देश में दुष्कर्म की घटनाएं लगातार हो रही हैं. दरिंदे, हैवानियत की सारी हदें पार कर रहे हैं. कोई युवती हो या मासूम बच्ची, ये नरपिशाच किसी को नहीं छोड़ रहे हैं. रेप के बाद लड़की की गला दबाकर या पत्थरों से कुचलकर उसकी हत्या कर देना ….और फिर उसकी लाश जला देना ….बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. देश के हर हिस्से में निरंतर ऐसी आपराधिक घटनाओं के बढ़ने से लोगों में गुस्सा है, आक्रोश है. ऐसी हर घटना के बाद लोग सड़कों पर उतरते हैं, कैंडल मार्च निकालते हैं, विरोध-प्रदर्शन करते हैं. दो-चार दिनों तक यह सिलसिला चलता है …और फिर समय के साथ खत्म हो जाता है. न्याय-प्रक्रिया बहुत धीरे-धीरे चलती है, ….इसलिए बरसों बाद हुआ न्याय भी न्याय नहीं लगता.
समाज की इस बुराई पर राजनीति भी जमकर होती है. विपक्ष के नेता सत्तापक्ष को कोसने लगते हैं, ताकि सरकार बदनाम हो और आम जनता भविष्य में सत्ताधारी दल से नफरत करने लगे. कांग्रेस शासनकाल में जब दिल्ली में 7 साल पहले ‘निर्भया कांड’ हुआ था, तब नरेंद्र मोदी ने व्यंग्य करते हुए आरोप लगाया था कि इन्होंने दिल्ली को अब ‘रेप कैपिटल’ बना दिया है ….और उसके कारण पूरी दुनिया में हिंदुस्तान की बेइज्जती हो रही है. आपके पास मां-बहनों की सुरक्षा के लिए न कोई योजना है, ना आप में कोई दम है, ना इसके लिए आप कुछ कर सकते हैं. मोदी के ऐसे दमदार विचार सुनकर जनता ने उन्हें देश का प्रधानमंत्री बना दिया, मगर इनके शासन में भी ‘ढाक के तीन पात वाली स्थिति दिख रही है.
अब कांग्रेस विपक्ष में है. सो उसके 50 वर्षीय युवा नेता राहुल गांधी, नरेंद्र मोदी और भाजपा को आईना दिखा रहे हैं. झारखंड की एक चुनावी रैली में राहुल ने कहा कि आज जहां देखो, वहां से रेप की खबरें आ रही हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ‘मेक-इन-इंडिया’ की बात करते हैं, मगर यहां तो ‘रेप-इन-इंडिया’ हो गया है. उनके इसी बयान को बीजेपी ने पकड़ लिया और संसद सत्र के आखिरी दिन राहुल को घेरकर उन से माफी मांगने के लिए कहा. जिद्दी राहुल ने इससे इनकार कर दिया, तो शिवराज सिंह, राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी जैसे नेता उन्हें ‘निर्लज्ज’ कहने लगे.
संसद में स्मृति ईरानी चीखीं- ‘राहुल के रेप-इन-इंडिया का मतलब ये है कि क्या हिंदुस्तान में महिलाओं का बलात्कार होना चाहिए?’ राहुल गांधी मुर्दाबाद और राहुल गांधी शर्म करो के नारे भी लगाए गए. इस तरह शीतकालीन सत्र के आखिरी 2 घंटे ‘तेरी फटी, मेरी फटी’ के शोरगुल में खराब हो गए. संसद में आखिरी पड़ाव तक हंगामा होता रहा और फिर लोकसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी.
ऐसे नजारे विरले ही दिखते हैं, जब सत्तापक्ष हंगामे पर उतर आए और इसके कारण सदन की कार्यवाही ठप हो जाए. लेकिन शुक्रवार को पुरानी रवायत तोड़ दी गई, क्योंकि बीजेपी को राहुल गांधी की घेराबंदी करनी थी.
उधर राहुल गांधी की मानें, तो यह हंगामा असम और पूर्वोत्तर राज्यों में जारी हिंसा से देश का ध्यान भटकाने की कोशिश ही थी. राहुल के अनुसार बीजेपी और मोदी-शाह ने असम को जलाया है. उससे ध्यान हटाने के लिए मेरे ऊपर आरोप लगा रहे हैं. जबकि मोदी ने भी कई बार दिल्ली को ‘रेप कैपिटल’ कहा था. अब वे महिला-उत्पीड़न पर एक शब्द भी क्यों नहीं बोल रहे हैं? क्या यही है उनका ‘बेटी बचाओ अभियान’? …तो अब रेप पर एक-दूसरे को बयानों की आड़ में आईना दिखाया जा रहा है. मां-बहनों की इज्जत के नाम पर देश में निर्लज्ज राजनीति की जा रही है. क्योंकि अब तो बजट-सत्र में ही बैठेगी. इसलिए इस सत्र के आखिरी घंटे पर राजनीति का मजमा लगाने में कोई किसी से पीछे क्यों रहता?