शराब का धंदा बन रहा बेरोजगारो के रोजीरोटी का जरिया
जामनेर ( नरेंद्र इंगले ): 14 अप्रैल की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन मे तालाबंदी को 3 मई तक जारी रखने की घोषणा की ! कोरोना वायरस से लड़ने के लिए कोई दवा नही है ! कोरोना के संक्रमण को फैलने से बचने का नुस्खा बन चुकी तालाबंदी आनेवाले दिनो मे देश को भुखमरी की ओर धकेल रही है ! भारत मे तालाबंदी शहरी और ग्रामीण इन दो हिस्सो मे बट चुकी है !
गांवो मे खरीप की उधेड़बुन मे लगे किसान रबी की फसल नही बेच पा रहे है ! शहरो मे लाखो कारखाने बंद होने के कारण करोडो बेरोजगार प्रतिदिन मिलनेवाले डेढ़ जीबी डेटा स्कीम पैक के रिचार्ज रकम भुगतान तक के लिए परेशान हो गए है क्यो की आमदनी जीरो हो गई है ! कुछ पैसे कमाने की चाह मे इन्ही बेरोजगारो मे से कुछ पर अपना पेट पालने के लिए अवैध शराब की तस्करी वाले व्यवसाय से जुड़ने की मजबूरी आन पड़ी है ! पुरे महाराष्ट्र मे बीते 21 दिनो के बीच देसी विदेसी , गावठी शराब के अड्डो पर जितनी कानूनी कार्रवाई हुई है उतनी शायद सालभर मे भी नही हुई होगी !
तहसिलदार अरुण शेवाले तालाबंदी के अधीन नियमो के अनुपालन की इतनी अनुशंसा करते नजर आ रहे है की जमाखोरी , नफाखोरी कालाबाजारी इन सब पर अब तक एक भी केस फाइल नही हो सकी है ! सरकारी गाडियो और संसाधनो का इस्तेमाल केवल तामझाम को चमकाने के लिए हो रहा है ! 15 दिन पहले तहसिलदार ने राजकुमार तथा मनोजकुमार कावड़िया बंधु की किराना फर्म पर दस्तक देकर दप्तर समीक्षा की थी जिसका बाद मे क्या हुआ इसका प्रशासन ने ब्योरा नही दिया और न हि किसी को कुछ पता चला ! इसी दौरान किसी अधिकारी द्वारा सरकारी रुतबे के बेजा उपयोग की खबरे भी सामने आई पर पीड़ित की शिकायत के अभाव मे मामला सेटल हो गया ! जानकारी यह भी मिल रही है कि विभिन्न प्रशासनिक इकाइयां अस्थायी लोगो को संचारबंदी मे विचरण के लिए गैरजरूरी पहचान पत्र जारी कर रही है जिनका सरकारी रेकॉर्ड मे भी कोई आधिकारिक रेकॉर्ड नही है !
आखिर इस तरह के पहचान पत्रो को जारी करने का क्या मकसद हो सकता है ? क्या इन पहचान पत्रो का संबंधितो द्वारा गलत इस्तेमाल किया जा सकता है ? या फिर शायद किया जा रहा हो ! इस तरह के तमाम सवालो के जवाब उन प्रशासनिक इकाइयो के पास मिल सकते है ऐसी उम्मीद करना मतलब तालाबंदी नियमो की अवमानना करने जैसा होगा ! जामनेर पुलिस ने पुरी ईमानदारी के साथ शहर मे अवैध शराब पर ताबड़तोड़ कार्रवाई का अपना सिलसिला जारी रखा है ! पुलिस की लाख कोशिशो के बाद भी गावठी शराब का व्यवसाय आखिर कैसे फ़लफूल रहा है ? तालाबंदी के कारण बेकार बैठे बेरोजगार कुछ पैसो के खातिर क्या वाकई अपराध के इस प्रासंगिक सिस्टम का हिस्सा बन रहे है ? यहि आलम रहा तो जब तालाबंदी खुलेगी तब इसी तालाबंदी के दिनो को याद करके आम नागरिक अपराध जगत की उस नई धारणा को कभी भुला नही सकेंगे जो नई शक्ल लेकर समाज को खोखला कर सकती है ! क्या तब कानून व्यवस्था आनेवाले इन सब संकटो से निपट सकेगी ! कई सवाल उठ रहे है जिसके चलते सवाल हि सवाल बन चुके है जवाब नदारद है ! सजग शहरी होने के नाते हर नागरिक का यह कर्तव्य बनता है कि इस तरह की संभावनाओ का तार्किक आधार पर खंडन करे !
जिलाधिकारी के आदेश के मुताबिक 15 अप्रैल से जरूरी चीजें जैसे कि अस्पताल , मेडिकल , सब्जी , दुध वगैरे सेवाएं सुबह 11 से शाम 5 बजे तक खुली रहेगी ! जलगांव जिला ऑरेंज जोन मे है जिसके चलते आशा है कि अन्य कारोबार भी जल्द हि पटरी पर आ जाए तो शराब तस्करी जैसे अन्य कई आपराधिक गतिविधिया समय रहते नियंत्रित हो सकेगी !