नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). पिछले 21 दिसंबर को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को दो हफ्ते के अंदर हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया था. लेकिन एजेएल ने दिल्ली के आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश को डिविजन बेंच में चुनौती दी है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने 30 अक्टूबर को हेराल्ड हाउस खाली करने के लिए 15 नवंबर तक का समय दिया था. एजेएल ने केंद्र सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के समक्ष याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार का ये फैसला राजनीति से प्रेरित है. भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की नेहरूवादी नीतियों के विरोध की वजह से ये फैसला लिया गया है.
गौरतलब है कि नेशनल हेराल्ड से संबंधित एक और मामला पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहा है. पटियाला हाउस कोर्ट में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने याचिका दायर की है. एजेएल नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है. कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था. इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी जबकि बाकी की 24 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास है.
इसके बाद एजेएल के 10-10 रुपये के 9 करोड़ शेयर नई बनी कंपनी के यंग इंडियन को दे दिए गए. इसके बदले यंग इंडियन कंपनी को कांग्रेस का लोन चुकाना था. 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गए. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया. यानी यंग इंडियन को एजेएल का स्वामित्व मिल गया.