समूचे विश्व को ‘कोरोना’ की मिल गई खैरात… और हमारे देश में ‘वायरस’ बांट रही एक ‘जमात’! इस जमात के आत्मघाती पिस्सु (विषाणु) देश के 16 राज्यों में फैल चुके हैं. इसलिए सावधान रहिए. सुरक्षित रहिए. घर में ही रहिए. लेकिन जो मौलाना साद, कल तक यह कह रहा था कि ‘मस्जिद में अगर मौत आती है, तो उससे अच्छी कोई मौत नहीं है!’ वही मौलाना अब मस्जिद और अपना घर छोड़कर भाग गया है. फरार है. पुलिस उसे ढूंढ रही है. इसी मौलाना के भड़काने पर जमात के आत्मघाती पिस्सुओं ने देश का जीना मुश्किल कर दिया है. अस्पतालों में इस खतरनाक वायरस के पिस्सु अपना जहर फैला रहे हैं. ‘हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी लेके’ वाली बात हो गई है.
गाजियाबाद के एक अस्पताल में भर्ती कुछ जमातियों ने नर्सों के सामने नग्न होकर अश्लील हरकतें कीं. न केवल उनसे बीड़ी-सिगरेट मांगा, बल्कि एक डॉक्टर पर थूक भी दिया. उन्होंने यहीं पर साथ मिलकर नमाज भी पढ़ीं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं किया. उधर, इंदौर के एक थर्ड क्लास इलाके में जांच के लिए पहुंची स्वास्थ्य कर्मियों की टीम पर यहां के असामाजिक तत्वों ने हमला कर दिया. पत्थर मारे. लाठियों से पीट-पीट कर दौड़ाया. रांची, जयपुर, मेरठ और अन्य शहरों में भी इसी प्रकार की खबरें आयीं. इन सभी पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया गया है. कुछ की गिरफ्तारी भी हुई है.
आखिर यह सब यह सब क्या हो रहा है? क्यों हो रहा है? क्या ये लोग मानवता पर कलंक नहीं है? हालांकि देश के तमाम बुद्धिजीवी लोग इनकी निंदा और भर्त्सना कर रहे हैं, लेकिन कुछ ‘रद्दीजीवी’ लोग इनके समर्थन में भी उतर आए हैं. हैदराबाद के एक घोर सांप्रदायिक नेता असदुद्दीन ओवैसी कहते हैं कि जो कोरोना से मरेगा, वह ‘शहीद’ कहलाएगा. कहीं के एक मौलाना ने तो 50 करोड़ लोगों के कोरोना से मौत की दुआ मांगी है. सारी हदें पार कर रहे हैं ये लोग! आखिर इन्हें समस्त मानव-सभ्यता से प्यार क्यों नहीं है? क्या ये लोग सृष्टि पर इसी तरह का हाहाकार मचाना चाहते हैं? क्यों ये लोग सरकारी नियम-कानूनों का पालन नहीं करना चाहते? क्या सरकार ने केवल इन्हीं लोगों पर ‘लॉकडाउन’ किया है? क्यों ये लोग अपने इस विरोध को ‘एनपीआर-एनआरसी’ से जोड़ रहे हैं? अरे भाई जान, जिंदा रहोगे …तो जमकर सरकार का विरोध कर लेना. मगर अभी तो अपने बचने का उपाय कर लो! जान है, तो जहान है कि नहीं?
अब जरा ये ‘मेगा इवेंट’ वाले मोदी जी की बात! कमाल हो गया है जी! पहले 22 मार्च को थाली-ताली बजवा दी. अब इस रविवार, 5 अप्रैल को ‘दीया जलाओ …बत्ती बुझाओ’ की अपील कर दी है. अरे प्रधानमंत्री जी, यहां कोरोना आया है, कोरोना! कोई दिवाली नहीं आयी है. आपने तो ‘मास्क पहनाओ, इलाज कराओ’ का नारा देना चाहिए था. मगर आप तो अपनी इंटरनेशनल इमेज चमकाने के लिए ‘मेगा इवेंट’ करवाने लगे! खैर, सोशल मीडिया पर चमकने की चाहत रखने वाले आपके प्रशंसक और लाखों फेसबुकिये- व्हाट्सएपिये’ लोग अपने-अपने घरों में दीया भी जलाएंगे और बत्ती भी बुझायेंगे. मगर हम सबने आज प्रण लेना चाहिए कि ‘कोरोना को हराएंगे… देश को जिताएंगे!