पुणे (तेज समाचार डेस्क). शिक्षा विभाग ने “बालभारती’ की पाठ्यपुस्तकों को कॉपीराइट कानून के अंतर्गत लाने के बाद इन पुस्तकों से मार्गदर्शन पुस्तक, गाइड्स आदि बना कर बेचनेवाले प्रकाशकों पर अंकुश लगा है. क्योंकि अब इन प्रकाशकों को बालभारती की पुस्तकों का इस्तेमाल करने के लिए बालभारती की कानूनन अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है. इसके लिए पंजीकरण का भी नियम बनाया गया है. कॉपीराइट के कारण “बालभारती’ को पिछले दो वर्षों में करीब सवा चार करोड़ की आय हुई है.
– प्रकाशक चुरात थे पाठ्यसामग्री
ज्ञात हो कि राज्य के सभी स्कूलों के लिए पाठ्यपुस्तकों की जिम्मेदारी “बालभारती’ के पास है. कई प्रकाशक इन किताबों की नकल कर गाइड, मार्गदर्शक पुस्तिका आदि छपवाते थे. ये प्रकाशक संस्थाएं बालभारती के पाठ्यक्रमों में थोड़ा बहुत बदलाव कर पैसे कमाते थे. इस कारण बालभारती की आय प्रभावित हो रही थी. लेकिन राज्य सरकार द्वारा कॉपीराइट कानून के अंतर्गत बालभारती को लाने के बाद से अब बालभारती को अच्छा लाभ मिल रहा है.