जामनेर मे कोरोना ने दी दस्तक डाक्टरो ने की कोविड केयर की मांग
जामनेर ( नरेंद्र इंगले ): महान तालाबंदी के नतीजे कोविड संक्रमण की बढ़ती संख्या को लेकर सामने आ रहे है ! मोदी सरकार की ओर से तालाबंदी को लेकर पुरा प्रबंधन गड़बड़ हो जाने के बाद राज्यो को व्यापक अधिकार बहाल कर दिए गए है ! जलगांव जिला कब ऑरेंज से रेड जोन मे चला गया यह पता भी नही चला अब जलगांव धारावी की तरह हॉटस्पॉट की ओर बढ़ रहा है ! भुसावल , पाचोरा , अमलनेर मे कोविड संक्रमण के कई केसेस सामने आ रहे है !
जामनेर तहसिल मे कोरोना ने दस्तक दे दी है , वैसे यह जो मामला है उसे काफी भयावहता से बताया पेश किया जा रहा है ! सूत्रो के मुताबिक यह केस करीब 10 से 15 दिन पहले हि संज्ञान मे आ चुका था ! मामले मे जिस मरीज मे कोविड के लक्षण पाए गए है वह विलगिकरण मे उपचाररत है जो इम्युनिटी पावर के मानकों के तहत यकीनन रिकवर हो जाएगा ! इस केस के कारण शहर मे डर का अपना प्रोपगैंडा चरम पर है ! कहि कोई सकारात्मकता वाली सोच को बढ़ावा नही या फिर उन्नीस बीस वाले संसाधनो का वैसा आचरण नही है !
इसी बीच आज शहर के निजी डॉक्टरो के एक संगठन ने तहसीलदार को निवेदन सौंपा कहा गया की गई कि प्रैक्टिस के दौरान डॉक्टर्स को संक्रमण का खतरा अधिक होता है जिसके चलते निजी डाक्टरो के लिए एक ऐसा स्वतंत्र रूप से कोविड केयर सेंटर होना चाहिए जिसमे विलगिकरण की अलग से सुविधा हो ! संगठन ने यह मांग भी की के प्रशासन डाक्टरो से मुखातिब हो ताकि उनकी समस्याओ पर फोकस किया जा सके ! प्रतिनिधि मंडल मे डॉ चंद्रशेखर पाटिल , डॉ नीलकंठ पाटिल , डॉ प्रशांत भोंडे , डॉ कासट , डॉ राजेश सोनावणे समेत अन्य तमाम सदस्य उपस्थित रहे !
ठेला धारको की परेशानी – तीन दिनो के जनता कर्फ्यू के बाद पाबंदियों के साथ जामनेर का जनजीवन फिर से बहाल हुआ ! बाजार खुला दुकाने लगी पर पक्की हि ! सड़क पर सब्जी , चना , फरसाण , फल फ्रूट बेचकर चरितार्थ करने वाले ठेला धारको को रियायत से वंचित रहना पड़ा ! ठेले लगे हि नही नगर परिषद की ओर से ठेलो को भीड़ का कारण बताकर फेरीवालो की श्रेणी मे लाकर खड़ा कर दिया गया ! पक्की दुकानो पर होनेवाली भीड़ को प्रशासन ने किस पैमाने पर नपा यह किसी को पता नही ! राजस्व प्रशासन का अपना मीडिया कक्ष नही है , निगम केवल भोपू बजाकर कार्रवाई के नाम पर गरीब ठेले वालो को सताने मे मशगूल है , पुलिस और स्वास्थ महकमा है जिनपर व्यापक जिम्मा है ! राजस्व और निगम दोनो मे समन्वय का अभाव साफ दिखाई पड़ता है इन सभी बातों के बीच सबकुछ भगवान भरोसे जैसे हालात है ! इन हालातो मे सुधार लाना यही सबसे बड़ी चुनोती है !