कोरोना साइड इफेक्ट्स : नियमो के नाम पर गरीबो को सता रहे जामनेर निगम के कर्मी
जामनेर ( नरेंद्र इंगले): कोविड 19 एक ऐसी बिमारी जिसका इलाज केवल तालाबंदी माना गया है ! मेडिकल इमरजेंसी मे प्रशासन द्वारा आपदा प्रबंधन कानून के निर्देशो के दुरुपयोग के हजारो मामले सामने आ रहे है ! इस टाइप की इमरजेंसी ने मानो स्थानीय प्रशासन को अपने अधिकारो के गलत इस्तेमाल का लाइसेंस बहाल कर दिया है !
जामनेर नगर परिषद के कोरोना दक्षता उड़न खटोले के दस्ते मे देह से दुरी के नियम की धज्जियां उड़ाते ठूस ठूस कर बैठे कर्मी आए दिन सड़क किनारे गुजर बसर करने वाले छोटे गरीब व्यवसायीको पर कानून की आड़ मे अपना रौब झाड़ते दिखाई पड़ रहे है ! तालाबंदी की रियायत के दौरान महज कुछ घंटे तक ठेलो पर फ़लफूल , सब्जी , पानी वगैरा बेचने वाले गरीबो और किसानो को निगम के कर्मी अहंकारी सनक की मानसिकता से सता रहे है ! ठेलो के बीच सुरक्षित अंतर नही रखा जाना इसे दुकानदारो की भयंकर गलती बताई जाती है !
रिकार्ड और अपने मेरिट के लिए गरीब ठेले वालो पर कानूनी कार्रवाई भी की जाती रही है !आश्चर्य की बात तो यह है कि इन्ही ठेले वालो से 10 रुपया प्रति ठेला इस तरह की चुंगी टैक्स नगर परिषद प्रशासन वसूलता है , रसीद के नाम पर पिले रंग की कोरी चिट्ठी थमा दी जाती है ! इस तरह जमा होने वाले पैसे का कोई हिसाब नही दिया जाता , आखिर यह रुपया किस की जेब मे जाता है ! कोविड उन्मूलन के नाम पर जो सरकारी तिजोरी खाली की जा रही है उसका कागजी शिष्टाचार आंकड़ो की शक्ल ले रहा है समय आने पर उसका चेहरा साफ होगा ! कोविड 19 को लेकर बने नियमो के उल्लंघन के नाम पर गरीब ठेला धारको को नगर परिषद की ओर से जिस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है उसे लेकर आम लोगो मे काफी आक्रोश है ! इस मामले मे जिलाधिकारी द्वारा तत्काल हस्तक्षेप के साथ हि कोविड से जुड़े नगर परिषद के अब तक के जमा खर्च राशी के जांच की मांग उठने लगी है !