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कोचिंग ले रहे हैं राहुल गांधी!

Tez Samachar by Tez Samachar
September 29, 2018
in Featured, विविधा
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कोचिंग ले रहे हैं राहुल गांधी!

एक खबर आई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस समय मुद्दों को समझने के लिए विशेषज्ञों से क्लास ले रहे हैं। एक बड़े कांग्रेसी नेता कहते सुने गए कि भविष्य में बड़ी जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए मुद्दों को समझना जरूरी है। इसी बात को ध्यान रख कर राहुल ने एक्सपट्र्स के साथ मंथन शुरू किया है। सबसे पहले बात उन ब्लागरों और ट्विटर हैंडलरों से की गई जिनकी पोस्ट मिनटों में वायरल हो जाती हैं। कभी उन्हें लोकप्रियता मिलती और कभी ट्रोल ब्रिगेड पीछे पड़ जाती है। राहुल के ज्ञान अर्जन प्रयास को एक समझदारी वाला काम कहा जा सकता है। कुछ व्यावहारिक बातें और विभिन्न मुद्दों के बारे में सीख-समझ जाना उनके और कांग्रेस दोनों के हित में होगा। नि:संदेह कांग्रेसियों में उम्मीद जागी होगी। स्वबुद्धि और अर्जित ज्ञान के तालमेल से किसी विषय पर बोलने से पहले राहुल मनन कर सकेंगे। इससे उनके व्यावहारिक ज्ञान, बौद्धिक क्षमताओं और समझ को लेकर उठने वाले विवाद थमेंगे। गलत या त्रुटिपूर्ण टिप्पणियों और जुबान फिसलने जैसी समस्या से मुक्ति मिलेगी। संभव है कि यह कवायद पप्पू-छवि को दुरूस्त करने में मददगार साबित हो।

धारणा है कि राहुल गांधी को अनेक विषयों और मुद्दों की ठीक से समझ नहीं है। इससे उन्हें कई बार असमंजस पूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ा। जानकारी नहीं होने की बात स्वीकार करने में भी मुसीबत खड़ी हुई और आधी-अधूरी या गलत जानकारी ने मजाक का विषय बनवा दिया। राहुल की शैक्षणिक योग्यता को लेकर संदेह का कोई कारण नहीं है। इस पर बहस की जरूरत नहीं है। दुनिया जानती है कि उन्हें परिवार के दो बड़े स्तम्भ खोने पड़े हैं। जिन परिस्थितियों में उनकी शिक्षा हुई उसे सामान्य नहीं कहेंगे। कच्ची उम्र से वह मानसिक दबाव के बीच बड़े हुए। इसका असर व्यावहारिक समझ पर दिखाई देता है। ऐसे कई प्रसंग हैं जो राहुल गांधी की कमजोरियों को उजागर करते हंै। अपनी लंदन यात्रा के दौरान वह डोकलाम को लेकर मोदी सरकार की आलोचना कर रहे थे लेकिन डोकलाम पर उनकी रणनीति के विषय में सवाल उठने पर वह बोल बैठे कि डोकलाम के बारे में उन्हें कम जानकारी है। भारत में ही आमजन और छात्रों से संवाद के दौरान राहुल की कमजोरियां उजागर हो चुकीं हैं। मुम्बई में छात्रों को सम्बोधित करते हुए स्टीव जाब्स को माइक्रोसाफ्ट से जोड़ बैठे। कर्नाटक में एक छात्रा के सवाल पर राहुल ने कहा कि उन्हें एनसीसी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। अपनी जर्मनी यात्रा के दौरान उन्होंने यह कह कर लोगों को चौंका दिया कि बेरोजगारी के कारण युवक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के साथ जुड़े। फिरोजाबाद में एक सभा के दौरान राहुल ने आलू की फैक्ट्री कह कर स्वयं को मजाक का विषय बनवा लिया। डेढ़ दशक से अधिक समय से वह राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय हैं। देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल का नेतृत्व उन्हें उत्तराधिकार में मिला है। लेकिन, उनमें भारतीय राजनीति की समझ बहुत कच्ची दिखाई देती है। वह प्रभावी नेतृत्व क्षमता अब तक नहीं दिखा पाए। उन्हें एक प्रतिष्ठित परिवार का अनुशासित बच्चा कहना सही होगा जो हालातों के चलते राजनीति में आ फंसा। व्यक्ति पूजक कांगे्रसियों की जमात ने राहुल के कुदरती गुणों की परवाह नहीं की, उन्हें राजनीति में जबरन उलझा दिया। 48 बरस के इस युवक की तासीर कोई समझना नहीं चाह रहा। क्या राहुल के मिजाज में सियासत नजर आती है? प्रश्र यह है कि मन, मस्तिष्क और जिह्वा में तालमेल के बिना भाषण में धार कहां से आएगी? जुबान फिसलती है। बोलना कुछ चाहते थे, मुंह से निकल कुछ और गया। कमजोर डाटा बैंक ने करेला लेकिन नीम चढ़ा वाले कहावत चरितार्थ कर दी। राहुल को गलत जानकारी होने या उनकी जुबान फिसलने के अनेक उदाहरण इंटरनेट में भरे पड़े हैं। एक बार वह बोल बैठे, पंजाब के सात में से दस युवक मादक पदार्थों की चपेट में हैं जबकि कहना था, दस में से सात युवक..। लोकसभा की सीटों की संख्या 546 बोल बैठने पर उन्होंने काफी कटाक्ष झेले हैं। उनके कुछ चर्चित संवाद इस प्रकार हैं- आम में लिखा होगा मेड इन लखनऊ, ओबामा बाराबंकी में बने पिपरमेंट वाले टूथब्रश को उपयोग करेंगे, इंदिरा कैंटीन(बोलना था अम्मा कैंटीन), आज सुबह रात को जाग उठा सुबह 4 बजे इत्यादि। वह डा.पी वेनुगोपाल के लिए मैडम स्पीकर बोल गए थे। कहा जाता है कि महान इंजीनियर, भारत रत्न सर एम. विश्वेश्वरैया का नाम वह पांच बार प्रयास करने पर भी सही नहीं बोल पाए। अपने पांच भाषणों में उन्होंने राफेल विमानों की पांच अलग-अलग कीमतें बता दीं।

दो राय नहीं कि किसी भी व्यक्ति से हर विषय पर गहरी पकड़ की अपेक्षा नहीं की जा सकती। दूसरी ओर यह तथ्य है कि राजनीति में कई ऐसे नाम हैं जिन्हें भले ही मास्टर आफ नन कह लें लेकिन वो जैक आफ ऑल तो हैं। जीवन में शिक्षा के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। एक पक्ष यह है कि कुछ लोग नियमित शिक्षा के बिना भी स्वयं के प्रयासों और सिर्फ व्यावहारिक समझ के बूते झण्डे गाडऩे में सफल हुए। वे पढ़े-लिखे और डिग्री धारियों तक के कान काटते हैं। जोर इस बात पाया गया कि उनमें विषयों और मुद्दों को समझने की ललक कितनी है। सिर्फ मोटी किताबें पढ़ कर ही विद्वान नहीं बना जा सकता। काफी प्रभाव आसपास के माहोैल और संगत का होता है। दो शब्द हैं, बुद्धि और ज्ञान। बुद्धि हमारी अपनी है और ज्ञान अर्जित किया जाता है। ज्ञान अर्जन अध्ययन और अनुभव दोनों से संभव है। कितने ही लोग मिल जाएंगे जिन की बुद्धि खूब चलती है किन्तु उनके ज्ञान की कोठरी खाली है। किसी ने पढ़ लिख कर ज्ञान बटोर लिया परन्तु बुद्धि काम नहीं करती। ऐसे मामलों में ज्ञान का उपयोग नहीं हो पाता या फिर असंगत अथवा गलत तथ्य मुंह से निकल पड़ते हैं। राहुल गांधी भारत का प्रधानमंत्री बनने का स्वप्र संजोये हुए हैं। हाल ही में वह इसके स्पष्ट संकेत दे चुके हैं। विशेषज्ञों के साथ विचार मंथन की प्रक्रिया उनके उसी स्वप्र से प्रेरित बताई जा रही है। इसमें बुराई नहीं है। महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए जरूरी है कि चुनौती के लिए स्वयं को तैयार करने सतत प्रयास किए जाएं। देखें राहुल बुद्धि और अर्जित ज्ञान के बीच कितना तालमेल बैठा पाते हंै। एक्सपट्र्स से मुद्दों की बारीकियों को अवश्य समझें। साथ-साथ विरोधियों को सिर्फ कोसे नहीं, उनके गुणों से कुछ सीखें भी। बेहतर होगा वह अपनी व्यावहारिक समझ को और विकसित करें। तब ही ऐसे विचार मंथन से किसी उपलब्धि की आशा की जा सकेगी।

-अनिल बिहारी श्रीवास्तव,
एलवी-08, इंडस गार्डन्स, गुलमोहर के पास,
भोपाल 462039
फोन: 0755 2422740, मोबाइल: 09425097084

Tags: #rahul gandhimodirafel deal
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