा पूछताछ प्रारंभ हुई. ट्रस्ट के अनुचित लेन-देन देखने पर सहायक धर्मादाय आयुक्त, सातारा कार्यालय के निरीक्षक और अधीक्षक ने ट्रस्ट का काम पारदर्शक और कानून के अनुसार न चलने के संबंध में गंभीर रूप से फटकारा था तथा इस ब्यौरे द्वारा ट्रस्ट पर ‘प्रशासक’ नियुक्त करने और ‘विशेष लेखा परीक्षण’ करने की महत्त्वपूर्ण सिफारिश भी की थी. सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि किसी भी हत्या के पीछे के विविध कारणों में से आर्थिक लेन-देन के महत्त्वपूर्ण कारण की जांच इस प्रकरण में क्यों नहीं की गई? अंनिस के ट्रस्ट के करोडों रुपयों का आर्थिक लेन-देन क्या दाभोलकर की हत्या का कारण था, इसकी जांच क्यों नहीं की गई?, ऐसा प्रश्‍न इस निमित्त उपस्थित हो रहा है. आधुनिकतावादियों की पोल खुलने से रोकने के लिए हिन्दुत्वनिष्ठों को नाहक बलि क्यो चढाया जा रहा है?, ऐसा स्पष्ट प्रश्‍न हिन्दू जनजागृति समिति के राज्य संगठक सुनील घनवट ने उपस्थित किया है.

– कहां गया करोड़ों का निधि
घनवट ने आगे कहा कि, समाज के सामने विवेक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का बुरखा ओढ़नेवाले और अन्वेषण तंत्रों पर दबाव डालने के लिए राज्यभर में ‘जवाब दो’ का ढिंढोरा पीटनेवाले अंनिसवाले उनके ट्रस्ट द्वारा किए गए घोटालों के संबंध में मौन क्यों हैं? दाभोलकर पर ‘श्रद्धा’ रखकर अंनिस को मिली करोडों रुपयों की निधि कहां है, इसका ‘जवाब दो’ यह कहने का समय अब आ गया है. आधुनिकतावादी विचारक प्रा. ग.प्र. प्रधान ने अंनिस के ट्रस्ट को दी हुई संपत्ति, विदेशों से मिलनेवाली लाखों रुपयों की निधि, धर्मादाय आयुक्त की अनुमति के बिना अनेक अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री, ट्रस्ट के पैसों से पदाधिकारियों के वाहनों की खरीद आदि कुछ भी आर्थिक तलपट में नहीं है, ऐसे अनेक घोटाले कर कानून का स्पष्ट उल्लंघन कर भी अंनिसवाले स्वयं ही ‘संविधान बचाओ’ और ‘विवेक की आवाज’ का ढोल पीटते हैं, यह अंनिसवालों का पाखंड ही है. यदि दाभोलकर जीवित होते, तो इन प्रकरणों के कारण निश्‍चित ही कारागृह में होते तथा यदि वे कारागृह में होते, तो कौन कौन अडचन में आते?  ट्रस्ट के आर्थिक घोटाले में किस किस के हितसंबंध हैं? क्या उनका दाभोलकर की हत्या से संबंध है?, ऐसे अनेक प्रश्‍नों के उत्तर प्राप्त करने के लिए अंनिस के ट्रस्ट के सर्व सदस्यों और ट्रस्ट के आर्थिक लेन-देन की गहन पूछताछ होनी चाहिए, ऐसी मांग भी घनवट ने इस समय की.

Tags: Dr. Narendra DabholkarHindu janjagriti samitiSunil Ghanvatअंधश्रद्धा निर्मूलन समितिअंनिससुनील घनवटहिन्दू जनजागृति समिति
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