पुणे (तेज समाचार डेस्क). कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए जारी किए गए लॉकडाउन से लोक कलाकारों पर भूखों मरने की नौबत आई है.गांव-गांव घूमकर लोककला से लोगों में जनजागृति करनेवाले लोक कलाकारों की सुध न प्रशासन ले रहा है न सरकार.इसके चलते हताश लोक कलाकारों ने सरकार से इच्छा मरण की अनुमति मांगी है.
– मुख्यमंत्री से मिले कलाकार
बीते दिन पुणे के काउंसिल हाल में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पुणे जिले में कोरोना वायरस मरीजों की बढ़ती हुई संख्या पर नियंत्रण पाने के लिए जिले के सभी जनप्रतिनिधि एवं आला अधिकारियों के साथ बैठक की.उसी समय बाहर राज्य के लोक कलाकारों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक गुट 82 लोक कलाकारों की समस्याएं लेकर मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचा था.
– गांव गांव घूम कर करते हैं जनजगृति
यहां संवाददाताओं के साथ की गई बातचीत में इस गुट की मुखिया सत्यभामा आंवले ने बताया कि राज्य में लोक कला के 82 गुट हैं. तकरीबन 1200 मुख्य कलाकार हैं जो पिछले 30 सालों से केंद्र और राज्य सरकार के लिए सामाजिक, जन कल्याण, महिला एवं बाल कल्याण जैसे विषय में लोक कला के माध्यम से जनता में जन जागृति और प्रबोधन कर रहे हैं.लोक कलाकार जिला और तहसील स्तर पर ऐसे गुट गांव-गांव घूमकर जनता में जन जागृति व प्रबोधन करते हैं.
– लॉकडाउन के कारण काम बंद
पिछले चार महीनों में लॉकडाउन के कारण सरकार की ओर से किसी भी प्रकार के जन जागृति और प्रबोधन के काम नहीं मिलने से लोक कलाकार दो वक्त की रोटी मुश्किल से जुटा पा रहे हैं.कोई भी उनकी सुध नहीं ले रहा है.न प्रशासन, न राज्य सरकार, न केंद्र सरकार.इसी से हताश होकर लोककलाकारों का गुट पुणे में मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचा.उन्होंने यह शिकायत भी की कि, सरकार चाहे, राज्य की हो या फिर केंद्र की हो, ऐसा लगा रहा है कि उन्हें लोक कलाकारों की चिंता नहीं है.लोककलाकारों ने मांग की है कि या तो उन्हें काम दें या फिर इच्छा मरण की अनुमति दें.