
क्या जमाना आ गया है! राम-नाम जपने वाले भी बम और छुरियां बनाने लगे हैं … और बम-छुरे वाले भी दिखावे के लिए राम का नाम लेने लगे हैं. इससे अयोध्या के ‘टेंट में विराजे राम जी’ भी बदनाम होने लगे हैं. एकदम अविश्वसनीय घटनाक्रम में मुंबई के नालासोपारा क्षेत्र में ‘सनातनी साधक’ वैभव राऊत को एटीएस ने आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर गिरफ्तार कर लिया. उसके साथ ही शिव प्रतिष्ठान संस्था से जुड़े सुधन्वा गोंधलेकर और हिंदू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता शरद कलस्कर को भी गिरफ्तार किया गया. इन तीनों के पास से 20 देसी बम सहित 50 देसी बम बनाने लायक विस्फोटक सामग्री जब्त होना बेहद आश्चर्यजनक है. आरोप है कि ये लोग आगामी बकरी ईद पर मुंबई, पुणे, सातारा सहित कई शहरों को दहलाने और दंगे भड़काने की साजिश कर रहे थे.
हमने पहले भी कई बार कहा है कि आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता. कोई धर्म नहीं होता. वह हर रंग-रूप-धर्म में निंदनीय है. वैभव राऊत की गिरफ्तारी के बाद सनातन संस्था ने उसे अपना सदस्य मानने से इनकार तो किया, मगर उसे ‘हिंदू धर्म-रक्षक’ जरूर बता दिया. बता दें कि वैभव ‘कट्टर गोरक्षक’ और हिंदुत्व का प्रचारक रहा है. वह कई स्कूलों-कालेजों में जाकर भारतीय संस्कारों पर ज्ञान भी बांटता था. ऐसे ‘भगवा चोलाधारी’ का आतंकी गतिविधियों में शामिल होकर बम बनाना, दांतों तले उंगली दबाने जैसा है. सनातन संस्था का आरोप है कि एटीएस ने इससे पूर्व भी कई निर्दोष हिंदुत्ववादियों को आतंकी-मामले में गिरफ्तार किया था, जिन्हें अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया है. जबकि कुछ लोगों पर मामले अभी भी चल रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने एक जनसभा में कहा था कि कई लोग रात में समाज-विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं और खुद को ‘महान समाजसेवक’ दर्शाने के लिए दिन में ‘गौरक्षक’ का चोला पहन लेते हैं. ऐसे लोगों की पहचान कर राज्य सरकारों ने इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए! …तो क्या महाराष्ट्र एटीएस की कार्रवाई इसी का नतीजा है? कई दिनों से एटीएस, गौरी लंकेश के हत्यारों द्वारा नाम बताए जाने के कारण वैभव राऊत पर कड़ी नजर रख रही थी. आखिर वह एटीएस के जाल में फंस ही गया. सवाल है कि क्या ये ‘कट्टरपंथी’ वाकई ईद पर बम विस्फोट करके राज्य भर में हिंसा और दंगे भड़काने की साजिश रच चुके थे? कहीं ये लोग राज्य में जारी ‘मराठा आरक्षण आंदोलन’ की आड़ में कोई बड़ा षड्यंत्र तो नहीं कर रहे थे? क्योंकि मराठा मोर्चा समन्वय समिति ने महाराष्ट्र बंद के दौरान हुई हिंसा की सीआईडी जांच की मांग भी की है. अब तो किसी पर भी विश्वास करना कठिन है.
दूसरी ओर, कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह सप्रा ने वैभव को ‘हिंदू आतंकवादी’ बोलकर फिर एक नया विवाद छेड़ दिया है. वहीं ‘तीन तलाक बिल’ के मामले पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हुसैन दलवाई ने एक विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि भगवान राम ने भी एक बार शक करते हुए अपनी पत्नी सीताजी को छोड़ दिया था! इस पर विवाद बढ़ते ही उन्होंने माफी भी मांग ली. वहीं प्रवीण तोगड़िया ने एक बार फिर राममंदिर निर्माण शुरू करने की मांग को लेकर मोदी सरकार को घेर लिया. समझ में नहीं आता कि ये लोग ‘धर्म, गाय और राम’ के नाम पर कब तक देश को छलते रहेंगे? कहीं कट्टरवादिता की जड़ें हमारे देश की सौहार्द्रता को खोखला तो नहीं कर रही हैं? वैभव, हुसैन और तोगड़िया जैसी समस्याएं किसी एक वर्ग या मजहब की नहीं, बल्कि पूरे देश की हैं. समाज का कोई भी अंग अगर खतरे में है, तो समझिए कि पूरा देश खतरे में है. इसलिए ‘मुंह में राम …और बगल में छुरी’ रखने वालों से हम सबको सावधान रहना चाहिए.
‘गुलशन-परस्त हैं हम, हमें गुल ही नहीं अजीज…
कांटों से ही निबाह किए जा रहे हैं हम।’



