किसी दुकान से खरीदा गया सामान, समय रहते बदला जा सकता है. ऑनलाइन मंगाई गई वस्तु भी समय सीमा के भीतर वापस भेजी जा सकती है. शादी के बाद कोई पति या पत्नी भी अगर निकम्मी निकल जाए, तो कानूनन तलाक लेकर पिंड छुड़ाया जा सकता है. लेकिन अगर कोई साल (वर्ष) ही खराब निकल जाए, तो क्या किया जा सकता है? क्या उसे आग लगायी जा सकती है? क्या उसे कूड़ेदान में डाल सकते हैं? या फिर ट्रंप चच्चा जैसे बंकर में छुप सकते हैं? 2020 का झमेला अब और नहीं झेला जा रहा है. अब तो पूरी दुनिया के लोग इसे कोसते हुए कहने लगे हैं… ‘गो 2020, गो! 2020… वापस जाओ!’
इस जून माह के अंत तक यह वर्ष 2020 आधा फिनिश हो जाएगा, लेकिन अभी से लगने लगा है कि इसने सब कुछ फिनिश कर दिया है. सब कुछ तबाह कर दिया है. लोगों का जीना हराम कर दिया है. सब एक-दूसरे से पूछ रहे हैं कि क्या होगा आगे? कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि ऊपरवाले ने वर्ष 2020 को हमारी ‘सुपारी’ देकर हमें निपटाने के लिए ही भेजा है. हर शहर, हर महानगर, हर गली में ‘कोरोना रूपी यमदूत’ दिखाई देते हैं. घर से बाहर निकलो, तो वायरस का डर लगता है. घर में बैठे रहो, तो भूकंप के झटके लगते हैं. खिड़की खोलो, तो साइक्लोन (चक्रवात तूफान) आते हुए दिखता है. दरवाजा खोलो, तो चीनी सैनिक सामने खड़े दिखते हैं. शांति की बात करो, तो पाकिस्तानी फौज की गोलीबारी नजर आती है. कुछ नहीं करो, तो आतंकवादी ही आ धमकते हैं. खेतों में जाओ, तो टिड्डी दल हमला कर देता है. आखिर हम करें, तो क्या करें? जिएं, तो जिएं कैसे….?
वैसे, इस साल का नाम तो ट्वेंटी-20 है, लेकिन जिस स्पीड से यह जा रहा है, लगता है कि कोई टेस्ट मैच खेल रहा हो… और उसमें भी न यह पारी खत्म कर रहा है, ना आउट हो रहा है. इसका एक-एक दिन अब भारी पड़ रहा है. सबसे पहले इसने जनवरी में आस्ट्रेलिया के जंगलों में ऐसी आग लगाई, जैसे एकता कपूर के सीरियलों में किसी सास-बहू ने लगाई हो! फरवरी में दिल्ली में सीएए-विरोधी दंगे हुए, तो लोगों ने कहा कि ऐसे दंगे हमने पहले कभी नहीं देखे. फिर मार्च में कोरोना ही आ गया… जो सर्वत्र छा गया. लोगों ने कहा कि ऐसी महामारी उन्होंने कभी नहीं देखी. फिर लॉकडाउन हुआ, तो ऐसा हुआ कि कभी किसी ने ऐसा बंद, ‘बाप जनम’ में भी नहीं देखा था. इससे तो गली के कुत्ते भी घबरा गए कि भौंकना कब है और सोना कब है?
दरअसल, यह किसी हॉरर (डरावनी) फिल्म से कम नहीं है. इसमें (फिल्म) निर्माता ने सारे के सारे एक्शन-ड्रामा-थ्रिलर-इमोशन आदि के सीन एक साथ डाल दिए हैं. और मजा देखिये कि यह फिल्म मार्च महीने से जो शुरू हुई है, तो अब तक खत्म (पूरी) होने का नाम ही नहीं ले रही है! भारत के लगभग साढ़े तीन लाख लोग इसे देख-भुगत चुके हैं. और करीब 10 हजार लोग इसके चक्कर में परलोक जा चुके हैं. पहली बार तेरे काल में 14 करोड़ लोग हो चुके हैं बेरोजगार…, और कितने मारेगा यार! तुझे समझा था हमने भाई, … मगर तू तो निकला कसाई! धिक्कार है तुझे 2020…. तू क्यों कर रहा सब कुछ फिनिश?
जब यह नया वर्ष 2020 शुरू हुआ था, तब लगभग सभी ने अपने-अपनों को खुशहाली और समृद्धि की शुभकामनाएं दी थीं, पर वे फली ही नहीं! करोड़ों लोगों ने नए साल के नए संकल्प भी लिए थे, वे शायद ही इस वर्ष के शेष 195 दिनों में पूरे होंगे! सब की आर्थिक हालत खराब हो चुकी है. सरकार की तिजोरी भी ठन-ठन गोपाल है. देश की अर्थव्यवस्था तो निचुड़े हुए नींबू की तरह दिख रही है. लगता है कि धरती पर बेहिसाब बढ़ गए थे पाप… इसीलिए प्रकृति को भी हो गया संताप! प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा ने भी कहा है कि वर्ष 2020 किसी तरह जिंदा रहने का साल है! तो आप और हम सब किसी तरह कोरोना वायरस से बच जाएं… यही हमारी हार्दिक शुभकामनाएं….