पुणे (तेज समाचार प्रतिनिधि). अभी तक हृदय, फेफड़ा, किडनी, लीवर, आंखें जैसे कुछ गिनेचुने अवयवों का ही प्रत्यारोपण संभव था. लेकिन अब मृत व्यक्ति के सभी अंगों का प्रत्यारोपण पूरी तरह से संभव है. हाल ही में देश का पहला गर्भाशय प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया गया. इस कारण अब नॉनवॉयटल (अत्यावश्यक न होनेवाले) अवयवों का प्रत्यारोपण संभव हो सकेगा. अब मूत्राशय, स्वादुपिंड, आंत जैसे अवयवों का भी उपयोग कर उनका प्रत्यारोपण किया जा सकता है. यह जानकारी गैलेक्सी केयर हॉस्पिटल के डॉ. शैलेष पुणतांबेकर ने यहां आयोजित एक पत्रकार परिषद में दी.
हाल ही में गैलेक्सी केयर अस्पताल में देश का पहला गर्भाशय प्रत्यारोपण किया गया. इस सफल प्रत्यारोपण के बाद गैलेक्सी केयर हॉस्पिटल में पत्रकार परिषद का आयोजन किया गया. इस समय डॉ. पुणतांबेकर ने बताया कि अवयवदान में अभी तक हृदय, किडनी, लीवर, फेफड़े, आंखें आदि का ही प्रत्यारोपण किया जाता था. लेकिन हमने गर्भाशय का सफल प्रत्यारोपण कर अनेक अन्य अवयवों के प्रत्यारोपण की संभावनाओं को मजबूती है.
– 42 महिलाओं ने किया पंजीकरण
डॉ. पुणेतांबेकर ने बताया कि हमने देश का पहला गर्भाशय प्रत्यारोपण सफलता पूर्वक किया है. इसके बाद अब देश भर की करीब 42 महिलाओं ने गर्भाशय प्रत्यारोपण के लिए गैलेक्सी केयर अस्पताल में पंजीयन कराया है. इसमें चेन्नई, तेलंगना, चंडिगढ़ सहित विदेश की महिलाओं का भी समावेश है.
– बेटी को लगाया गया मां का गर्भाशय
देश का पहला गर्भाशय प्रत्यारोपण पुणे के गैलेक्सी केयर अस्पताल में १८ मई को सफलता पूर्वक किया गया. इस ऑपरेशन में सोलापुर निवासी २१ वर्षीय विवाहिता को उसकी मां का गर्भाशय लगाया गया. डॉ. शैलेश पुणतांबेकर के नेतृत्व में १२ विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम में यह सफल ऑपरेशन किया. इसके बाद दूसरे दिन बडोदा की २3 वर्षीय विवाहिता को उसकी ४3 वर्षीय मां का गर्भाशय प्रत्यारोपित किया गया. इस महिला को ऐशरमेन्स सिंड्रोम था. इस कारण इस महिला का गर्भाशय निष्क्रिय हो गया था. इन दोनों ऑपरेशन्स को अब 9 दिन पूरे हो चुके है और दोनों ही महिलाओं का स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है. इसके साथ ही गर्भाशय दाताओं की तबीयत भी बिल्कुल ठीक है. इन दोनों को रविवार को अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी. डॉ. पुणतांबेकर ने बताया कि ऑपरेशन के 7 दिन में प्रत्यारोपित गर्भाषय के फेल की आशंका होने के कारण ऑपरेशन के बाद दोनों महिलाओं को २४ घंटे विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में रखा गया था. अब 21 दिन के बाद दोनों महिलाओं की फिर से जांच की जाएगी. इसके बाद ही प्रत्यारोपण की शत-प्रतिशत सफलता का दावा किया जा सकेगा.
– दोनों महिलाएं स्वस्थ्य
डॉ. मिलिंद तेलंग ने प्रेस सम्मेलन में बताया कि सोलापुर की इस महिला की तीन और बहने हैं. उपरोक्त महिला को जन्म से ही गर्भाशय नहीं था. इसलिए मां ने ही अपना गर्भाशय बेटी को देने का निर्णय लिया. लेकिन भारत में इसकी सुविधा नहीं थी. ऐसे में डॉ. पुणतांबेकर ने देश का पहला ऐसा ऑपरेशन करने की चुनौती स्वीकार की. जिसके चलते इस युवती को उसकी मां का गर्भाशय उसमे प्रत्यारोपित किया जा सका. तेलंग ने बताया कि गुरूवार दोपहर १२ बजे से इस ऑपरेशन को शुरू किया गया. मां के शरीर से गर्भाशय निकालने में लगभग 4 घंटे लगे. और 5 घंटे की मेहनत के बाद गर्भाशय को मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया. रात को लगभग ९.१५ बजे वह प्रत्यारोपण सफल हो सका.इस ऑपरेशन में दोनों ही महिलाएं स्वस्थ व सुरक्षित हैं.
तेलंग के अनुसार गर्भाशय प्रत्यारोपण का पहला ऑपरेशन स्वीडन में वर्ष २०१४ में किया गया था. अबतक पूरी दुनिया में ऐसे केवल २५ ऑपरेशन किये गए हैं. जिसमे से 10 महिलाओं ने गर्भधारण किया. पिछले १४ सालों से गैलेक्सी केयर हॉस्पिटल में गर्भाशय के सबसे ज्यादा ऑपरेशन हुए हैं. अबतक यहां के चिकित्सकों ने गर्भाशय निकालने वाले ऑपरेशन किये थे, लेकिन दूसरे में प्रत्यारोपित नहीं किया था.गुरूवार को उसे भी सफलता पूर्वक कर देश की महिलाओं में एक उम्मीद जगाई.