पुणे (आशीष शुक्ला). द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने पूर्व भारतीय नौ सैनिक कुलभूषण सुधीर जाधव की फांसी की सजा पर अंतिम निर्णय आने तक रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि पाकिस्तान जाधव को जासूस साबित करने में नाकाम रहा. ज्ञात हो कि पाकिस्तान का दावा था कि जाधव भारतीय जासूस हैं और उनको फांसी की सजा मिलनी चाहिए. पाकिस्तान ने यह भी कहा कि जिस विएना संधि के तहत उनका मामला ICJ में लाया गया है, वह जासूसों पर लागू ही नहीं होती है. लेकिन कोर्ट ने पाकिस्तान की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ये मामला ICJ के अंडर में आता है. ICJ में भारत ने दावा किया कि जाधव अंतरराष्ट्रीय व्यापारी हैं, जिन्हें पाकिस्तान ने अगवा करके दुर्भावना से फांसी की सजा दी है. कोर्ट ने माना कि भारत को जाधव को मदद पहुंचाने का अधिकार है. कोर्ट ने 15 मई (सोमवार) को जाधव पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो 18 मई (गुरुवार) को सुनाया गया. कोर्ट ने कहा कि आखिरी फैसला आने तक जाधव को फांसी नहीं दी जाएगी. भारत की तरफ से दलील रखने वाले हरीश साल्वे और पाक की तरफ से बोलने वाले खवर कुरैशी अपने-अपने देशों में बड़े वकील हैं. दोनों कड़ी मेहनत से तैयारी करके सबूतों, तर्कों और तथ्यों के साथ कोर्ट जाने में यकीन रखते हैं. दोनों ही अंतराष्ट्रीय कानून के बड़े जानकार हैं. लेकिन पहली बाजी हरीश साल्वे ने जीत ली है. इस जीत को भारत की एकतरफा जीत माना जा रहा है. जिसका जश्न पूरा देश मना रहा है. वहीं लोग सोशल मीडिया के जरिये अपने-अपने विचार भी इस मामले में गहरे तौर पर रख रहे हैं.
कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक के फैसले पर जब हमने पुणे के युवाओं से इस विषय में उनकी राय पूछी, तो सब ने ख़ुशी जताते हुए इस इस फैसले को सत्य की जीत बताया. वहीं लोगों ने इसकी तुलना सरबजीत के मामले से भी की है.
– देश की आशा को बल मिला : वृषाली
एडवरटाइजिंग क्षेत्र में काम करने वाली वृषाली केलकर ने कहा कि, कुलभूषण जाधव की फांसी की सज़ा पर रोक लगा कर आईसीजे ने जाधव के परिवार वालों सहित पूरे देश की आशाओं को बल प्रदान किया है, जिससे शायद हम एक और सरबजीत बनाने के कलंक को धो सकें. अंतिम निर्णय आने तक लगी यह रोक भारतीय दृष्टिकोण से इस मामले में अहम पड़ाव है, परंतु लड़ाई अभी शेष है. अपने बेटे को घर तक वापस लेकर आने का काम अभी पूरा करना है. हरीश साल्वे ने अब तक शानदार प्रतिनिधित्व प्रदान किया है. कुलभूषण को लेकर हम आशान्वित हैं कि देश एक और सरबजीत नहीं खोएगा. देखा जाए तो यह जीत सही तौर पर सत्य की जीत है.
– सरकार का सराहनीय कदम : सत्यम श्रीवास्तव
आईटी क्षेत्र में काम करने वाले सत्यम श्रीवास्तव का कहना है कि, जिस तरह से भारत सरकार के उच्च पदाधिकारियों ने कुलभूषण के मामले को गम्भीरता से लिया है, उससे सरकार निश्चित रूप से सराहना की पात्र हैं. पाकिस्तान ने जाधव के खिलाफ जो सबूत प्रस्तुत किए हैं, वे उन्हें अपराधी साबित करने के लिए काफी नहीं हैं. सत्यम ने आगे पकिस्तान के रवैये पर बात करते हुए कहा कि, जाधव को वक़ील तक उपलब्ध ना करवाना ना सिर्फ़ अंतर्राष्ट्रीय नियमों और मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि ये न्यायिक प्रक्रिया का भी उपहास है. हरीश साल्वे ने काफ़ी मज़बूत केस बनाया है और आशा है कि इस देश को न्याय मिलेगा.
– पाकिस्तान भरोसा खो चुका है : करिश्मा परदेसी
इस विषय को लेकर फैशन डिजाइनर करिश्मा परदेसी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए पाकिस्तान के नापाक विचारों की आलोचना करते हुए कहा कि, पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था पर इस दुनिया में शायद ही किसी को भरोसा होगा. जब ये मामला अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में गया, तभी यकीन था की एक निष्पक्ष सुनवाई होगी. इस निर्णय के बाद भारत को कुलभूषण से बातचीत करने को मिलेगी और इससे और तथ्य बाहर आने की संभावना है. यह सुनवाई इस केस का एक मोड़ था. यह केस अगर पाकिस्तान हारता है, तो पूरी दुनिया के सामने उसकी न्यायव्यवस्था का असली चेहरा आ जायेगा.
– एड. साल्वे बधाई के पात्र
पत्रकारिता की छात्र शौनक नाईक इस मामले को अलग नजरिए से देखती है. शौनक ने बताया कि, आज की सुनवाई भारत के पक्ष में सिर्फ और सिर्फ हरिश साल्वे और उनकी टीम की वजह से है. निस्वार्थ ढंग से उन्होंने यह केस अपने देश और देशवासियों के लिये लड़ा है. पूरे केस के लिये हरीश जी ने सिर्फ एक रुपया फीस ली है. अगर ऐसे लोग इस देश के लिये लड़ रहे है, तो जीत पक्की ही है. सच्चाई हमेशा जीतेगी और जल्द ही कुलभूषण वापस अपने वतन लौट आयेंगे.