पिछले दिनों ट्वीटर पर आए एक कमेंट पर नजर टिक गई। कहा गया था- आलिया भट्ट का डम्ब गर्ल खिताब सोनाक्षी सिन्हा ने छीन लिया। अंग्रेजी शब्द डम्ब के अर्थ शब्दकोश में गूंगा, मूक, मूढ़ और मूर्ख मिलते हैं। चर्चित टीवी शो-कौन बनेगा करोड़पति में इतिहास और पौराणिक प्रसंग से जुड़े दो आसान से सवालों के जवाब फिल्म अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा नहीं दे पाईं। बस क्या था, सोशल मीडिया पर सोनाक्षी की खिंचाई शुरू हो गई। ट्रोलर्स को उन्होंने जिस अंदाज में जवाब देने की कोशिश की उसे बहुत से लोगों ने पसंद नहीं किया। खिंचाई चलती रही। एक वरिष्ठ पत्रकार ने सटीक प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उनका कहना है कि जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति को हर विषय की जानकारी हो लेकिन गलती होने पर घमंडपूर्ण कुतर्क की बजाय खेद व्यक्त कर मामला शांत कर लेना चाहिए। सोनाक्षी इस मामले में चूक गई।
कौन बनेगा करोड़पति में महानायक अमिताभ बच्चन ने सवाल किया था कि महाराणा प्रताप के समकालीन मुगल शासक का नाम क्या है। जवाब बहुत आसान था। सोनाक्षी इसका जवाब नहीं दे पाईं। इतिहास की मामूली जानकारी रखने वाले भी बता देंगे कि महाराणा प्रताप ने अकबर की सेना से लोहा लिया था। दूसरा सवाल और आसान था। सोनाक्षी और उनके साथ हॉट सीट पर बैठीं एक अन्य प्रतिभागी से पूछा गया था कि हनुमान किसके लिए संजीवनी बूटी लाए थे? चलिए, महाराणा प्रताप और अकबर संबंधी सवाल का उत्तर सोनाक्षी को याद नहीं आया लेकिन उन्हें तो संजीवनी बूटी वाले आसान से सवाल का जवाब भी नहीं मालूम था। लोगों को आश्चर्य होना स्वाभाविक है। हिंदुओं से आमतौर पर अपेक्षा की जाती है कि उन्हें इस तरह की सामान्य जानकारी होगी ही। रावण के पुत्र मेघनाथ द्वारा शक्ति का प्रयोग किए जाने से मूर्छित लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान संजीवनी बूटी लाए थे। देश में ऐसी हजारों हनुमान प्रतिमाएं और लाखों फोटो होंगी जिनमें हनुमान जी को द्रोणगिरी पर्वत उठाये हुए दिखाया गया है। इसी पर्वत पर संजीवनी बूटी का पौधा लगा हुआ था। सोनाक्षी से लोगों की नाराजगी का एक और कारण है। उनके पिता का नाम शत्रुघन सिन्हा है। शत्रुघन के भाइयों के नाम राम, लक्ष्मण और भरत हैं। सोनाक्षी के भाइयों के नाम लव और कुश हैं। सोनाक्षी जिस मकान में रहतीं हैं उसका नाम रामायण है। ऐसे राममयी परिवार की बेटी को रामायण से जुड़ी एक आम जानकारी नहीं होना आश्चर्य की बात तो है।
याद करें, फिल्म अभिनेत्री आलिया भट्ट के लिए सोशल मीडिया पर डम्ब शब्द का उपयोग किया था? इसके बाद आलिया के सामान्य ज्ञान को लेकर चुटकुलों का दौर चल निकला? टीवी कार्यक्रम कॉफी विथ करन में करन जौहर ने सवाल किया था कि भारत के राष्ट्रपति का नाम बताएं। आलिया के मुंह से अचानक निकल गया, पृथ्वीराज चव्हाण। खास बात यह रही कि आलिया ने आलोचनाओं को बहुत सामान्य रूप से लिया। वह स्वयं पर बनाये जाने वाले चुटकुलों का आनंद उठाने लगीं। आलिया का यह अंदाज लोगों को भाया। दूसरी ओर, सोनाक्षी ने जवाबी अंदाज में लोगों को अहंकार दिखा। एक तीखा कटाक्ष पढऩे में आया। किसी ने लिखा है, सूर्पनखा की नाक लक्ष्मण ने काटी थी लेकिन यहां शत्रुघन की नाक सोनाक्षी ने काट डाली। सार्वजनिक जीवन या ग्लैमर वल्र्ड में रहते हुए प्रशंसा या आलोचना दोनों के ही जवाब देते समय सावधानी की उम्मीद की जाती है। यानी, ना तो प्रशंसा पर अधिक उडऩे की जरूरत है और ना ही आलोचनाओं पर खीझने की। विनम्रता, सहनशीलता और धैर्य जरूरी है। यदि गलती हुई है, तो खेद व्यक्त करें, क्षमा मांगें और मामला निबटा लें। ऐसा करके छीछालेदर से बच सकते हंै।
लेकिन, केवल आलिया और सोनाक्षी पर ही क्यों निशाना साधा जाए। अपने आसपास नजर डालिए। ऐसे लोग बड़ी संख्या में मिल जाएंगे जो सामान्य ज्ञान या सामान्य जानकारियों के मामले में सिरे से शून्य हैं। हर आयु और वर्ग में ऐसी विभूतियां मिल जाएंगी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को ही लें। कुछ माह पूर्व वह जर्मनी और जापान की सीमाएं लगीं हुईं बता कर मजाक विषय बन चुके हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मार्च 2018 में एक महाविद्यालय की छात्राओं से बात करते हुए यह कह कर लोगों को चौंका दिया था कि उन्हें एन.सी.सी. के विषय में नहीं मालूम है। लेब्राडोर प्रजाति के कुत्ते के बारे चल रही बातचीत को किसी शहर के विषय में चर्चा समझ बैठी बॉलीवुड की एक पूर्व स्टार को ससुराल में मजाक का पात्र बनना पड़ा था। अभी पिछले दिनों की ही बात है, ट्रेन से जाते हुए दो युवतियों की सामान्य ज्ञान चर्चा को सुनकर सिर धुन लेने का मन हुआ। वो नवोदय विद्यालय की शिक्षक भर्ती परीक्षा देने जा रहीं थीं। दोनों भावी शिक्षिकाओं का कहना था कि अरूणंाचल प्रदेश और मेघालय समुद्र से लगे हुए हैं। पत्रकारिता में स्नातकोत्तर उपाधि धारक एक युवती ने हद ही कर दी थी। उसका कहना था कि मिस्र(इजिप्ट)त्रिपुरा में है। लगभग तीन दशक पूर्व का एक प्रसंग भूले नहीं भुलाता। जबलपुर में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल की एक शिक्षिका ने प्रायमरी के एक बच्चे की टेस्ट कापी में इस उत्तर को गलत बताया था कि बिहार की राजधानी पटना है। काफी बहस के बाद उस भद्र महिला को अपनी गलती का अहसास कराया जा सका। आंखों देखी एक और घटना याद आ रही है। बरसों पुरानी बात है। रेल्वे रिजर्वेशन के लिए लंबी लाइन लगी थी। धाराप्रवाह अंग्रेजी बोल रहीं दो युवतियों से रिजर्वेशन फार्म भरते नहीं बन रहा था। उनकी दशा पर वहां मौजूद लोग मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। यू ट्यूब पर एक वीडियो देख कर बड़ा दुख़ हुआ। गिटपिट इंग्लिश बोल रहीं कई युवतियां और युवक काठमांडु को हिमाचल या उत्तराखंड में होना बता रहे थे। भारत के राष्ट्रपति और गृहमंत्री के नाम नहीं बता पा रहे थे। दुनिया में क्या चल रहा है इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। देश की समस्याओं से पूरी तरह अनभिज्ञ थे।
सामान्य जानकारियों और सामान्य ज्ञान का अभाव दर्शाते इन उदाहरणों का मकसद किसी का मजाक उड़ाना कतई नहीं है। इस बीमारी से विकसित और सम्पन्न देश तक जूझ रहे हैं। अमेरिका में पाया गया है कि वहां ऐसे युवाओं की खासी तादाद है जिन्हें वैश्विक मामलों की धेले भर जानकारी नहीं है। हमारी चिंता का विषय यह होना चाहिए कि हमारी युवा पीढ़ी में भी ऐसे लोगों की संख्या क्यों बढ़ रही है? उन्हें सामान्य ज्ञान और सामान्य जानकारी जुटाने में कोई रूचि क्यों नहीं है? जबकि, ये हमारे व्यक्तित्व को निखारने, व्यवहार में परिपूर्णता लाने और लोगों के साथ सही बर्ताव में मददगार होते हैं। सामान्य ज्ञान और जानकारियां रखने वाला व्यक्ति अन्य से दो कदम आगे ही होता है। इनसे विषयों के विश£ेषण में मदद मिलती है। दोनों के विषय में काफी लिखा जा सकता है। मुद्दा यह है कि तमाम किताबी पढ़ाई-लिखाई के बीच इन दो विषयों की इतनी अनदेखी क्यों हो रही है। कुछ दोष स्कूली माहौल का है। वहां किताबी ज्ञान के साथ-साथ छात्रों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान नहीं दिया जा रहा । कुछ दोष पारिवारिक माहौल का है। बच्चों और अभिभावकों के बीच सामान्य ज्ञान और जानकारियों पर चर्चाओं से काफी कुछ सीखना-सिखाना संभव है। इसके परिणाम भले ही धीरे-धीरे मिलें लेकिन बच्चों को जो हासिल होगा वह मजबूत होगा। बचपन से ही प्रश्र करने और उनके जवाब तलाशने की प्रवृत्ति पनपती है। सोचिये, बचपन से लेकर अब तक सोनाक्षी के मन में यह प्रश्र क्यों नहीं उठा कि हनुमान प्रतिमा में पर्वत का क्या महत्व है। जाहिर है कि प्रश्र उठता तो वह जवाब अवश्य तलाशतीं। उत्तर घर ही मिल जाता।