पुणे. वरिष्ठ विचारक प्रा. ग. प्र. प्रधान ने उनके स्वामित्ववाली ‘वसुधा मनोविकास प्रतिष्ठान’ सम्पत्ति महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने नाम कर दी थी. इस बात की स्वीकारोक्ति स्वयं डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर ने 2012 में की थी. लेकिन प्रत्यक्ष में अंधश्रद्धा निर्मूलन ट्रस्ट ने इस संपत्ति का कहीं भी उल्लेख नहीं किया है. तब सवाल उठता है कि यह संपत्ति कहा गई?कहीं ऐसा तो नहीं कि इस संपत्ति के लिए ही डॉ. नरेन्द्र दाभोलकरकी हत्या कर दी गई हो और नाम सनातन का लिया जा रहा हो? यह सवाल शुक्रवार को सनातन संस्था की ओर से आयोजित एक पत्रकार परिषद में उठाया गया. इस पत्रकार परिषद में सनातन संस्था के प्रवक्ता अभय वर्तक, अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ के जिलाध्यक्ष आनंद दवे, हिंदू जनजागृति समिति पराग गोखले आदि उपस्थित थे.
इस समय सनातन संस्था के प्रवक्ता अभय वर्तक ने कहा कि दाभोलकर की हत्या की जांच में दबाव बनाने के लिए अंनिस की ओर से ‘जवाब दो’ अभियान चलाया जानेवाला है. लेकिन अपने ट्रस्ट में हुए घोटाले को लेकर अंनिस चुप क्यों है. इसके अलावा दाभोलकर की हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्तौल जिस खंडेलवाल और नागोरी के पास मिली है, उन्हें सजा दिलाने के लिए अंनिस प्रयास क्यों नहीं कर रहा? वर्तक ने अंनिस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि क्या अंनिस वास्तव में चाहता है कि डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर के हत्यारों को पकड़ा जाए और उन्हें सजा मिले, या उनका उद्देश्य सिर्फ सनातन साधकों को परेशान करने का है? इन सब सवालों के जवाब अंनिस को सार्वजनिक रूप से देने चाहिए.
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– सनातन ने अंनिस पर उठाए सवाल
पत्रकार परिषद में सनातन की ओर से सवाल उठाए गए हैं कि महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के ट्रस्ट में भ्रष्टाचार किसाने किया? प्रा. ग.प. प्रधान द्वारा अंनिस को दान में दी गई संपत्ति कहां गई? नागोरी और खंडेलवाल की जमानत का विरोध अंनिस की ओर से क्यों नहीं किया गया, जबकि अंनिस डॉ. तावडे की जमानत का विरोध कर रही है? इसके अलावा दाभोलकर-पानसरे हत्याकांड का मुकदमा अदालत में न चलने देने के लिए अंनिस प्रयास कर रहा है. इन सभी सवालों के जवाब देने की चुनौती पत्रकार परिषद में सनातन की ओर से अंनिस को दी गई.