मेरे भारत देश, तुम्हारा क्या होगा?
मजदूरों का क्लेश, तुम्हारा क्या होगा?कौनसी सरकार है, जो लुटती नहीं तुम्हें?
कौनसी समस्या है, जो तोड़ती नहीं तुम्हें?
महामारी-बेरोजगारी में तुम कैसे खो गए?
‘ताले’ के हवाले हो, बर्बाद कैसे हो गए?
कोविड का है वेश, तुम्हारा क्या होगा?
मेरे भारत देश, तुम्हारा क्या होगा?सियासती खेलों से, तुम ऐसे कैसे हो गए?
भटकती हुई रेलों में, तुम ऐसे कैसे खो गए?
‘आत्मनिर्भर’ खेत में क्यों विदेशी बीज बो गए?
क्यों राष्ट्रनेता यहां धृतराष्ट्र बनकर सो गए?
सारे हैं नागेश, तुम्हारा क्या होगा? मेरे भारत देश, तुम्हारा क्या होगा?‘दो गज दूरी’ ताक पर, यह नीति कैसी हो गई?
कोरोना बीमारी क्यों पाप जैसी हो गई?
रसातल में धंसी क्यों आर्थिकी बेहाल है?
कर्जों के जंजाल में क्यों फंसा नौनिहाल है?
संकट का परिवेश, तुम्हारा क्या होगा?
मेरे भारत देश, तुम्हारा क्या होगा?शांति को छोड़ क्यों आतंकियों की टोलियां?
जाति-वर्ग-भेद है, क्यों हिंसकों की बोलियां?
खेली क्यों जाती खंजरों से खूनी होलियां?
बारूदों पर कैसे बैठे, जहां बम गोलियां?
ढूंढोंगे अवशेष, तुम्हारा क्या होगा?
मेरे भारत देश, तुम्हारा क्या होगा?सोने की उस चिड़िया का क्या हुआ बताओगे?
स्वतंत्रता की वर्षगांठ पर क्या उसे लाओगे?
लॉकडाउन के तमाशे, क्या ये केवल झांकी हैं?
नंगा-भूखा भारत है, अब क्या होना बाकी है?
घायल गांधी के संदेश, तुम्हारा क्या होगा?
मेरे भारत देश, तुम्हारा क्या होगा?– सुदर्शन चक्रधर