ओसियन सेवन बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटे
नई दिल्ली ( स्नेहलता ) – प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के अंतर्गत हरियाणा के अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में धोखाधड़ी, ठगी, मनी लॉन्ड्रिंग और मानसिक उत्पीड़न के गंभीर मामलों में ओसियन सेवन बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर स्वराज सिंह यादव के खिलाफ चौथी एफआईआर दिल्ली पुलिस की EOW आर्थिक अपराध शाखा में बायर्स द्वारा दर्ज की गई है। इससे पहले अब तक तीन एफआईआर हरियाणा में हो चुकी है । हैरत की बात यह है कि इनमें धारा 406, 409, 420, 120B एवं 34 IPC के तहत आपराधिक मुकदमे दर्ज होने के बावजूद गुरुग्राम पुलिस द्वारा अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है जबकि पहली एफआईआर को दर्ज हुए लगभग तीन महीने बीत चुके हैं। यह पुलिस पर दवाब की गंभीर तस्वीर पेश करता है। जिसके चलते हजारों पीड़ित खरीदारों का हरियाणा पुलिस एवं प्रशासन से विश्वास उठता जा रहा है।
ओसियन सेवन बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड की हरियाणा में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत प्तीरारंभ की गईं तीन प्रमुख परियोजनाएँ — एक्सप्रेसवे टावर्स (सेक्टर 109), द गोल्फ हाइट्स (सेक्टर 69) और द वेनिशियन (सेक्टर 70) साल 2016 से अधूरी पड़ी हैं। इन परियोजनाओं के एस्क्रो खातों से धन की बड़ी हेराफेरी (फंड डायवर्जन) की आशंका जताई जा रही है। जानकारी मिली है कि बिल्डर ने फॉरेंसिक ऑडिट के लिए सहयोग नहीं किया और QPR (Quarterly Progress Report) तक जमा नहीं की। इसके बावजूद गुरुग्राम पुलिस द्वारा अब तक बिल्डर और उसके साथ नामजद की गिरफ्तारी नहीं की गई है ।
दिल्ली ईओडब्ल्यू में दर्ज इस FIR में बिल्डर पर हजारों खरीदारों के साथ धोखाधड़ी का आरोप है और उनके जमा कराए पैसों के एस्क्रू अकाउंट में मनी लॉन्ड्रिंग और हेर-फेर की शिकायत करते हुए कार्यवाही की मांग कर बिल्डर को गिरफ्तार करने की गुहार लगाई गई है।
FIR में यह भी उल्लेख है है कि ओसियन सेवन बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड का यह ठगी का पैटर्न केवल हरियाणा तक सीमित नहीं है। वर्ष 2006-07 से कंपनी द्वारा महाराष्ट्र (Amchee Mumbai, नेरल, कर्जत, रायगढ़) तथा राजस्थान (Amber Garden, जयपुर; Kot Farms, Kot Residency एवं Kot Industrial Estate, कोटपुतली) में भी ऐसी ही धोखाधड़ी की गई है। OSB बिल्डर का मॉडल रहा है कि पहले खरीदारों से राशि वसूल करना, फिर परियोजना रोक देना, कुछ वर्षों बाद स्थानीय कार्यालय बंद कर देना, और बाद में उसी संपत्ति को दूसरे खरीदारों को दोबारा बेचना। कई खरीदारों के मूल दस्तावेज भी बिल्डर ने रिफंड के बहाने ले लिए, पर न पैसा लौटाया और न ही संपत्ति दी।
आज देशभर में 5000 से अधिक खरीदार इस बिल्डर की धोखाधड़ी के शिकार हैं। कई लोगों ने अपनी जीवनभर की पूंजी गँवा दी, और कुछ खरीदार तो इंतजार करते-करते अब इस दुनिया में नहीं रहे। जहां संपत्तियों के दाम हर पाँच वर्ष में दोगुने-तीन गुने हो गए, वहीं खरीदारों के हिस्से में केवल धोखा, मानसिक यातना और निराशा आई। इस दीपावली भी इन घर खरीदारों की दीपावली निराशा में ही जाएगी।
यह भी उल्लेखनीय है कि HRERA गुरुग्राम के चेयरमैन ने तीन वर्षों तक एक्सप्रेसवे टावर सेक्टर 109 की कुल 33 स्वतः संज्ञान (suo moto) सुनवाईयों के बाद भी यह कहते हुए सुनवाई बंद कर दी कि उनके पास पर्याप्त अधिकार नहीं हैं। जबकि बायर्स ने बताया कि RERA अधिनियम की धारा 35 के तहत उन्हें सिविल कोर्ट जैसी शक्तियाँ प्राप्त हैं — जिसमें वे जुर्माना लगा सकते हैं, FIR दर्ज करने की अनुशंसा कर सकते हैं तथा अन्य दंडात्मक कार्यवाही कर सकते हैं। फिर भी 3 साल बर्बाद करके रेरा चेयरमैन ने बिल्डर पर कोई कार्यवाही नहीं की।

