– मोदी-जिनपिंग ने पिया नारियल पानी
चेन्नई (तेज समाचार डेस्क). महाबलीपुरम में शुक्रवार को दूसरी अनौपचारिक बैठक के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग महाबलीपुरम पहुंचे. मोदी यहां चीन के राष्ट्रपति के स्वागत के लिए पारंपरिक तमिल वेशभूषा में पहुंचे. उन्होंने मामल्लपुरम में जिनपिंग को अर्जुन तपस्या स्थली और तट मंदिर के दर्शन कराए और इन स्थलों का महत्व समझाया. इसके बाद दोनों ने पंच रथ स्थल पर नारियल पानी पिया और अनौपचारिक बातचीत की शुरुआत की. महाबलीपुरम में सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद मोदी जिनपिंग को रात्रिभोज दिया.
– पारंपरिक दक्षिण भारतीय व्यंजन परोसे गए
जिनपिंग को रात्रिभोज में पारंपरिक दक्षिण भारतीय व्यंजन परोसे गए. इनमें अर्चु विट्टा सांभर, थक्काली रसम, कडालाई कोरमा और हलवा शामिल थे. इससे पहले जिनपिंग का चेन्नई एयरपोर्ट पर भी स्वागत किया गया. मोदी और जिनपिंग की मुलाकात का कार्यक्रम करीब 6 घंटे तक चलेगा. जिनपिंग के चेन्नई पहुंचने पर मोदी ने अंग्रेजी, तमिल और मेंडेरिन में ट्वीट किया कि भारत में आपका स्वागत है राष्ट्रपति जिनपिंग.
– दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे
मोदी पहले ही चेन्नई पहुंच चुके थे. उन्होंने कहा कि इस मुलाकात से भारत और चीन के रिश्तों को मजबूती मिलेगी. तमिलनाडु के महाबलीपुरम में शुक्रवार और शनिवार को दोनों नेताओं की मुलाकात होगी. साथ ही चेन्नई के ऐतिहासिक शहर महाबलीपुरम (मामल्लपुरम) में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होंगे. चेन्नई से महाबलीपुरम तक 5 हजार जवान तैनात किए गए हैं. रास्तों और कार्यक्रम स्थल पर 800 सीसीटीवी कैमरे लगे लगाए गए हैं. भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने समुद्र तट से कुछ दूरी पर युद्धपोत तैनात किए हैं.
– आतंकवाद, टेरर फंडिंग पर चर्चा संभव
जिनपिंग के साथ चीन के विदेश मंत्री और पोलित ब्यूरो के सदस्य भी भारत आएंगे. इस बैठक के लिए कोई एजेंडा तय नहीं है, लेकिन भारत-प्रशांत क्षेत्र, सीमा विवाद, आतंकवाद, कारोबारी असंतुलन, टेरर फंडिंग के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है. इस दौरान कोई समझौता और एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं होंगे, लेकिन मोदी-जिनपिंग की ओर से साझा बयान जारी हो सकता है. मोदी पिछले साल अप्रैल में पहली अनौपचारिक बैठक के लिए चीन के वुहान गए थे. दोनों नेता बैंकॉक में 31 अक्टूबर से 4 नवंबर के बीच होने जा रहे आसियान समिट में भी मिलेंगे.
– चीन का महाबलीपुरम से ऐतिहासिक संबंध
तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी किनारे स्थित महाबलीपुरम शहर चेन्नई से करीब 60 किमी दूर है. पुरातत्त्वविद् एस राजावेलु के मुताबिक, इसकी स्थापना धार्मिक उद्देश्यों से 7वीं सदी में पल्लव वंश के राजा नरसिंह वर्मन ने कराई थी. नरसिंह ने मामल्ल की उपाधि धारण की थी, इसलिए इसे मामल्लपुरम के नाम से भी जाना जाता है. यहां शोध के दौरान चीन, फारस और रोम के प्राचीन सिक्के बड़ी संख्या में मिले हैं. प्राचीन बंदरगाह वाले महाबलीपुरम का करीब 2000 साल पहले चीन के साथ खास संबंध था. पुरातत्वविद राजावेलू बताते हैं कि कि यहां बरामद हुए पहली और दूसरी सदी के मिट्टी के बर्तन हमें चीन के समुद्री व्यापार की जानकारी देते हैं. पल्लव शासन के दौरान चीनी यात्री ह्वेनसांग कांचीपुरम आए थे. पल्लव शासकों ने चीन में अपने दूत भेजे थे.
– कश्मीर मुद्दे पर रुख में परिवर्तन
जिनपिंग की भारत यात्रा से पहले चीन ने मंगलवार को कश्मीर मसले पर अपना रुख बदल लिया था. मंगलवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि इस मसले को द्विपक्षीय तरीके से हल किया जाना चाहिए. इससे पहले चीन ने कश्मीर मुद्दे पर में संयुक्त राष्ट्र और उसकी सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के मुताबिक हल निकाले जाने की बात कही थी. इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के दौरे के दौरान चीन ने कहा था कि कश्मीर के हालात पर उसकी नजर है.