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सावधान ! इन शब्दों पर दें ध्यान , बचा लें अपनी जेब कटने से

Tez Samachar by Tez Samachar
November 13, 2019
in Featured, प्रदेश
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सावधान ! इन शब्दों पर दें ध्यान , बचा लें अपनी जेब कटने से

        सावधान ! इन शब्दों पर दें ध्यान , बचा लें अपनी जेब कटने से

(संदीप माली  9503305043)  भुसावल मंडल में रेलवे के अंतर्गत चोरी व जेब काटने की घटनाओं का प्रमाण बढता ही जा रहा है. यात्री कितना भी चौकन्ना रहे फिर भी नज़र हटी दुर्घटना घटी कहावत के आधार पर ट्रेन में सामान साफ़ हो जाता है.  भुसावल मंडल रेलवे के अंतर्गत इन दिनों जेब कतरो की जो सांकेतिक भाषा उभरकर आ रही है. वह अपने आप में निर्माण की गई संवाद की एक शैली बनी हुई है. संवाद की प्रक्रिया के लिए संकेतो को यदि सकारात्मकता के साथ जोडा जा सकता है तो वही इन संकेतो व शब्दों को अपराध के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है. जेब कतरो की इजाद की गई भाषा का जब तक गंभीर अध्ययन नहीं होगा तब तक जेब कतरी की घटनाओं में कमी नहीं आ पाएगी.
ट्रेन में यात्रियों के सामान पर हाथ साफ करते हुए यदि कोई पुलिस कर्मी आ जाता है तो कहा जाता है की मख्खी आ गई या फिर ढोला आ गया.
 समझते हैं जेबकतरों की भाषा –
जेब कतरो की भाषा में दो हजार के नोट को थान, १०० रूपए के नोट को गज, ५०० रूपए के नोट को गांधी यां बापू, फुटकर १० या २० रूपए को  पाव, ५० रूपए को आधा गज कहा जाता है. इसी प्रकार से जेबकतरों ने अपने धंधे के लिए एक शब्दकोश सा तैयार किया है.
यह भाषा शैली खंडवा, बुराहनपुर से होते हुए चालीसगांव, मनमाड, पश्चिम रेलवे मार्ग पर अमलनेर, दोंडाईचा, नंदुरबार, नवापुर होते हुए सुरत तक प्रभाव रखती है. इस भाषा व जेब कतरी का सर्वाधिक  प्रयोग सुरत लाईन पर ही होता है.
जेबकतरों की इस भाषा शैली की दाद देनी पड़ेगी कि इस धंदे में समय के अनुसार वाक्य रचना यां शब्द बदल लिए जाते हैं. इस भाषा शैली में पैंट की पिछली जेब को पुठ्ठा, उपर की जेब को उपली यां सित्तल, अंदर की जेब को अंटी यां वाच, साईड की जेब को सद्दर कहा जाता है.
उंगली के ब्लेड को ताश यां चाबी, चाकू को घाव यां काव, देख रहा है को झड रहा है, औरत देख रही तो छावी झड रही है, औरत को नथनी यां छावी, लडके को धुर, बुजूर्ग व्यक्ती को सुड्डा, सोए हुए व्यक्ती को मुरदे का खाया है, खडे व्यक्ती को जिंदा का खाया है, मोबाईल चोरी पर डिब्बा मिला है, पर्स आदि के लिए चमडे का सौदा कहा जाता है.
चोरी यां जेबकतरी की घटना पूरी होने के बाद दूसरे जेब कतरे को सांकेतीक भाषा में छोडने की बात कहते हुए टेक दे शब्द का प्रयोग किया जाता है. यदि घटना क्रम में कोई सचेत हो जाता है तो उसे धुर बीली कहकर निकल लिए जाता है. जेबकतरो के पांचो उंगलीयों पर ब्लेड लगाये रहते है. जिन से बडी सहजता के साथ जेब काटी जाती है. दो समुहों में पैसे यां चोरी का माल बाटने के लिए गुड्डी कर लेंगे शब्द का प्रयोग कर खिसक लिया जाता है.
इस सारी प्रक्रिया में पहले स्थिती का मुआईना करने के लिए एक जेबकतरो की टीम पहुँचती है फिर वह चीजों व रक्कम की स्थिती का अवलोकन करते हुए अपनी इसी सांकेतिक भाषा में दूसरी टीम को सारे हालात मुसाफिरो के सामने ही बयान कर देते है. जिसके बाद माल साफ़ करने की प्रक्रिया को  मूल अंजाम तक पहुंचा दिया जाता है. बेचारा मुसाफिर समझ भी नहीं पाता की उसके पडोस में बैठा व्यक्ती जेब काटने यां चोरी का सारा मार्ग प्रशस्त कर गया है. इस सारी घटना के बाद जेबकतरे जाते समय अपने साथियों के लिए एक और सांकेतिक भाषा बोल देते हैं. इस वाक्य “टेक दे”  शब्द सुनने के बावजूद भी मुसाफिर यह नहीं समझ पाता की उसका सामान चोरी हो गया है और उसे अब छोड दिया जाए.
सूरत लाईन पर इस तरह की वारदातो का यह आलम है की पलक झपकते ही यात्री का सामान चोरी हो जाता है. विगत कुछ दिनों में मोबाईल चोरी की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धी हुई है. लचर जांच, शिकायत व्यवस्था के कारण यह घटनाएं दर्ज नहीं हो पाती. क्योंकी रेलवे पुलिस के नियम, स्थानीय पुलिस के नियम, घटना स्थल, पंचनामा सभी पेचीदा बाते पीढित को और भी जटील अवस्था में जोड देती है. जिसके चलते भुसावल मंडल व पश्चिम रेलवे के इन स्टेशनों पर यह सांकेतिक भाषा फल फूल रही है.

                   
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Tags: #खानदेश समाचारbhusawal railwaychaddha classesjee classesneet classespick pocketजेबकतरीपॉकेटमार
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