– जम्मू-कश्मीर और लद्दाख होंगे केंद्र शासित प्रदेश
– उचित समय पर फिर राज्य बनाएंगे : अमित शाह
नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). सोमवार की तारीख 5 अगस्त 2019 भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गई. आज 70 वर्ष के बाद भारत शत-प्रतिशत रूप से स्वतंत्र हो गया है. केंद्र सरकार ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया. इसके साथ ही राज्य के पुनर्गठन का रास्ता भी साफ हो गया. देश के गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक भी पेश कर दिया, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. विधेयक राज्यसभा से पास हो गया. इसके पक्ष में 125 और विरोध में 61 वोट पड़े. जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाए जाने के बाद देश की आजादी के बाद रियासतों को एकजुट कर भारत में शामिल करने के लिए संघर्ष करनेवाले भारत के लोहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल भी आज मुस्कुरा रहे होंगे.
– समय आने पर दिया जाएगा राज्य का दर्जा
राज्यसभा में हंगामे के बीच हुई चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि हमारा इरादा केंद्र शासित राज्य की व्यवस्था को लंबे समय तक बनाए रखने का नहीं है. उचित समय आने पर हम फिर राज्य बना देंगे.
– राष्ट्रपति ने किए हस्ताक्षर
इससे पूर्व राष्ट्रपति ने संविधान आदेश (जम्मू-कश्मीर के लिए) 2019 पर हस्ताक्षर किए. संसद सत्र चालू होने की वजह से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में इससे जुड़ा संकल्प भी पेश किया. थोड़ी ही देर बाद सरकार ने इस बारे में अधिसूचना भी जारी कर दी.
– 70 सालों से टेम्परेरी शब्द को ढो रही थी धारा-370
अमित शाह ने कहा कि नेहरूजी ने भी कहा था कि 370 घिसते-घिसते घिस जाएगी, लेकिन उन्होंने इसे इतने जतन से रखा कि ये 70 साल में घिसी नहीं. टेम्परेरी शब्द 70 साल तक कैसे चला, इस प्रावधान को कैसे चलाना है?
– 1947 में पड़ी थी अनुच्छेद 370 की नींव
26 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह ने विलय संधि पर दस्तखत किए थे. उसी समय अनुच्छेद 370 की नींव पड़ गई थी, जब समझौते के तहत केंद्र को सिर्फ विदेश, रक्षा और संचार मामलों में दखल का अधिकार मिला था. 17 अक्टूबर 1949 को अनुच्छेद 370 को पहली बार भारतीय संविधान में जोड़ा गया.
– राज्य पुनर्गठन विधेयक पेश
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लिए सरकार ने सोमवार को राज्य पुनर्गठन विधेयक भी पेश किया. इसे बाद में पास कराया जाएगा. शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर दिल्ली और पुड्डुचेरी की तरह केंद्र शासित प्रदेश रहेगा यानी यहां विधानसभा रहेगी. वहीं लद्दाख की स्थिति चंडीगढ़ की तरह होगी, जहां विधानसभा नहीं होगी.
– गुलाब नबी आजाद ने किया विरोध
जब राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो सभापति एम वेंकैया नायडू ने शाह से जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक पेश करने को कहा. इस पर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कश्मीर में कर्फ्यू है. तीन पूर्व मुख्यमंत्री नजरबंद कर दिए गए हैं. राज्य में हालात वैसे ही हैं, जैसे जंग के वक्त होते हैं. विधेयक तो पारित हो जाएगा. हम विधेयक के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमें पहले कश्मीर के हालात पर चर्चा करनी चाहिए. हमने इसी को लेकर नोटिस भी दिया है. एक घंटे उस पर चर्चा होनी चाहिए. आजाद के बयान पर शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर हर जवाब देने को तैयार हूं और यह विधेयक भी कश्मीर के संबंध में ही है.
– पीडीपी सांसद ने फाड़े कपड़े
चर्चा के दौरान पीडीपी के सांसद मीर फैयाज और नजीर अहमद लावे संविधान का उल्लंघन कर रहे थे, जिसके चलते नायडू ने दोनों को सदन से बाहर जाने को कहा. इन सांसदों ने संविधान की प्रति भी फाड़ी. गुलाम नबी ने कहा कि पीडीपी के सांसदों द्वारा किए गए काम की निंदा करता हूं. हम भारत के संविधान के साथ हैं. हम संविधान की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा देंगे. लेकिन भाजपा ने आज संविधान की हत्या कर दी.
– 3 परिवारों की बपौती थी धारा-370
शाह ने कहा- अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को 3 परिवार लूट रहे थे. आजाद ने कहा कि अनुच्छेद 370 भारत को जम्मू-कश्मीर से जोड़ता है, यह सही नहीं है. महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर 27 अक्टूबर 1947 पर दस्तखत किए थे. अनुच्छेद 370 1954 में अस्तित्व में आया.
– संसद पहुंचने पर मुस्कुराए थे शाह
संसद भवन पहुंचने पर पत्रकारों ने शाह से कश्मीर पर बड़े फैसले को लेकर सवाल पूछा, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और मुस्कुरा कर अंदर चले गए. कांग्रेस ने दोनों सदनों में स्थगन नोटिस दिया और कार्यवाही से पहले गुलाम नबी आजाद के चेंबर में बैठक की.
– जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक भी पेश
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर में आर्थिक पिछड़े वर्गों को 10% आरक्षण संबंधी बिल भी पेश किया, जो 28 जून में लोकसभा से पास हो चुका है. मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल 2019 में कश्मीर में सीमा से सटे इलाकों के नागरिकों को विशेष आरक्षण देने का प्रावधान किया है. ताकि उन्हें भी आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर बराबरी का मौका मिल सके. शाह ने कहा कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों को शेल्टर होम में रहना पढ़ता है. कई दिनों तक बच्चों को यहां रहना पड़ता है. स्कूल बंद रहते हैं. उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है. इसलिए उन्हें आरक्षण दिया जा रहा है. इससे साढ़े तीन लाख लोगों को फायदा होगा.
– जम्मू-कश्मीर के हर वर्ग को आरक्षण का लाभ मिलेगा
गृह मंत्रालय द्वारा पेश किए गए बिल के तहत जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 में संशोधन किया गया है. राज्यसभा में बिल पास होने से अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा. आरक्षण नियम में संशोधन कहता है कि कोई भी व्यक्ति जो पिछड़े क्षेत्रों, नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतराष्ट्रीय सीमा (आईबी) से सुरक्षा कारणों से चला गया हो उसे भी आरक्षण का फायदा मिल सकेगा.