देश में सर्वत्र लॉकडाउन है. सड़कें सूनी हैं. कोई आवाजाही नहीं है. ऐसे में 5-5 गाड़ियों में 23 लोगों को सातारा जिले के पर्यटन स्थल महाबलेश्वर जाने की छूट आखिर कैसे मिल गई? यह डीएचएफएल कंपनी का वह वाधवान परिवार है, जिस पर 30 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप है. एडीजी स्तर के प्रधान गृह सचिव अमिताभ गुप्ता ने इन्हें अपना ‘पारिवारिक मित्र’ बताकर सैर-सपाटा करने के लिए ही वीवीआईपी पास जारी किया था. इसलिए ये लोग खंडाला से महाबलेश्वर पहुंच गए. ये वही लोग हैं जिन्होंने आपका और हमारा पैसा लूटा है. जिन को जेल में होना चाहिए, वे पिकनिक मना रहे थे. कैसा है देश का कानून, जिसे तोड़ने की खुली छूट घोटालेबाजों को मिल जाती है और आम आदमी अभाव में दम तोड़ता नजर आता है!
अगर यह सच नहीं, तो आरोपी वाधवान परिवार को पिकनिक स्थल पर जाने की इजाजत कैसे मिली? वह भी 23 लोगों को 5 गाड़ियों के साथ! यह सवाल सिर्फ अकेले महाराष्ट्र का नहीं, बल्कि पूरे देश का है. क्या महाराष्ट्र में पैसे वालों और घोटालेबाजों के लिए लॉकडाउन नहीं है? क्या उद्धव सरकार के बड़े-बड़े शर्माओं के इशारे पर ही वाधवान ब्रदर्स को यह छूट मिली? क्या इसके बदले सरकार को या उसके नुमाइंदों को कोई बड़ा फायदा मिला?
आखिर हमारे देश में यह क्या हो रहा है? एक ओर तो गरीबों, मजदूरों और आम आदमी को लॉकडाउन में घर से निकलने पर पुलिस की लाठियां खानी पड़ती हैं. उनकी गाड़ियां जब्त की जाती है और यहां तो राज्य के प्रधान गृह सचिव गुप्ता ही इन घोटालेबाजों को ‘मेरे करीबी मित्र’ बोलकर वीवीआइपी पास जारी कर देते हैं. सब जानते हैं कि मुंबई अब कोरोना का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बना हुआ है. पूरे महाराष्ट्र की 13 करोड़ आबादी लॉकडाउन में है, लेकिन जिनके पास पैसा है, जो रसूखदार हैं, जिनकी सत्ता में पहुंच है, उनके लिए लॉकडाउन तोड़ना मामूली बात है. क्या इस अक्षम्य अपराध के लिए राज्य के गृहमंत्री को इस्तीफा नहीं देना चाहिए? क्या अब इस परिवार के पीछे छिपे ‘आकाओं’ का भी पर्दाफाश नहीं होना चाहिए? जिस एडीजी स्तर के अधिकारी अमिताभ गुप्ता ने घोटालेबाज वाधवान परिवार पर कृपा बरसाई, उसे ऐसा करने की इजाजत आखिर किसने दी? जिनके खिलाफ ईडी और सीबीआई के केस चल रहे हैं, जिनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट हैं, फिर भी उन्हें भी वीवीआईपी पास देने का मतलब दाल में बहुत कुछ काला है.
आखिर सवाल है कि क्या सरकार के जिम्मेदार अफसर ऐसे बड़े आरोपियों को घूमने-फिरने की छूट देकर राज्य भर में कोरोना फैलाने की छूट नहीं दे रहे हैं? जबकि ईडी और सीबीआई इन्हें ढूंढ रही है. समन भेजने पर ये आरोपी बीमार होने का बहाना बना देते हैं. मगर सरकार के आशीर्वाद से लॉकडाउन में भी पिकनिक मनाने चले जाते हैं. इसके लिए एडीजी गुप्ता समेत बड़े नेताओं की भी जांच होनी चाहिए. इसके पीछे असली राज क्या है. आरोप यह भी है कि इस घोटालेबाज वाधवान परिवार के लिंक दाऊद इब्राहिम और इकबाल मिर्ची से भी जुड़े हैं. इसलिए यह मामला और गंभीर हो जाता है. सरकारी संरक्षण में इनकी पिकनिक-यात्रा आखिर क्या दर्शाती है? गृह मंत्री अनिल देशमुख इनके खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई करने की बात कहते हैं और मुख्यमंत्री इस पर कुछ बोलना ही नहीं चाहते! तो क्या कल को इकबाल मिर्ची और दाऊद इब्राहिम को भी इनकी सरकार के अफसर पिकनिक मनाने की वीवीआईपी पास जारी कर देंगे?
पूछताछ के लिए ईडी और सीबीआई के सामने न जाकर स्ट्रॉबेरी खाने और पिकनिक मनाने के लिए महाबलेश्वर जाने का यह एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है. इससे साफ जाहिर होता है कि इनका राज्य में उच्चस्तर पर कितना बड़ा ‘लेन-देन’ है. यह दुर्भाग्य ही है यहां लॉकडाउन सिर्फ गरीबों, मजदूरों और आम जनता के लिए ही है. यहां पैसे वाले बड़े लोग, राज्यकर्ताओं से मिलकर कभी भी नियम कानूनों की धज्जियां उड़ा सकते हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कोरोना की इस जंग में एक कुशल योद्धा की तरह अच्छा काम कर रहे हैं. लेकिन उनकी पीठ में खंजर कौन घोंप रहा है? यह भी खोज का विषय है.