नई दिल्ली(तेज़ समाचार प्रतिनिधि):भारत दूसरा सबसे ज्यादा इंटरनेट यूज़ करनेवाला देश बन रहा है पर अफसोस स्पीड के मामले में काफी पिछडा़ हुआ है।आनेवाले 18 महीनों में यह स्थिति बदलनेवाली है,क्योंकि (ISRO) तीन संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना पर काम कर रहा है। इसका मकसद देश में हाई स्पीड इंटरनेट युग का आगाज करना है।
ISRO के चेयरमेन किरन कुमार ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा, ‘हम तीन कम्यूनिकेशन सैटलाइट्स लॉन्च करेंगे। जून में GSAT-19 की लॉन्चिंग होनी है। उसके बाद GSAT-11 और फिर GSAT-20 का प्रक्षेपण होगा। GSAT-19 को इसरो के अगली पीढ़ी के लॉन्च वीइकल GSLVMk III से प्रक्षेपित किया जाएगा। स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन से संचालित यह लॉन्च वीइकल चार टन के उपग्रह को भौगोलिक स्थानान्तरण कक्षा (जियोसिंक्रनस ट्रांसफर ऑर्बिट) में पहुंचाने में सक्षम है।’
‘ये उपग्रह मल्टिपल स्पॉट बीम (हाई फ्रीक्वंसी पर काम करनेवाला एक खास तरह का ट्रांसपॉन्डर) का इस्तेमाल करेंगे जिससे इंटरनेट स्पीड और कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी। ये मल्टिपल स्पॉट बीम पूरे देश को कवर करेंगी।’ स्पॉट बीम एक सैटलाइट सिग्नल होती है जिसका विशेष प्रयोग धरती के सीमित इलाके को कवर करने में किया जाता है।
अहमदाबाद के स्पेस ऐप्लिकेशन सेंटर के डायरेक्टर तपन मिश्रा ने कहा, ‘ये तीनों सैटलाइट संचालन में आते ही हाई-क्वॉलिटी इंटरनेट, फोन और विडियो सर्विसेज देना शुरू कर देंगे।’ मिश्रा ने कहा कि पहले प्रक्षेपित GSAT सैटलाइट्स का प्रभावी डेटा रेट एक गीगाबाइट प्रति सेकंड है जबकि GSAT-19 प्रति सेकंड चार गीगाबाइट डेटा देने में सक्षम होगा। यानी, GSAT-19 चार सैटलाइटों के बराबर अकेले काम करेगा। यह सैटलाइट आठ बीमों का उपयोग करेगा।
उन्होंने बताया, ‘GSAT-19 से भी ज्यादा हेवी सैटलाइट GSAT-11 का इस साल के आखिर मे प्रक्षेपण होगा जो 16 बीमों का उपयोग करेगा। यह 13 गीगाबाइट प्रति सेकंड की दर से डेटा ट्रांसफर करने में सक्षम होगा। इधर, 2018 के अंत तक GSAT-20 के प्रक्षेपण की योजना है जो 40 बीमों का उपयोग करेगा। प्रत्येक बीम में दो पोलराइजेशन होंगे जो उन्हें 80 बीमों में तब्दील कर देंगे। इस सैटलाइट का डेटा रेट 60 से 70 गीगाबाइट प्रति सेकंड होगा।’