 ऐसी एक नहीं, पचासों कहावतें आजकल महाराष्ट्र में चरितार्थ हो रही हैं. भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस को दोबारा मुख्यमंत्री (और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री) बना कर यह साबित कर दिया कि वह ‘सौ सुनार की’ (शिवसेना की) चोट पर ‘एक लुहार के बड़े प्रहार’ से रातों-रात सत्ता की बाजी पलटने में माहिर है. यहां कहा जा सकता है कि ‘मोदी है तो मुमकिन है!’ वैसे अजित पवार के दोनों हाथों में लड्डू थे. वे महाशिव-आघाड़ी की सरकार में भी उपमुख्यमंत्री बनने ही वाले थे, लेकिन स्थिर और स्थायी सरकार के नाम पर भाजपा की नवगठित देवेंद्र सरकार में उपमुख्यमंत्री बन गए. यहां केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का वह बयान काबिलेगौर है, ‘राजनीति और क्रिकेट में अंतिम समय तक कुछ भी हो सकता है. जब लगता है कि आप हार रहे हों, तब बाजी पलट जाती है!’ गडकरी के इस बयान वाले दिन ही यह तय हो गया था कि महाराष्ट्र की राजनीति अंतिम क्षणों में नई करवट लेगी. और रातों-रात यह सब हो गया.
ऐसी एक नहीं, पचासों कहावतें आजकल महाराष्ट्र में चरितार्थ हो रही हैं. भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस को दोबारा मुख्यमंत्री (और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री) बना कर यह साबित कर दिया कि वह ‘सौ सुनार की’ (शिवसेना की) चोट पर ‘एक लुहार के बड़े प्रहार’ से रातों-रात सत्ता की बाजी पलटने में माहिर है. यहां कहा जा सकता है कि ‘मोदी है तो मुमकिन है!’ वैसे अजित पवार के दोनों हाथों में लड्डू थे. वे महाशिव-आघाड़ी की सरकार में भी उपमुख्यमंत्री बनने ही वाले थे, लेकिन स्थिर और स्थायी सरकार के नाम पर भाजपा की नवगठित देवेंद्र सरकार में उपमुख्यमंत्री बन गए. यहां केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का वह बयान काबिलेगौर है, ‘राजनीति और क्रिकेट में अंतिम समय तक कुछ भी हो सकता है. जब लगता है कि आप हार रहे हों, तब बाजी पलट जाती है!’ गडकरी के इस बयान वाले दिन ही यह तय हो गया था कि महाराष्ट्र की राजनीति अंतिम क्षणों में नई करवट लेगी. और रातों-रात यह सब हो गया.