मनमाने बिल : ठाकरे सरकार जनता से कौनसे ? पापो का प्रायश्चित करवा रही है
जामनेर (नरेंद्र इंगले): बिजली बोर्ड़ का लंबित भुगतान भाजपा सरकार का पाप है , ऊर्जा मंत्रालय ने रियायत को लेकर सात बार सरकार के समक्ष प्रस्ताव भेजा पर आर्थिक तंगी के कारण कोई फैसला नही हो सका , अगर बोर्ड को बचाना है तो लोगो को बिजली के बिल भरने हि पड़ेंगे महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री डॉ नितीन राउत के इस बयान ने तालाबंदी मे झुलस रही जनता को शॉक लगा दिया है . ठाकरे सरकार ने 31 मार्च तक लंबित बिजली बिलो का भुगतान करने का आदेश पहले हि जारी कर दिया है . तोडू कार्रवाई के दम पर बोर्ड द्वारा 70 फीसदी तक वसूली कर ली गई है . जनता से बिजली बिल भरने की अपील और सख्ती करने वाले ऊर्जा मंत्री जनता से आखिर कौनसे पापो का प्रायश्चित करवा रहे है ? तीन दलो को मिलाकर बनाई गई ठाकरे सरकार की लोकप्रियता का अंग बनना आम आदमी का पाप था ? क्या मुख्यमंत्री की विनम्र छबि को प्रेम करना पाप है ? जिसका हर्जाना लोगो को अपना पेट काटकर चुकाना पड़ रहा है . बोर्ड की बदहाली भाजपा का पाप है तो बिलो के नाम पर उपभोक्ताओ से अतिरिक्त पैसो की जबरन उगाही कौनसा पुण्य है ? घाटे के नाम पर बोर्ड का पूर्ण निजीकरण यह सरकारी साजिश तो नही ? तालाबंदी के दौरान प्रति यूनिट 22 फीसदी तक बिजली के दर बढ़ाना यह सरकार का पुण्य है ? विपक्ष के आरोपो के मुताबिक अतिरिक्त वसूली स्कैम और लूट का नया मॉडल हो सकता है ?
पूरे मामले पर मुख्यमंत्री चुप क्यो है ? शिवसेना के मेनिफेस्टो मे बिजली दरो मे 30 फीसदी तक के कटौती का दिया गया आश्वासन क्या था ? जनता के सैकड़ो सवाल है जिनके जवाब आर्थिक तंगी के हवाले से गायब कर दिए गए है . कोरोना पर नियंत्रण के लिए CM ने पूर्ण तालाबंदी के संकेत दे दिए है जिसे जमकर ट्रोल किया जा रहा है . कोरोना का रोना रो रही राज्य सरकार की आर्थिक शोषण वाली नीति से लोग काफी आक्रोशित है . नए रोजगार नही , जो है वो आंशिक तालाबंदी से समाप्त किए जा रहे है , गरीब की बचत तक खत्म की जा रही है . राष्ट्र और महाराष्ट्र की नीति और राजनीती एक चश्मे से देखी जाने लगी है . सूबे के हालात ऐसे है कि अगर आज विधानसभा के आम चुनाव घोषित करवाए जाते है तो बहुमत विपक्ष के पक्ष मे होगा .