( विशाल चड्ढा, 9890874467 ) – सदियों से खुखरायण हीरे प्रत्येक क्षेत्र में अपनी मेहनत, योग्यता व राष्ट्र के प्रति समर्पंणता का उदहारण प्रस्तुत कर रहे हैं. सेना हो यां साहित्य, व्यापार हो यां उच्च पद सभी स्थानों पर खुखरायण हस्तियों ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है. देश की आजादी से पहले से चला यह सिलसिला आज की युवा खुखरायण पीढ़ी तक निरंतर जारी है. ऐसे ही एक नायाब खुखरायण सुरिंदरनाथ कोहली का नाम भारतीय नौसेना के अलावा देश के इतिहास में बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है. खुखरायण सुरिंदरनाथ कोहली Admiral Surendranath Kohli एक प्रसिद्ध भारतीय नौसेना के पूर्व सैन्य अधिकारी और पूर्व नौसेना स्टाफ के मुखिया थे. उन्होंने 01 मार्च 1973 से लेकर 29 फरवरी 1976 तक भारत के नौसेनाध्यक्ष रूप में कार्य किया
खुखरायण सुरिंदरनाथ कोहली Admiral Surendranath Kohli का जन्म 21 जून, 1916 को पंजाब के अमृतसर में खुखरायण बी.एल. कोहली के घर में हुआ था. उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज, से शिक्षा प्राप्त की थी. शिक्षा पूरी होने के बाद, उन्होंने भारतीय नौसेना में कैडेट के रूप में अपने सैन्य करियर की शुरुआत की, और वह 25 जून 1938 को रॉयल इंडियन नेवी में शामिल हो गए थे. द्वितीय विश्व युद्ध के समय, एडमिरल सुरिंदरनाथ कोहली ने पेर्शियन गल्फ और दूर पूर्वी रंगस्थल में अपनी सेवाएं दीं. उन्होंने 1943 में ब्रिटेन में संचार विशेषज्ञ के रूप में योग्यता प्राप्त की. उन्हें 1946 में कार्यकारी लेफ्टिनेंट कमांडर के रूप में पदोन्नति दी गई और उन्होंने आरआईएन नौसेना मुख्यालय, एचएमआईएस डालहौजी पर अपनी सेवाएं दी. खुखरायण सुरिंदरनाथ कोहली Admiral Surendranath Kohli की कुशाग्रता को देखते हुए उन्हें दिसंबर 1948 में ब्रिटेन भेजा गया था, जहां उन्होंने डिस्ट्रॉयर्स अधिग्रहण के संबंध में कार्य किया.
उन्होंने 1965 में फ्लैग रैंक में उच्च पद प्राप्त किया और खुखरायण कोहली ने रियर एडमिरल के रूप में 1967 से 1969 तक भारतीय फ्लीट की कमान संभाली, इनकी इस जिम्मेदारी में एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत भी शामिल था. उन्हें जनवरी 1968 में परम विशिष्ट सेवा मेडल (पीवीएसएम) से सम्मानित किया गया था जिसे उनकी असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए दिया गया था.

खुखरायण सुरिंदरनाथ कोहली का सैन्य करियर चार दशकों से अधिक समय तक चला, इस दौरान उन्होंने भारतीय नौसेना में विभिन्न जिम्मेदारी पूरी कीं. उन्होंने पश्चिमी नौसेना कमांड और पूर्वी नौसेना कमांड के रूप में फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (FOC-IN-C) के तौर पर सेवा की, और फ्लैग ऑफिसर सी ट्रेनिंग भी रहे. उन्होंने नौसेना के मुख्य स्टाफ के नाम से नियुक्त होने से पहले भी नौसेना के उप मुख्य स्टाफ के रूप में सेवा की थी.
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, कोहली ने पश्चिमी नौसेना कमांड के रूप में FOC-IN-C की पदस्थापना की और कराची में पाकिस्तानी नौसेना के खिलाफ ऑपरेशन ट्राइडेंट और ऑपरेशन पाइथन में भारतीय नौसेना की पश्चिमी फ्लीट का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया. मुंबई के पश्चिमी नौसेना कमांड के फोस-इन-सी के रूप में नियुक्त होने से पूर्व, 12 फरवरी 1971 को, एडमिरल कोहली दो वर्षों तक राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के कमांडेंट रहे थे, जो हमारे देश के राजनीतिक-सैन्य क्षेत्र में उच्चतम शिक्षा का केंद्र है.
पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों में खुखरायण सुरिंदरनाथ कोहली की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. उन्होंने वर्ष 1965 व वर्ष 1971 के दोनों युद्ध में अपनी सुझबुझ, कौशल्य, नेतृत्व व राष्ट्र समर्पण का लोहा मनवाया.
1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, एडमिरल कोहली को उत्तरी अरबी सागर में सभी नौसेना अभियानों के लिए जिम्मेदारी दी गई. इसके साथ ही उन्हें पाकिस्तान से गोवा तक हमारे तटों की रक्षा भी सौंपी गई थी.

खुखरायण सुरिंदरनाथ कोहली की कुशाग्रता, कार्यक्षमता व जिम्मेदारी का इस बात से आंकलन लगया जा सकता है कि उन्हें भारतीय व्यापारी नौसेना के सुरक्षित मार्गनिर्धारण के लिए नियंत्रणकर्ता भी बनाया गया था. उनके बहादुर और कल्पनाशील नेतृत्व क्षमता के कारण ही पाकिस्तानी नौसेना को नुकसान पहुंचाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारतीय नोऊ सेना के कराची पर हमलों को नौसेना युद्ध के इतिहास में एक प्रमुख अटैक के रूप में दर्ज किया गया है. युद्ध के बाद उन्हें ” हार्बर और तटों की रक्षा के लिए कई योजनाओं को कार्यान्वित करने में असाधारण क्षमता, बुद्धिमत्ता और साहस दिखाने के कारण ” पद्म भूषण “ से सम्मानित किया गया.
खुखरायण सुरिंदरनाथ कोहली ने INS मैसूर (C60) और INS राणा (D115) के लिए निर्देशक के रूप में भी कार्य किया. उन्होंने अपने इन सभी योगदानों के लिए भारतीय नौसेना के कई पुरस्कार भी प्राप्त किए, जिसमें पद्म भूषण के अलावा परम विशिष्ट सेवा पदक भी शामिल है, जो भारत में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक है.

खुखरायण सुरिंदरनाथ कोहली KHUKHRAIN Admiral Surendranath Kohli एक अच्छे लेखक भी थे. भारतीय नौसेना के अपने प्रदीर्घ अनुभवों पर उन्होंने “ वी डेयर्ड “ व प्रख्यात पुस्तक सी पॉवर एंड द इंडियन ओसियन को लिखा. . खुखरायण सुरिंदरनाथ कोहली की पत्नी का नाम सुमित्रा कोहली था. सुरिंदरनाथ कोहली का निधन 21 जनवरी 1997 को 80 वर्ष की आयू में हो गया.
निश्चित ही आज देश विदेश में फैले खुखरायण समाज को अपने इस नायाब हीरे सुरिंदरनाथ कोहली पर गर्व होगा. उनकी विरासत भविष्य की नौसेना पीढ़ियों के साथ युवाओं व खुखरायण परिवारों को प्रेरित करती रहेगी. उनका योगदान भारतीय नौसेना में अद्वितीय और समर्पित रहा है, जिसने उन्हें देशवासियों के बीच गहरे सम्मान की प्राप्ति दिलाई है.



