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चीनी वायरस भारत के लिए संकट व चुनौती कम और अवसर ज्यादा

Tez Samachar by Tez Samachar
April 25, 2020
in Featured, देश, विविधा
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चीनी वायरस भारत के लिए संकट व चुनौती कम और अवसर ज्यादा

चीनी वायरस भारत के लिए संकट व चुनौती कम और अवसर ज्यादा

25 अप्रैल – स्वदेशी संकल्प दिवस पर विशेष

हाल ही में चीन के सांख्यिकी विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार चीन की अर्थव्यवस्था पिछले वर्ष की तुलना में 2020 वर्ष की पहली तिमाही के दौरान 8.1 प्रतिशत सिकुड़ गई है. पिछले तीन दशकों में यह गिरावट पहली बार देखी गई है. एक तरफ चीन के कोरोना महामारी की मार के कारण उसको अपने उत्पादन केंद्रों को बंद करना पड़ा तो दूसरी और दुनिया भर में इस महामारी के प्रकोप के चलते अन्य देशों में चीनी माल की खपत में भी भारी कमी के चलते चीन में लॉकडाउन के खुलने के बाद भी मांग में उठाव दिखाई नहीं दे रहा है. चीनी माल के विदेशी ग्राहकों ने या तो अपने ऑर्डरों को स्थगित कर दिया है अथवा निरस्त कर दिया है. नए और पिछले ऑर्डरों के भी भुगतान नहीं आ पा रहे हैं. यानि कहा जा सकता है कि पिछली तिमाही में जो गिरावट चीन की अर्थव्यवस्था में आई है, उसमें अगली तिमाही में भी सुधार आने की कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही.
चीन से बढ़ती विमुखता
कोरोना महामारी के पहले से ही अमेरिका ने चीन के विरोध में व्यापार युद्ध छेड़ रखा था. अमेरिकी राष्ट्रपति ने आयात शुल्क बढ़ाते हुए चीन से आने वाले आयातों पर अंकुश लगाना शुरू कर दिया था. कोरोना महामारी के बाद अमेरिका द्वारा चीन के द्वारा इस वायरस को या तो जानबूझकर फैलाने अथवा जानबूझकर उसके खतरों को दुनिया से छिपाने के बारे में कई आरोप भी लगाए जा रहे हैं. अमेरिका ने इस बारे में तहकीकात करने का भी काम शुरू कर दिया है. स्वाभाविक है कि इस सबके चलते चीन से अमेरिका को निर्यात प्रभावित होंगे. उधर, इस संकट के समय दुनिया के अधिकांश देश आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए अभी भी चीन पर निर्भर हो रहे हैं. मेडिकल उपकरण, टेस्ट किट, मास्क, सैनिटाइजर समेत कई चीजों का आयात चीन से हो रहा है. लेकिन चीनी सामान की खराब क्वालिटी के चलते वे देश चीन से नाराज हैं और कई मामलों में खराब क्वालिटी के कारण चीन की खेपों को वापिस भी भेजा जा चुका है.
विभिन्न देश ऐसा मान रहे हैं कि कोरोना महामारी के प्रकोप के पीछे चीन जिम्मेदार है. कई स्थानों पर तो चीन से खामियाजा वसूलने की भी बात चल रही है. गौरतलब है कि पिछले 20 सालों से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी चीनी वस्तुओं की भरमार बढ़ती जा रही थी. यही नहीं चीन की सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियां बड़ी मात्रा में अलग-अलग देशों में निवेश कर रही हैं. चीन के प्रति विश्व में बढ़ते अविश्वास के चलते दुनिया के कई देश चीन के आर्थिक संबंधों के बारे में पुनर्विचार करने लगे हैं. अमेरिका ने तो यहां तक कहा है कि यदि कोरोना वायरस का संक्रमण अचानक दुर्घटनावश हुआ है अथवा षड्यंत्रपूर्ण तरीके से, इसकी जांच होगी और दोषी पाए जाने पर चीन को उसके परिणाम भुगतने होंगे. दुनिया भर में कंपनियों की दुर्दशा और उनके शेयरों की कीमतें घटने के कारण चीन की सरकारी और निजी कंपनियां उनके अधिग्रहण की फिराक में हैं. उनके इस अनुचित प्रयास को रोकने के लिए कई देशों ने अपने विदेशी निवेश नियमों में बदलाव कर ऐसे निवेश को अमान्य किया है. हाल ही में भारत ने भी अपने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में बदलाव कर चीन समेत उन सभी देशों से आने वाले निवेश के लिए सरकारी अनुमति प्राप्त करना जरूरी होगा, जिनकी सीमा भारत से जुड़ी हुई है.
कंपनियां हो रही है चीन से विमुख
समाचार यह है कि दुनिया की लगभग 1000 कंपनियां चीन से विमुख होकर अपना उत्पादन चीन से स्थानांतरित कर भारत में प्रवेश करने के लिए इच्छुक हैं और केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और अन्य आधिकारिक संस्थानों से वार्ता कर रही है. इनमें से 300 कंपनियां मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल उपकरणों और वस्त्रों के उत्पादन में संलग्न है. ये कंपनियां भारत को सर्वाधिक उपयुक्त गंतव्य मान रही हैं. गौरतलब है कि अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया आज चीन पर अत्यधिक रूप से निर्भर है.
इन कंपनियों को इस हेतु भारत में वातावरण अनुकूल दिख रहा है. गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की दृष्टि से लगातार आगे बढ़ता हुआ, वैश्विक रैंकिंग में 142वें स्थान से आगे बढ़ता हुआ, अब तक 63वें स्थान पर पहुंच गया है. यही नहीं निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नई कंपनियों के लिए कारपोरेट टैक्स मात्र 15 प्रतिशत कर दिया गया है. ऐसा माना जा सकता है कि निवेश की दृष्टि से भारत के प्रतिद्वंदी देशों की तुलना में यह कारपोरेट टैक्स दर न्यूनतम है. यही नहीं वर्तमान में कार्यरत कंपनियों के यह कारपोरेट टैक्स की दर 22 प्रतिशत है, जो पूरे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की तुलना में सबसे कम है. कुछ समय पहले कारपोरेट टैक्स दरों में इस बदलाव का लाभ यह होगा कि एक तरफ नए निवेशक यहां आने के लिए प्रोत्साहित होंगे और पहले के कार्यरत कारपोरेट भारत से कहीं और जाने के लिए हतोत्साहित होंगे, क्योंकि इससे कम टैक्स वाला कोई देश नहीं है, जहां वे स्थानांतरित हो सके.
भारत की बढ़ रही है साख
पिछले कुछ समय से भारतीय नेतृत्व द्वारा दुनिया में भारत की साख बढ़ाने वाले कदमों से भारत का नाम काफी सम्मान से लिया जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर खाड़ी के देशों तक भारतीय कूटनीति का लोहा माना जा रहा है. चीनी वायरस से उत्पन्न संकट से जब दुनिया ने बड़े और अमीर देश असहाय से दिखाई दे रहे हैं, समझदारी सख्ती और नागरिक सहयोग से जिस प्रकार इस संकट से निपटा जा रहा है, जरूरत के समय अमेरिका, इंग्लैंड, ब्राजील समेत कई देशों को दवाई उपलब्ध कराना, दुनिया भर में फंसे भारतीयों को ही नहीं विदेशी नागरिकों को सफलतापूर्वक वापिस लाना आदि ऐसे कई काम हैं, जिन्हें भारत अपने सीमित संसाधनों से सफलतापूर्वक संपन्न कर पाया है.
भारत की इसी बढ़ती साख का परिणाम है कि अमेरिका के इतिहास में पहली बार कई भारतीय दवाओं को बड़ी संख्या में रिकॉर्ड तोड़ अनुमति मिली है. संकट के समय में भी भारत की दवाओं की आपूर्ति द्वारा भारत ने दुनिया का दिल जीत लिया है. इस अनुकूल वातावरण का लाभ उठाते हुए, भारत अपनी भूमि पर दवाइयों, मेडिकल उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम, केमिकल्स, समेत अनेकानेक उत्पादों के उत्पादन में एक बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है.
माना जा सकता है कि चीनी वायरस भारत के लिए संकट और चुनौती कम और अवसर ज्यादा लेकर आया है. मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्योग (एम एस एम ई) मंत्री नितिन गडकरी ने शायद सही कहा है कि इस स्थिति को एम एस एम ई के लिए प्रच्छन्न रूप से वरदान के रूप में देखा जाना चाहिए.
स्वदेशी जागरण मंच तो पहले से ही भारत का विकास स्वदेशी चिंतन के आधार पर करने के पक्ष में है. और इसीलिए 25 अप्रैल को सारे देश में सायं 6:30 से लेकर 6:40 तक स्वदेशी संकल्प दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया है. जिसमें परिवार के सभी सदस्य एकत्र हो, दीप प्रज्ज्वलन शांति पाठ व कोरोना मुक्ति हेतु प्रार्थना करेंगे. साथ ही स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग और चाइनीज वस्तुओं का बहिष्कार इसका संकल्प भी लिया जाएगा.

Tags: China VirusEMBRACE SWADESHI – BOYCOTTCHINESEswadeshi jagran manch
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