हमने पहले ही कहा था कि ‘पूत के पांव पालने में’ दिख जाते हैं. महाराष्ट्र में जैसे ही तीन दलों की ‘त्रिशंकु’ सरकार बनी, सबको लगा कि यह रेंगते हुए ही चलेगी. लेकिन यहां तो उसकी ‘खिचड़ी’ अभी तक पक ही रही है. मलाईदार मंत्रालय उनको लेकर इस ‘त्रिशंकु’ सरकार के ‘शकुनि’ अड़े रहे. इनके अड़ियल रवैये, लालच और आपसी खींचतान से जनता का कोई भला नहीं हो रहा है. उन्होंने पहला एक महीना तो सरकार गठन में ही लगा दिया. फिर जैसे-तैसे सरकार बनी, तो मंत्रिमंडल विस्तार में ही एक महीने का विलंब कर दिया. फिर विभागों के वितरण में हफ्ता भर लगा दिया. हमें तो यह समझ नहीं आता कि यह सरकार है …या ‘तीन पंक्चर टायरों की कार है?’ जिसे राज्य की जनता को मजबूरन ढोना होना पड़ेगा!