नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). लगता है निर्भया जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देनेवाले अपराधियों को मिली फांसी का मुहूर्त मिल नहीं रहा है. कानून की कमजोरियों का फायदा उठाते हुए निर्भया के दोषी अभी तक जिन्दा है. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों के डेथ वारंट पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. दोषियों ने डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग की थी. इस तरह निर्भया के दोषियों की फांसी डेथ वारंट जारी होने के बाद दूसरी बार फिर टल गई है.
सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील एपी सिंह ने कोर्ट से कहा कि डेथ वारंट पर रोक लगाई जाए. अभियोजन पक्ष ने मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर के पेश होने पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि मुकेश की सभी याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं. तिहाड जेल ने कोर्ट को बताया कि विनय की दया याचिका लंबित है, ऐसे में उसकी डेथ वारंट को रद्द करने की याचिका प्री मेच्चोर है.
सरकारी वकील ने कहा कि आज कोई अपील या अर्जी लंबित नहीं है. विनय की दया याचिका लंबित है, बाकी दोषियों की याचिका लंबित नहीं है. विनय की दया याचिका का इंतजार किया जा सकता है, इसलिए बाकी तीन दोषियों को फांसी दी जा सकती है, ये किसी कानून या नियम के खिलाफ नहीं है. तब तीन दोषियों के वकील ने कहा कि जेल मैन्यूअल यही कहता है कि अगर किसी एक दोषी की भी याचिका लंबित हो तो बाकी को फांसी नहीं दी जा सकती. एपी सिंह ने कहा कि विनय की दया याचिका लंबित है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार दया याचिका खारिज होने के बाद 14 दिन दिए जाएंगे, इसलिए किसी को भी फांसी नहीं दी जा सकती, नई तारीख तय की जाए.
– दोषियों के वकील ने की अनिश्चितकालीन रोक की मांग
एपी सिंह ने कहा कि 1 फरवरी को किसी को फांसी नहीं दी जा सकती. डेथ वारंट पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगाई जाए, जब तक राष्ट्रपति दया याचिका पर फैसला ना करें. निर्भया के मां-पिता की वकील ने वृंदा ग्रोवर के पेश होने पर आपत्ति जताई. निर्भया के माता-पिता की ओर से कहा गया कि वृंदा ग्रोवर अब इस केस में पेश नहीं हो सकतीं.
– दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं : वृंदा ग्रोवर
कोर्ट ने वृंदा को बहस करने की इजाजत दी. वृंदा ने कहा कि कानून में खामियों के चलते देरी हो रही है, मुझे काफी देर बाद केस में मौका मिला. मैंने कोशिश की देरी ना हो इसलिए दोषी मुकेश की ओर से जल्द याचिकाएं लगाई. वृंदा ने कहा कि दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे ही मामले में नाराजगी जताई थी. वृंदा ने कहा कि जेल प्रशासन ने क्यूरेटिव पेटिशन का जिक्र मैन्यूअल में नहीं किया है, जबकि ये कानूनी उपाय सुप्रीम कोर्ट में उपलब्ध है. एक दया याचिका लंबित है, जो संवैधानिक प्राधिकरण के पास है, वह कब फैसला लेंगे ये कोई नहीं कह सकता, इसलिए सभी दोषियों की फांसी टाली जानी चाहिए. तब निर्भया के परिजनों की वकील ने कहा कि ये मामले को खींच रहे हैं, जब एक ही केस हैं तो ये दोषी अलग-अलग क्यों याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नियम कहता है कि जेल प्रशासन इस संबंध में सरकार को संदेश भेजकर पूछेगा कि क्या फांसी रोकी जाए अगर कोई जवाब नहीं मिलता तो फांसी को रोका जा सकता है, इसके लिए कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है.
– कानून का मजाक उड़ाया जा रहा है
कोर्ट ने एपी सिंह को कहा कल सुबह 6 बजे फांसी होनी है. आपको बहस पूरी करनी है हमें आदेश देना है, आप या तो खुद का बचाव कीजिए या फिर दोषी का. तिहाड जेल ने कहा इसका कोई अंत नहीं है कहीं तो ये रुकना चाहिए, तीन दोषियों को कल फांसी दी जा सकती है. पिछले 30 जनवरी को कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन से रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा था कि हमने दोषियों को नोटिस जारी किया था कि 7 दिनों में दया याचिका दाखिल करे लेकिन इन्होंने दया याचिका दायर नहीं की. ये कानून का ‘माख़ौल’ उड़ाने जैसा है.
– कोर्ट ने खारिज की थी अक्षय की याचिका
पिछले 30 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दोषी अक्षय की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने माना है कि अर्ज़ी में कोई ऐसी बात नहीं कही गई जिसके चलते फिर सुनवाई ज़रूरी हो. कोर्ट ने फांसी पर रोक लगाने से भी मना किया. मुकेश और विनय की क्यूरेटिव याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है.