जलगाँव ( प्रतिनिधि ) – जलगांव जिले की चोपड़ा तहसील मध्य प्रदेश के चोरी-छिपे रास्तों से राज्य में आने वाले अवैध हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी का प्रमुख केंद्र बन गया है. चोपड़ा से मध्यप्रदेश कि सीमा जुड़े होने के कारण सातपुडा वन क्षेत्र से यह तस्करी सहजता से की जा रही है. अब तक चोपड़ा तहसील में मध्यप्रदेश सीमा के माध्यम से सौगान जैसी बहुमूल्य लकड़ी संपदा की तस्करी बड़े पैमाने पर होती रही है. किन्तु अब मादक पदार्थ, हथियार सीमा के इस पार बेचना आम बात हो चली है.
ऐसे में संबंधित अपराधियों पर नियंत्रण पाने में अब तक सफलता नहीं मिलने के कारण चोपड़ा ग्रामीण पुलिस ने अब तस्करी के रास्तों पर ऐसे बोर्ड लगाए हैं, जिन पर लिखा है कि “सावधान… देसी बंदूकें और गांजा बेचने वाले ही हमारे मुखबिर हैं ” . इस युक्ति के जगह जगह बोर्ड लगाकर चोपड़ा ग्रामीण पुलिस ने अपराधियों के बीच अनोखा भ्रम निर्माण किया है. इस तरह के चेतावनी भरे बोर्डों के जरिए खरीदारों को सतर्क कर विक्रेताओं को मुश्किल में डालने की कोशिश पुलिस ने की है.
सातपुड़ा के घने जंगलों में अनेर नदी के किनारे मध्य प्रदेश के उमर्टी जैसे कुछ गांवों में देसी बंदूकों का खुलेआम निर्माण किया जाता है. वहां तैयार होने वाली देसी बंदूकें मात्र 20,000 रुपये में आसानी से मिल जाती हैं, जिससे महाराष्ट्र सहित देश के कोने-कोने से कई खरीदार वहां लगातार मंडराते रहते हैं. मध्य प्रदेश के जंगल व दुर्गम इलाकों में स्थित इन देसी बंदूक कारखानों को बंद करना संभव न होने के बावजूद, मध्य प्रदेश से महाराष्ट्र में होने वाली तस्करी को रोकने के लिए जलगांव पुलिस द्वारा नाकाबंदी सहित अन्य कई उपाय वर्ष भर चलते रहते हैं. इसी वजह से कभी-कभी देसी बंदूकों की तस्करी करने वाले पकड़े भी जाते हैं.
हालांकि, तस्करी करने वाले तभी पकड़े जाते हैं जब बंदूक बनाने वाले ही पुलिस को इसकी जानकारी देते हैं. यानी, खरीदने के लिए 10 लोग आने पर उनमें से केवल दो ही पकड़े जाएंगे, इसका ध्यान देसी बंदूक बेचने वाले भी रखते हैं. इससे पुलिस को कार्रवाई का संतोष और बंदूक विक्रेताओं को अस्थायी राहत मिलती है. इस दुष्चक्र के कारण मध्य प्रदेश में अवैध हथियार निर्माण और बिक्री तथा महाराष्ट्र में होने वाली तस्करी को आज तक पूरी तरह से रोका नहीं जा सका है. यही स्थिति इन इलाकों में बिकने वाले गांजा व मादक पदार्थों की भी है.
इसी पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए, चोपड़ा ग्रामीण पुलिस थाने का हाल ही में कार्यभार संभालने वाले पुलिस निरीक्षक अनिल भवारी ने मध्य प्रदेश की देसी बंदूकें और मादक पदार्थों की सबसे अधिक तस्करी वाले रास्तों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है.
पुलिस अधीक्षक डॉ. महेश्वर रेड्डी, अपर अधीक्षक कविता नेरकर, उपविभागीय पुलिस अधिकारी अण्णासाहेब घोलप के मार्गदर्शन में उन्होंने गलंगी, उमर्टी, सत्रासेन, वैजापुर आदि इन गांवों के इलाकों में जगह-जगह मराठी भाषा में ऐसे बोर्ड लगाए हैं जिन पर लिखा है— “सावधान… देसी बंदूकें, गांजा खरीद रहे हैं? पुलिस की नजर आप पर है, क्योंकि आपको बंदूक और गांजा बेचने वाले ही पुलिस के मुखबिर हैं.” खास बात यह है कि नागरिकों को यह भी घोषणा की गई है कि यदि वे संदिग्धों और उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए वाहनों की जानकारी पुलिस को देंगे तो उन्हें उचित इनाम भी दिया जाएगा.
जलगाँव जिले की पुलिस के इस अनोखे भ्रम से अपराधियों व खरीददारों में असमंजस की स्थिति निर्माण हो गई है. इन बोर्डों की इस समय जिले में ही नहीं बल्कि दूर सुदूर भी चर्चा हो रही है.