खेती और किसानों के विकास के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने वाले, जैन उदयोग समूह के संस्थापक श्रद्धेय भवरलालजी जैन ऊर्फ बड़े भाऊ की कार्यसंस्कृती का उदाहरण भारतीय कृषि क्षेत्र में आदरपूर्वक दिया जाता है।
‘मेरा सबसे बडा पुरस्कार यानी किसान के चेहरे पर मुस्कान!’ यह उनका उद्गार प्रसिद्ध है। भूमिपुत्रों का विकास यानी देश का विकास यह कृतिशीलरूप से स्वीकार कर भारत के विकास के संदर्भ में अपनी दूरदृष्टि रखते हुए आधुनिक तकनीकी का हाथ हाथों में लेकर एक-एक कदम आगे बढ़ाते हुए कृषि क्षेत्र की उनकी प्रयोगशीलता विश्व के सम्मुख आदर्श ही है। आज 12 दिसंबर … उच्च कृषि तकनीक द्वारा किसान तथा कृषि व्यवसाय को समृद्ध करने वाले श्रद्धेय डॉ. भवरलालजी जैन ऊर्फ बड़े भाऊ के जनमदिवस अवसर पर…
प्रख्यात, उद्यमी, खेती एवं गांधी विचारों की ट्रस्टीशीप स्वीकार करने वाले, तत्त्वशील विचारवंत, चिंतक श्रद्धेय डॉ. भवरलालजी जैन ने जलगाँवसहित संपूर्ण भारत देश का नाम सातसमंदर पार पहुँचाया। कृषि क्षेत्र के साथ-साथ साहित्य एवं अपने उच्च कृषि तकनीक द्वारा प्रयोगशीलतासहित भरीव कार्य करते हुए भवरलालजी जैन ने किसानों का जीवन समृद्ध किया।
किसानों के विकास के लिए बिजली, जल, शाश्वत बाजारपेठ और गारंटी मूल्य महत्त्वपूर्ण होता है। किसानों की उन्नति ऐसे अनेक महत्त्वपूर्ण मुद्दोंपर निर्भर होती है। राजनीतिक उदासीनता के कारण इन मुद्दों को उपलब्ध कराने में बाधाएं निर्माण की जाती है। किसानों के शोषण का, किसानों को फसाने के कई मार्ग कुछ विघ्नसंतोषी लोगों को अच्छी तरह से ज्ञात होते है। किसानों को अपनी माँग पूरी करने के लिए निरंतर विविध मार्गों का अवलंब करना पड़ता है। सम्पूर्ण विश्व का पालनहार किसान कर्ई बार तनावग्रस्त होना यह सामाजिक पर्यावरण का संतुलन बिगाड़ने के बराबर है। सामाजिक शांतता को बनाये रखना हो तो देश के अन्नदाता को खेतीसंबंधी उचित मार्गदर्शन, बिजली, पानी, गारंटी मूल्य और उचित दाम देने वाली बाजार पेठ उपलब्ध कराना जीवनावश्यक है।
स्वयंपूर्णता होगी तबही किसान स्वावलंबसहित किसान आत्मनिर्भरता के साथ अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है। खेती, मिट्टी के संबंध में प्रतिबद्धता किसान को श्रमप्रतिष्ठा प्राप्त कराती है। हायब्रीड ज्वार का दोबारा उत्पादन लेने का प्रयोग हो, या ज्वाला मिरच का संशोधन हो, श्रद्धेय बड़े भाऊ ने स्वयं खेती मे वैविध्यपूर्ण प्रयोग किये है। देश विदेश की खेती, मिट्टी, वातावरण, किसानों की आर्थिक परिस्थिति, कृषिविषयक सरकारी नीति, नयी तकनीक उपयोग में लाने वाले किसानों की प्रगति ऐसे अनेक विषयों के संदर्भ में निरंतर जागरूक रहते थे, अध्ययन करते थे।
अनेक किसानों से हुए संवाद द्वारा और सूक्ष्म निरीक्षण से उन्हें ज्ञात हुआ कि, पानी, बिजली यह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। पाइप, टपक, स्प्रिंकलर, रेनगन और अत्याधुनिक स्मार्ट ऑटोमेशन तकनीक को लाया। किसानों की उत्पादनवृद्धि तो इस स्मार्ट तकनीक द्वारा हुई परंतु अधिक उत्पादन जो है उसकी चलनी बाजार में बिक्री हो इसलिए भी उन्होंने आत्मियता के साथ नियोजनपूर्वक प्रयास किया। भारत के कृषिकार्य में सर्वांगीण प्रगति घटित करने के लिए अपने विचारों को नये संशोधन की नईतकनीक की और व्यावहारिकता की विलक्षण जोड देते हुए बड़े भाऊ ने अपना लक्ष्य निश्चित किया।
अल्पभूधारक किसानों का विकास कैसे किया जा सकता है इस ध्येय को सम्मुख रखते हुए भवरलालजी ने टपक सिंचाई की तकनीक में सुधार करते हुए कृषि क्षेत्र के विज्ञाननिष्ठ प्रयोगशीलता को बढ़ाया। सम्पूर्ण विश्व के कृषि क्षेत्र में होने वाले नये-नये प्रयोग, नयी तकनीक सहित होने वाली उन्नति को उन्होंने जाना। बड़े भाऊ का अभ्यासू एवं जागरूक स्वभाव भारत के किसान बंधुओं के लिए वास्तव में दिशादर्शक रहा। बड़े भाऊ के कार्य की फलश्रुती यानी अल्पभूधारक किसानों के उत्पन्न में भरपूर वृद्धि हुई और उनके समय की, पानी की और श्रम की भी बचत होने लगी। श्रद्धेय बड़े भाऊ पर का विश्वास, काम की गुणवत्ता और कुल मिलाकर इन सभी मुद्दों के सकारात्मक परिणाम के कारण जैन इरिगेशन पर किसानों का विश्वास अधिकाधिक दृढ़ होता गया।
विश्व की एकमात्र विश्वासार्हता प्राप्त अनुबंध खेती के यशस्वी मॉडेल का हम सभी इस दृष्टि से निश्चितरूप से विचार कर सकते है। कुछ संकल्पनाएँ केवल एक और दो ही व्यक्तिओं के हित का नहीं बल्कि हजारों लाखों लोगों का आर्थिक हित उसमें से साध्य होने में मदद होती है। सफेद प्याज की खेती द्वारा अनुबंध खेती का यशस्वी मॉडेल बड़े भाऊ ने यहां लाया। विगत अनेक वर्षों से कॉन्ट्रॅक्ट फार्मिंग से लाखों किसानों को गारंटी मूल्य की बाजारपेठ उपलब्ध हुई।
सफेद प्याज का निर्जलीकरण करके उसका पावडर एवं स्लाईस निर्यात करने के लिए अन्नप्रक्रिया उद्योग वर्ष 1994 में भवरलालजी ऊर्फ बड़ेभाऊ ने शुरू किया। शिरसोली गांव के समीप जैन वैली परिसर में प्याज पर प्रक्रिया करने वाला वैश्विक गुणवत्ता वाला अत्याधुनिक कारखाना बड़े भाऊ ने यहां साकार किया। किसानों को प्याज का गारंटी मूल्य दिया। जैन इरिगेशन ने किसानों को प्याज की सुधारित बीज दिये, पूर्णत: दर्जेदार प्याज का उत्पादन प्राप्त हो इसलिए विशेष प्रयास किया। निर्यात द्वारा उद्योजकों के साथ सफेद प्याज की खेती करने वाले किसानों का भी आर्थिक विकास हो सके इसलिए, उन्हें चार पैसे अधिक मुनाफा प्राप्त हो सके इसलिए बड़े भाऊ निरंतर प्रयासरत रहे।
सफेद प्याज का भारत में उत्पादन हो इसलिए विदेश से बीज लाकर भारत के जिन हिस्सों में सफेद प्याज विशेष गुणवत्ता के साथ लिया जाता है वहां बड़ी मात्रा में उत्पादन वृद्धि का प्रयास भी किया। तैयार प्याज बायोटेक लॅब में लाकर उस पर संशोधन किया। संशोधन के पश्चात आये हुए बीज जैन नर्सरी में प्रायोगिकतत्त्व पर रोपित किये। विश्वासू किसानों को प्रयोगिकतत्त्व पर दिया। प्रस्तुत प्रयोग सफल हुआ। सफेद प्याज कॉन्ट्रॅक्ट फार्मिंग द्वारा विश्व के बाजार में भारतीय प्याज उत्पादक किसानों के मान-सम्मान का स्थान बड़े भाऊ ने प्राप्त कराया।
सार्थक करेंगे इस जन्म को, बेहतर बनाकर इस जगत् को।।
यह भाऊ का जीवनललक्ष्य ही था। अपने विचारों को कृती में लाने की कार्य संस्कृति यह भाऊ की विशेषता कहीं जा सकती है। उद्योग के साथ ही कृषि क्षेत्र को नया स्वरूप उन्होंने प्रदान किया। बड़े भाऊ ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने किसी भी काम को छोटा या बड़ा नहीं माना। फिर वह काम चाहे कारखाने से संबंधित हो या संशोधन, विकास या सामाजित उन्नति से जुड़ा हो। वे हर कार्य को चहू दृष्टि से देखते थे। भाऊ ने हमेशा नाविन्यता का शोध लिया। इसीके चलते खेती के पारंपरिक व्यवसाय को आधुनिकता की जोड मिली। टपक सिंचाई जैसे पानी की बचत करने वाले और उत्पाद वृद्धि के लिए उपयोगी साबित हुई तकनीक को भारत में लाया। जिससे किसानों का जीवनमान ऊँचा हुआ। भाऊ ने दिया हुआ श्रम का, नाविन्यता की विरासत को संजोते हुए भविष्य का वेध लेकर जैन इरिगेशन कंपनी का सफर जारी है। भाऊ के चारों सुपुत्र अशोक जैन, अनिल जैन, अजीत जैन एवं अतुल जैन भाऊ की विचारधारा से उद्योग को आगे बढ़ा रहे है। बड़े भाऊ ने कठीन परिश्रम, प्रामाणिकता, पारदर्शकता, सामाजिक प्रतिबद्धता सहित यह उद्योग साकार किया । उनके चारों सुपुत्र भी कृषि उद्योग को इसी तरह कृतज्ञतापूर्वक व्रतस्थरूप से संजोये हुए है।
श्रद्धेय डा. भवरलालजी जैन किसानों के सर्वार्थ से ‘अन्तर्राष्ट्रीय समृद्धीदूत’ थे। उन्हें ‘भूमिपुत्र’ होने का अभिमान था। उच्च कृषि-तकनीकीसहित कृषि व्यवसाय, साहित्य, शिक्षण, समाज इन सभी क्षेत्रों में उनका नामलौकिक था। भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से बड़े भाऊ को नवाजा गया था। देश विदेश में भी विशिष्टतापूर्ण कार्य करने पर बड़े भाऊ को अनेक अन्तर्राष्ट्रीय मान-सम्मान, पुरस्कार प्राप्त हुए।
–