कोरोना संकट , लॉकडाउन और मोदी जी का गमछा
देश भर में लॉक डाउन 3 मई तक बढ़ा दिया गया है ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी सुबह 10 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन में देश मे जारी लॉकडाउन को विस्तार देने की घोषणा करते हुए उसे 3 मई 2020 यानी 19 दिनऔर बढ़ाने की घोषणा की ।
आज के इस संबोधन में जो बात गौरतलब रही , वह थी मोदीजी का गमछा पहन कर टीवी स्क्रीन पर आना ।ऐसा नही है कि प्रधानमंत्री के पास मास्क उपलब्ध नही होगा और न ही ये इनका कोई स्वेग या स्टाइल है। असल मे इसके पीछे गहरा संदेश है ।
दरअसल जमीन से जुड़ा नेता जमीनी लोगों की दिक्कतों के साथ उनकी मानसकिता को अच्छे से समझता है।
गाँवो में पहली बात अगर कोई एक मास्क लगाए दिख भी गया तो बाकी उसका मजाक बना देंगे कि इन्हें कोरोना से ज्यादा डर लग रहा। उनके लिए ये सब बातें उतनी गम्भीर नही।
सरकार बड़ी संख्या में गरीबों को मुफ्त में मास्क दे रही है लेकिन ये सम्भव नही है कि हर एक को मास्क दिया ही जा सकेगा। वही जिन्हें मिल भी गया उनमें से बड़ी संख्या शायद ही उसका इस्तेमाल करती हो। उसका कारण वो खुद कम्फर्टेबल फील नही करते तो कुछ को ये सब बकवास लगता।
अब एक तबका ऐसा भी होगा जो मास्क खरीदना भी चाहे तो उसे गाँवो से कई किलोमीटर दूर कस्बे से उसे खरीदना होगा और ये भी जरूरी नही की कस्बे में मास्क की उपलब्धता हो ही। वही कई लोग गरीबी के कारण भी मास्क की जगह खाने की सामग्री खरीदेंगे।
इन्हीं सब को ध्यान में रखकर मोदी जी खुद गमछा लपेट कर बिन कहे ऐसे लोगों को सन्देश दे गए कि भले मास्क न हो लेकिन वो लोग गमछा, रुमाल मुँह पर लपेट कर खुद को और अपने परिवार को बचा सकते हैं।
याद होगा कि इससे पहले के सन्देश में मोदी जी मुँह पर शायद सफेद रुमाल बांध कर tv पर दिखे थे।
ये सब इसी कारण की गांवों की जनता या गरीब जनता इसे अमीरों के चोंचले न समझ कर ये समझे कि जब देश का प्रधानमंत्री खुद रुमाल-गमछा मुँह पर प्रोटेक्शन के लिए बांध रहा है तो वो लोग ऐसा क्यो नही कर सकते।