गोवा (तेज समाचार डेस्क). गोवा राज्य के उच्च माध्यमिक विद्यालय की पाठ्यपुस्तक में छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज का अनादर करनेवाला पाठ पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, जो अत्यंत क्लेशदायक है. हिन्दू जनजागृति समिति ने इसकी कठोर शब्दों में निंदा करते हुए चेतावनी दी कि अपने आदर्श राजाओं के विषय में इस प्रकार का झूठा इतिहास कोई भी हिन्दू नहीं सहेगा. इतिहास की यह पुस्तक शासन तुरंत पीछे ले, अन्यथा समस्त शिवप्रेमी सड़क पर उतरकर तीव्र आंदोलन करेंगे.
– छवि बिगाड़ने का प्रयास
गोवा शासन की कक्षा 11वीं की इतिहास की पाठ्यपुस्तक में एक परिशिष्ट ‘गोवा का इतिहास’ के नाम पर जोडा गया है. उसमें असत्य लिखा हुआ है कि गोवा के बार्देश तहसील पर छत्रपति शिवाजी महाराज ने आक्रमण कर लगातार तीन दिन तक गांवों को लूटा और जलाया था. छोटे बच्चों और महिलाओं को बंधक बनाकर रखा था तथा कुछ को तो मार डाला था. जबकि यह विधान पूरी तरह से छत्रपति शिवाजी महाराज की छवि के विपरित लिखा गया है और उनकी प्रतिष्ठा को मलिन करता है. ‘पर स्त्री माता समान’ इस धर्मवचन के अनुसार आचरण करनेवाले और शत्रुओं की स्त्रियों को भी सम्मान पूर्वक उनके घर भिजवानेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज के चरित्र पर इस प्रकार से कीचड उछालना, एक बडा अपराध ही है. इसलिए इस लेख के लेखक और उसे पाठ्यपुस्तक में समाविष्ट करनेवाले सभी अधिकारियों के विरुद्ध अपराध प्रविष्ट कर उनपर तुरंत कठोर कार्रवाई की जाए, यह मांग भी हिन्दू जनजागृति समिति के गोवा राज्य समन्वयक डॉ. मनोज सोलंकी ने इस समय की. सोलंकी ने कहा कि ऐसी घटना पहली बार नहीं हुई है. इसके पहले भी वर्ष 2008 में एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक में छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान किया गया था. उसका तीव्र विरोध और आंदोलन करने पर शासन ने वह पुस्तक हटा दी थी. शासन ने इस बार भी इस पुस्तक के परिशिष्ट को पीछे नहीं लिया, तो उसी प्रकार का आंदोलन पुनः किया जाएगा.
– अगले पाठ्यक्रम से हटा दिया जाएगा पाठ
इस प्रकरण में तुरंत कार्रवाई हो, इसके लिए गोवा राज्य शिक्षा संचालक वंदना राव को शिवप्रेमी संगठनों के प्रतिनिधि मंडल ने ज्ञापन दिया. इस समय शिक्षा संचालकों ने कहा कि ‘यह विषय गंभीर है. अगले पाठ्यक्रम में यह भाग नहीं लिया जाएगा तथा अन्य किसी भी पाठ्यक्रम में ऐसा कुछ मिलने पर हमें बताएं, उसपर भी कार्रवाई की जाएगी’, यह आश्वासन दिया. इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के सत्य विजय नाईक, सनातन संस्था की शुभा सावंत और शांति मामलेदार, ‘स्वराज्य गोमंतक’ के प्रमुख प्रशांत वालके और महेश शिरगांवकर, गोमंतक मंदिर महासंघ के भाई पंडित, शिवप्रेमी मयूरेश कुष्टे, पर्वरी के धर्मप्रेमी केशव चोडणकर तथा जयेश थली, दयानंद गावकर, अंकुश नाईक आदि उपस्थित थे.