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हिंदी पत्रकारिता का भविष्य सुरक्षित, परिसंवाद में एक सुर में बोले दिग्गज

Tez Samachar by Tez Samachar
September 24, 2017
in Featured, प्रदेश
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हिंदी पत्रकारिता का भविष्य सुरक्षित, परिसंवाद में एक सुर में बोले दिग्गज

नई दिल्ली ( तेज समाचार संवाददाता )- शनिवार को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में मीडिया स्कैन व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में एक परिसंवाद का आयोजन किया गया. राष्ट्रीय परिपेक्ष में हिंदी पत्रकारिता विषय पर आयोजित इस परिसंवाद में दिग्गजों ने हिंदी पत्रकारिता की स्थिति अवस्था एवं भविष्य पर खुलकर विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पत्रकारिता में अपना भविष्य बनाने वाले छात्र-छात्राओं के अलावा वरिष्ठ पत्रकार नागरिक आदि मौजूद थे.

इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत उपस्थित गणमान्य वक्ताओं के हाथों दीप प्रज्ज्वलन के साथ की गई. कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सचिव डॉ.सच्चिदानंद जोशी, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल भाई कोठारी, दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संस्करण संपादक आनंद पांडे, आज तक चैनल के न्यूज़ प्रस्तोता सईद अंसारी, जी हिंदुस्तान समाचार चैनल के संपादक बृजेश कुमार सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दिल्ली इकाई के प्रसार विभाग प्रमुख राजीव तुली, बी.बी.सी.की पत्रकार सुश्री सरोज सिंह, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता संस्थान नोएडा के सौरभ मालवीय मौजूद थे.

डॉ. सच्चिदानंद जोशी – कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए टी.वी. माध्यम  के चर्चित चेहरे सईद अंसारी ने मंच संचालन करते हुए उपस्थितों को मंत्रमुग्ध किया. उन्होंने डॉ. सच्चिदानंद जोशी को आमंत्रित करते हुए उनके अनुभवों से ही इस परिसंवाद की दिशा तय करने की बात कही. डॉ.जोशी ने अपने संस्मरणों को सांझा करते हुए हिंदी की पत्रकारिता की स्थिति के लिए हिंदी पत्रकारों को ही जिम्मेदार बताते हुए स्वयं में बहुत से बदलाव करने की बात कही. उन्होंने उपस्थितों के समक्ष तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि हम में से कितने लोग ATM में हिंदी भाषा का चयन करते हैं. डॉ. जोशी ने अपने प्रारंभिक दौर में मजबूरन अंग्रेजी भाषा में कार्य करने की बात स्वीकार करते हुए अब कार्यालय में हिंदी में टिप्पणियां कर बदलाव लाने की जानकारी भी दी. डॉ. जोशी ने विदेश के अपने एक संस्मरण को सांझा करते हुए बताया कि चर्च में जब वह एक दार्शनिक के रूप में पहुंचे, तो वहां पर उन्हें चर्च की जानकारी के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले कागज की भाषा के बारे में पूछा. डॉ.जोशी को यह जानकर बहुत खुशी हुई कि उन्हें वहां पर हिंदी भाषा में चर्च के बारे में जानकारी पढ़ने को मिली. यह अलग बात थी कि उस हिंदी में बहुत सारी वर्तनी की अशुद्धियां थी. डॉ.जोशी ने संबंधित चर्च को उन अशुद्धियों को ठीक करके देने का प्रस्ताव भी रखा. जिसे उन्होंने हाल ही में पूरा करके भेजा है. डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने हिंदी अखबारों के प्रति दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पाठकों को लुभाने के लिए अनायास ही अंग्रेजी भाषा के शब्दों से मिश्रित शीर्षक छापे जा रहे हैं. डॉ.जोशी ने कहां की जब हम हिंदी भाषा का सम्मान करेंगे तब निश्चित ही हिंदी पत्रकारिता का सम्मान होगा.

आनंद पांडे –  डॉ.जोशी के अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित हो रहे शीर्षकों पर जवाब देते हुए दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संस्करण संपादक आनंद पांडे ने कहा कि हम जड़ों में मट्ठा डालते हुए पत्तियों को सींचने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने बच्चों को हिंदी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाने के लिए तैयार नहीं होता. श्री पांडे ने हिंदी के लिए बुनियादी बातों में बदलाव की आवश्यकता बताते हुए भाषा को रोजी रोटी से जोड़ने का आग्रह किया.आनद पाण्डेय के अनुसार हिंदी अखबारों की स्थिति बदल रही है.उन्होंने कहा की हाल ही में आये पाठक सर्वे में पहले पांच अखबारों में से चार अखबार हिंदी के हैं. एक बेबाक संपादक के रूप में आनंद पाण्डेय ने स्वीकार किया कि हिंदी पत्रकारिता को भी ‘बाज़ार” का ध्यान रखना पड़ता है. हिंदी अखबार भी इन पर आश्रित हैं. मालिक सेंसेक्स की ओर देख रहा है, सम्पादक अपने मोटे वेतन को देखता है, पाठक उपभोक्तावाद का फायदा ले रहा है. आनद पांडे ने कहा की आज जो पाठक यां दर्शक तक पहुँच रहा है वह बिलकुल नगण्य सा है. बहुत सारा कंटेंट न्यूज़रूम  में ही रोका जा रहा है. यह नहीं होना चाहिए . हमें बाजार की जरुरत है लेकिन बाजारू होने की नहीं.

बृजेश कुमार सिंह – जी हिन्दुस्तान के सम्पादक बृजेश कुमार सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की गुजरात जैसे राज्य में गुजराती भाषा होते हुए भी हिंदी समाचार देखने वाले दर्शकों की संख्या दुगनी है. जबकि हिंदी मनोरंजन देखने वालों की संख्या दस गुनी भी हो सकती है. श्री सिंह ने कहा की हम आज भले ही ओपचारिक तौर से हिंदी लिख न पा रहे हों किन्तु तकनीक व गूगल आदि के माध्यम से हिंदी का इस्तेमाल कर रहे हैं, एक दुसरे के साथ संवाद करने में. हिंदी पत्रकारिता की बात करते हुए उन्होंने कहा की जो लोग हिंदी पत्रकारिता के पैरोकार हैं, उन्हें भी अच्छी हिंदी लिखना नहीं आती. बृजेश कुमार सिंह ने संपादकों की गरिमा के बारे में कहा कि सरकार, समाज सबकी निगाह इन पर है. संपादक बहुत प्रेशर में काम कर रहे हैं. मीडिया स्कैन के आयोजन में जी हिन्दुस्तान के संपादक ब्रजेश सिंह ने कहा— दस साल पहले हम इस बात की कल्पना नहीं कर सकते थे कि एक मंच पर आरएसएस के किसी अधिकारी के साथ इस तरह बैठना इतना सहज होता. वे बता रहे थे कि दस साल पहले तक एक तरह से भारतीय मीडिया में आरएसएस प्रतिबंधित नहीं थी तो कम से कम एक सेंसर की गई सामाजिक संस्था जरूर थी. जिससे ताल्लूक रखना मात्र मीडिया मुगलों और नियामकों के लिए बंदे को हासिए पर डाल देने के लिए पर्याप्त होता था.

सरोज सिंह – बी.बी.सी.की पत्रकार सुश्री सरोज सिंह ने अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा की यदि आपको हिंदी पत्रकारिता में आगे बढ़ना है तो श्रेष्ठ हिंदी भाषा के साथ आपको अंग्रेजी आनी अनिवार्य है. हिंदी के बढती मांग के बारे में जानकारी देते सरोज सिंह ने कहा कि बी.बी.सी. 40 भाषाओं में काम करता है. उसमें हिंदी की मांग तीसरे क्रमांक पर है. आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं की भारत में ही नहीं विश्व में भी हिंदी पत्रकारिता की मांग है.

राजीव तुली – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रसार विभाग प्रमुख राजीव तुली ने हिंदी के प्रति बढ़ते योगदान के बारे में कहा की आज यु.पी.एस.सी., सिविल सर्विसेस में आगे आने वाले लोगों की संख्या सर्वाधिक हिंदी प्रदेशों से हिंदी की ही है. संघ कार्यकर्ता, प्रचारक का उदहारण देते हुए उन्होंने बताया की चेन्नई से आने के बाद वह चार – पांच महीने में बोलने व समझने लायक हिंदी सीख लेते हैं. राजीव तुली ने हिंदी सीखने के लिए ‘स्व’ का अभिमान होने की बात कही. राजीव ने इसे अपना गौरव बताया कि वह उस देश से आते हैं जिसका प्रधानमन्त्री अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी हिंदी बोलते हैं.

अतुल भाई कोठारी – शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल भाई कोठारी ने अभी भी लोगों को अंग्रेजी दासता से बाहर आने की बात कही . कार्यक्रम का समापन करते हुए उन्होंने कहा कि अक्सर लोगों के घरों में टेबल पर अंग्रेजी अखबार पड़े मिलते है. किन्तु हकीकत यह है की उनके शयन कक्ष में हिंदी का ही अखबार होता है, वह तो सिर्फ बाहर से आने वालों के लिए रुतबा दिखाने के लिए अंग्रेजी अखबार रखते हैं. उन्होंने सोशल मीडिया की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाते हुए लोगों के अपने विवेक से काम लेने की सलाह दी.

कार्यक्रम में पत्रकारों व अन्य में उमेश चतुर्वेदी,  विद्या नाथ झा, अनिल पांडेय, सिद्धार्थ शंकर गौतम, संजीव सिन्हा, प्रमोद मलिक, राज्यसभा टी.वी. से अरविन्द सिंह, सुभाष गौतम आदि मौजूद थे. इस दौरान माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता संस्थान नोएडा के सौरभ मालवीय की पुस्तक का विमोचन भी किया गया.

Tags: # संपादक आनंद पांडे#इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र#मीडिया स्कैन#संपादक बृजेश कुमार सिंह#हिंदी पत्रकारिता
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