नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क): आपने अक्सर ऐसा सुना और देखा होगा कि कुछ लोग बिना किसी शराब या सिगरेट (Cigarette) की आदत के लंग कैंसर (lung cancer), अस्थमा (Asthma), लीवर (Liver) की समस्या और किडनी खराब (Kidney failure) जैसी ख़तरनाक और जानलेवा बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. डॉक्टर के पास जाकर उन्हें ये तो पता लग जाता है की उन्हें बीमारी कौन सी है, मगर ये पता लगा पाना मुश्किल होता है कि उस बीमारी की असली जड़ क्या है, यानी उन्हें वो बीमारी किस वजह से हुई. क्या उनके खान पान में कुछ ऐसी हानिकारक चीज़ें थी, जिनकी वजह से वह बीमार हुए या फिर जिस पानी को वह पीते हैं और जिस हवा में वो सांस लेते हैं वह दूषित हैं.
अब इस बात का पता लगा लिया गया है. वह भी दिल्ली के AIIMS अस्पताल में. दरअसल, AIIMS में हाल ही में खुली इकोटॉक्सिकोल़ॉजी लैब में की गई एक रिसर्च में बीमारियों की जड़ खोजी जा रही है. इस लैब में पहली बार क़रीब 200 लोगों पर हुए एक शोध में पता लगा कि 200 में से 32 लोगों के शरीर में हानिकारक केमिकल्स मौजूद हैं. इन केमिकल्स में फ्लोराइड, आरसेनिक और मरकरी जैसे खतरनाक हैवी मेटल्स मौजूद हैं. AIIMS के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि वातावरण में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसके चलते न केवल हवा और पानी, बल्कि फल और सब्ज़ियां भी दूषित हो रही हैं. इस वजह से आपके शरीर में इस तरह के ख़तरनाक और जानलेवा केमिकल्स और भारी धातु के पाए जाने की आशंका बढ़ जाती है.
एम्स के डॉक्टरों ने ये भी बताया कि बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर की वजह से कुछ नवजात शिशुओं के cord blood यानी गर्भनाल के ख़ून में कीटनाशकों की मौजूदगी पायी गयी है. इसका मतलब, हमारी आने वाली पीढ़ी पैदा होने से पहले ही प्रदूषण और pesticides जैसे ख़तरनाक chemicals से होने वाली बीमारियों की चपेट में होगी.
ये दुनिया की पहली ऐसी लैब है. जो बीमारी और वातावरण में मौजूद हानिकारक तत्वों और प्रदूषण के असर के बीच वैज्ञानिक लिंक तलाश रही है. लक्षणों के आधार पर अगर डॉक्टर को चेकअप के दौरान ये लगता है कि मरीज़ के शरीर में कोई हानिकारक पदार्थ हो सकता है तो उसे लैब में टेस्ट करवाने के लिए रेफ़र कर दिया जाएगा, जिसके बाद महज़ दो दिन में टेस्ट की रिपोर्ट मिल जाएगी. इस लैब में फ्लोराइड जैसे हानिकारक तत्वों के लिए टेस्ट और मरकरी, आर्सेनिक और लेडजैसे भारी और हानिकारक धातुओं के लिए भी टेस्ट करवाना मुमकिन होगा.
इस लैब की ख़ास बात ये है कि इसमें न सिर्फ़ आपके शरीर का टेस्ट हो सकेगा, बल्कि आपके घर का पीने का पानी और यहां तक की खाने की भी जांच हो सकेगी. इससे ये पता लगाने में आसानी होगी कि शरीर में पाए गए हानिकारक chemicals और धातुओ का स्रोत क्या है. क्या आपके पीने के पानी में कुछ हानिकारक तत्व मौजूद हैं या फिर बाज़ार से हर हफ़्ते आपके घर आने वाली सब्ज़ियां और फलों में ही खोट है. इतना ही नहीं, अगर ये पाया गया कि आपके घर के पानी और सब्ज़ियों में हानिकारक पदार्थ मौजूद हैं तो डॉक्टर आपको ये सलाह देंगे कि आप अपना पानी अच्छे से फिल्टर करके पिएं और सब्ज़ियों और फलों को अच्छे से धोकर ही खाएं. इससे आप अपने घर के बाक़ी सदस्यों की सेहत का ख़याल रख पाएंगे.
AIIMS के इकोटॉक्सिकोल़ॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. ए शरीफ का मानना है कि वातावरण में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसके चलते न केवल हवा और पानी, बल्कि फल और सब्ज़ियां भी दूषित हो रही हैं. फैक्टरियों से निकलने वाले ज़हरीले पानी में उगने वाली सब्ज़ियां आपकी सेहत के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकती है. यहां तक कि खेतों में उगने वाली ऐसी सब्ज़ियां जिन पर pesticides छिड़का जाता हो, भी आपको बीमार कर सकती हैं. ऐसे में इस तरह की सब्ज़ियों और फलों का खाने से आपको कैंसर और किडनी खराब जैसी घातक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है.