जहरीले सांपों को जब भी वर्षों दूध पिलाओगे, फुंकार उठेंगे वे विषधर फिर जहर से मारे जाओगे। जब-जब बौनी छिपकलियां ‘ड्रैगन’ बनकर आएंगी, भारत मां के बेटों तुम पीठ में खंजर पाओगे। ————————— गलवान घाटी में जो मिटे वीर माटी के, उन भारत के सपूतों को हमारा सलाम है। लिपट तिरंगे में जो सीमा पर से आए घर, उन शहीद जवानों को कोटिश: प्रणाम है।
वंदन है बार-बार ‘ड्रैगन’ के डंक-दंत- मुंह तोड़ के जवाब देने वालों को प्रणाम है। ‘रावण’ जैसे चीन को अब कोई छोड़ेगा नहीं, बन रहा भारत का बच्चा-बच्चा ‘राम’ है। ———————
गलवान मांगेगा तो गला चीर देंगे हम, बस्ती ही क्या तेरी अब हस्ती भी मिटायेंगे। अच्छा है कि चुपचाप वापस लौट जा बेटा, वरना भूत लात के मार कर भगाएंगे।
जाली-नकली माल पर ज्यादा नहीं इतराना, सामानों से तेरा पिंड दान कर जाएंगे, कोरोना के बाप सुन, बढ़ गए हैं पाप गुन, अब दुनिया वाले आकर तेरा घर भी जलाएंगे। ————————–
कोने-कोने खींच कर औने-पौने बौने पर, बने भाई जो कसाई पर प्रहार होना चाहिए। बीसियों जवानों को शहीद करने वालों का, अबकी बार ‘अंतिम संस्कार’ होना चाहिए।
जाने नहीं व्यर्थ पाए बलिदान हमारा अब, ऐसे दुश्मनों से आर-पार होना चाहिए, हाथों में गर चूड़ियां पहनी ना हो ‘दिल्ली’ ने तो ’56 इंची सीना’ ताने वार होना चाहिए। ——————