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जेल में बंद महिला कैदियों को बाइबल की शिक्षा, सर्वे से हुआ खुलासा

Tez Samachar by Tez Samachar
April 8, 2021
in Featured, देश
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जेल में बंद महिला कैदियों को बाइबल की शिक्षा, सर्वे से हुआ खुलासा
नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). हमारे देश में धर्मांतरण एक बहुत ही गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है. लेकिन इस पर हिन्दू संगठनों की आपत्ति के अलावा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. बड़े निजी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा के नाम पर अपने धर्म से इतर बाइबल का ज्ञान दिया जाता रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य कुछ मिशनरीज की तरह ही है जो कि ईसाई धर्म के प्रसाऱ प्रचार को लेकर काम करती रही हैं, लेकिन अब देश की जेलों में रह रहे कैदियों के बच्चों के साथ भी कुछ ऐसा ही होने की खबरें सामने आईं हैं. राष्ट्रीय बाल आयोग ने इस मुद्दे को लेकर कहा कि जेलों में प्रशासन द्वारा महिला कैदियों के बच्चों बाइबल की सीख दी जा रही हैं जो कि आपत्तिजनक बात है.
राष्ट्रीय महिला आयोग ने सर्वे के दौरान कुछ अजीबो-गरीब वाकए सामने आने की बात कही है. आयोग की रिपोर्ट बताती है, महिला कैदियों के बच्चों को देश के कई जेलों में उनके शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा जा रहा है. आयोग ने महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, और दिल्ली की अलग-अलग जेलों के संबंध में सर्वे किया जिसमें पाया कि इनमें से अधिकतर जेलों में बच्चों को उनके धर्मों के विपरीत किसी दूसरे धर्म की शिक्षा दी जा रही है जो कि उनके मौलिक अधिकारों का हनन है.
खबरों के मुताबिक कुछ जगहों पर अधिकारियों को बाइबल मिलीं जिसके बाद उनसे सवाल पूछे गए. इस मामले में बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने विस्तृत तौर पर बताया है कि आयोग ने इस बारे में पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज कराई है और इस मामले के अपराधियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की बात कही गई है. जो दिखाता है कि अब इस मामले में बाल आयोग काफी संवेदनशील हो गया है.
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि लखनऊ से लेकर गाजियाबाद तक की जेलों में जिन एनजीओ को बच्चों को शिक्षा देने की जिम्मेदारी दी गई है, इनमें से अधिकतर एनजीओ के शिक्षक बच्चों को बाइबल से संबंधित सीख दे रहे हैं जो कि आपत्तिजनक है. आयोग द्वारा गाजियाबाद में औचक निरीक्षण पर गए अधिकारियों ने पाया कि वो बच्चे इस धर्म के नहीं थे भी उन्हें बाईबल पढ़ाई जा रही है. इतना ही नहीं जेलों के लॉकर में करीब 26 बाइबल भी जब्त की गई है, जो कि जेलों के अंदर चल रहे एक धर्म विरोधी एजेंडों का उदाहरण हैं.
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि राज्यों में काम करने वाली मशीनरी इस मसले पर बच्चों के सभी हितों का पालन करने में पूर्णतः असमर्थ है. वहीं इस मामले में बाल आयोग की रिपोर्ट को लेकर संदिग्ध एनजीओ आशा दीप फाउंडेशन के एच के चेट्टी ने कहा कि हां वहां से 26 बाईबल  मिली थी, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम किसी को दबाव बनाकर बाईबल का ज्ञान दे रहे थे, अगर ऐसा होता तो प्रत्येक बच्चे के पास से एक-एक बाईबल निकलती.
साफ है कि ये मामला संदिग्ध है, और इस मुद्दा संदिग्ध है, ये सभी एनजीओ अब मिशनरी का एजेंडा चला रहे हैं. महिला कैंदियों के बच्चों को बाईबल का ज्ञान देकर अब ये एनजीओ लेफ्ट का एजेंडा चलाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना बेहद आवश्यक है क्योंकि इन हरकतों का जारी रहना देश में नई पीढ़ी को गलत रास्ते पर ले जा सकता है.
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