पुणे (तेज समाचार प्रतिनिधि). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों के 100 स्मार्ट शहरों में शामिल नागपुर-पुणे में इन दिनों मेट्रो प्रॉजेक्ट पर काफी गति से काम हो रहा है. लेकिन कुछ लोग मेट्रो प्रॉजेक्ट के दौरान पर्यावरण को नुकसान होने के मुद्दे पर अडंगा डालने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन महामेट्रो के व्यवस्थापकीय संचालक डॉ. ब्रिजेश दीक्षित ने एक ऐसी अभिनव योजना तैयार की है, जिसके तहत नागपुर में दौड़नेवाली मेट्रो हरियाली के बीच से अपना सफर तय करेगी. डॉ. ब्रिजेश दीक्षित की योजना के अनुसार मेट्रो के खंबों को गार्डन का रूप दिया जाएगा. ये खंबे पूरी तरह से लताओं और पेड़ों से ढके हुए होंगे. इस कारण इन खंबों को एक अलग महत्व प्राप्त होगा. विशेष रूप से इस योजना से न सिर्फ प्राकृतिक सौन्दर्य यात्रियों को देखने को मिलेगा, बल्कि इससे पर्यावरण कर संवर्धन भी होगा. मेट्रो के पिलर पर पेड़ों के कारण कार्बनडाय ऑक्साईड का वातावरण में प्रमाण कम होगा और ऑक्सिजन बढ़ने में मदद होगी.
– लोग के आकर्षण का केन्द्र बने मेट्रो पिलर
महामेट्रो के इस निर्णय से पर्यावरण पूरक मेट्रो से मेट्रो के सौन्दर्य में चार चांद लगेंगे. इसके साथ यात्रियों के साथ ही मेट्रो परिसर में विचरण करनेवाले लोगों के लिए भी यह फायदेमंद होगा. नागपुर के हवाईअड्डे के पास मोड़ बने मेट्रो के दो पिलर इस समय पूरी तरह से हरियाली से घिरे है. इन दो पिलर्स ने लोगों को काफी आकर्षित किया है. बताया जाता है कि कई लोग तो ये पिलर्स देखने के लिए ही यहां आते है और काफी देर तक उन्हें निहारते रहते हैं. यह एक प्रकार का वर्टिकल गार्डन है. वर्टिकल गार्डन के बारे में कुछ लोगों ने सिर्फ सुना ही है, लेकिन प्रत्यक्ष देखा नहीं है. तो कुछ लोगों के लिए यह बिल्कुल नहीं कल्पना है. कुछ लोगों के मन में तो यह सवाल अभी भी निरुत्तर ही है कि मेट्रो के पिलर्स पर पेड़ क्यों लगाए गए है? यह बात लोगों के लिए कौतुहल का विषय बनी है. लेकिन जो भी हो, डॉ. ब्रिजेश दीक्षित ने पर्यावरण पूरक एक नई और अनोखी भेंट नागपुर के लोगों को दी है.
– एक पिलर पर 1400 पेड़
डॉ. ब्रिजेश दीक्षित की योजना के अनुसार मेट्रो के प्रत्येक पिलर पर करीब १ हजार 400 पेड़ लगाए जाएंगे. विशेषज्ञों के अनुसार ये पेड़ २४ घंटों में कम से कम एक किलोग्राम ऑक्सिजन निर्माण करने की क्षमता रखते है. इस कारण १ हजार ४०० किलोग्राम कार्बनडाय ऑक्साईड ऑक्सिजन में रूपांतरित होगी. महत्वपूर्ण बात यह है कि इन पेड़ों को काफी कम देखभाल की जरूरत होगी और काफी कम खाद-पानी मिलने पर भी ये पेड़ करीब 5 साल तक जीवित रह सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार एक पेड़ के लिए मात्र ६० एमएल पाणी की जरूरत होगी. पिलर्स के पेड़ों के कारण वातावरण में ठंडक बनी रहेगी. साथ ही वातावरण में फैली प्रदूषित जहरीली वायू और धूल आदि रोकने में भी ये पेड़ महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. इन पेड़ों की विशेषता यह है कि किसी भी ऋतु में होनेवाले वाले किसी भी रोग का परिणाम इन पेड़ों पर नहीं होता. पशु-पक्षियों को भी इन पेड़ों से कोई धोका नहीं होता, बल्कि ये पेड़ पशु-पक्षियों के लिए पोषक और प्राकृतिक वातावरण निर्माण करते है. ये सभी पेड़ जीवाणू सायलेंस कल्चर की मदद से लगाए जा रहे हैं. इन पेड़ों के लिए भारतीय पद्धति से बनाई गई खाद उपलब्ध कराई गई. बताया गया है कि इन पेड़ों का अंकुरण जिओफ्रैब्रिक पाऊच के माध्यम से की गई है और बूंद-बूंद पानी प्रणाली से इन्हें पानी दिया जाता है.
– हरियाली का सुन्दर गलीचा
डॉ. ब्रिजेश दीक्षित की इस हरियाली योजना की यह अभी शुरुआत है. सभी मेट्रो पिलर पर पेड़ लगाने में अभी समय लगेगा. लेकिन यदि कल्पना की जाए, कि मेट्रो के सभी पिलर्स पर जब हरे-हरे सुन्दर पेड़ लग जाएंगे, तब वह नजारा कितना नयनाभिराम होगा. यह दृश्य बिल्कुल ऐसा होगा, मानो दूर तक… आकाश के दूसरे कोने को चूमती एक हरी-भरी वैली… और उसके बीच से अपनी पूरी रफ्तार से दौड़ती मेट्रो. तब अनायास ही एक पुरानी फिल्म का गीत आएगा, ‘ये हरियाली और ये रास्ता…’
– देखनेवालों आश्चर्यचकित
दूर से देखने पर मेट्रो रूट किसी हरे गलीचे जैसा प्रतीत होता है. मेट्रो के पिलर्स पर हरियाली को देख कर लोग आश्चर्यचकित हैं. लोगों के मन में कौतुहल है कि खंबों पर हरियाली आयी ही कैसे? तो हम आपको बताते है कि मेट्रो के पिलर पर हरियाली कैसे आयी? मेट्रो के खंबों पर फायबर फ्रेम की मदद यह हरियाली निर्माण की गई है. इन फायबर फ्रेम्स को इस प्रकार इन खंबों पर फिट किया गया है कि देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि पिलर्स पर ही हरियाली आयी हो. फायबर की फ्रेम होने के कारण पेड़ों की मिट्टी, उस पर डाले जानेवाले पानी का पिलर्स की मजबूती पर कोई असर नहीं होता. यह हरा-हरा गलीचा सुन्दर दिखाई देता है, क्योंकि इस हरियाली के बीच-बीच में रंग बिरंगे गुलाबी, सफेद, जामूनी, लाल आदि रंगों के फूलों को भी जगह दी गई है. ये फूल इस हरियाली में चार चांद लगाते है और देखनेवालों की आंखों को सुकून देते है.
– और बढ़ रही मेट्रो की सुन्दरता
नागपुर मेट्रो प्रकल्प को वर्टिकल गार्डन के कारण एक अगल की सौन्दर्य प्राप्त हुआ है. मेट्रो मार्ग पर लगे खंबों के चारों ओर यूफोरबिया, मालफिजीया, यूका थूजा, निरयम सेंसीवेरा, फिलकस पंडा आदि पेड़ फायबर फ्रेम में लगाए गए है. ये फ्रेम में खंबे से करीब एक इंच की दूरी पर फिट किए गए है. ये फ्रेम्स काफी मजबूत है और फेल्ट पद्धति से इसमें पेड़ लगाए गए है. इस कारण इन पेड़ों को पर्याप्त आद्रता मिलती रहती है. इस कारण इन पेड़ों को कम पानी और खाद की जरूरत होगी.
-ग्रीन मेट्रो की संकल्पना को साकार किया : ब्रिजेश दीक्षित
महामेट्रो के व्यवस्थापकीय संचालक डॉ. ब्रिजेश दीक्षित के अनुसार देश के अनेक शहरों में मेट्रो का काम चल रहा है. लेकिन वर्टिकल गार्डन का इस्तेमाल कहीं भी नहीं किया गया है. इस कारण यह अभिनव प्रयोग करनेवाली महामेट्रो एकमात्र संस्था है. आज पूरे देश में पर्यावरण रक्षा के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन वर्टिकल गार्डन के माध्यम से हम ग्रीन मेट्रो की संकल्पना को साकार करने में कामायाब हुए है. मुझे विश्वास है कि जितने खंबों पर वर्टिकल गार्डन हम लगाने में कामयाब होंगे, यह पर्यावरण के लिए उनका ही फायदेमंद साबित होगा.