नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). “अगर आपसे नहीं संभल रहा तो बता दीजिए हम केंद्र को जिम्मेदारियां स्थानांतरित कर देंगे” कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी से तड़प रहे मरीजों की स्थिति के संबंध में दिल्ली सरकार को हाईकोर्ट ने लताड़ा था, और आज उसी दिशा में एक बड़ा कदम भी उठा लिया गया है. यद्यपि ये फ़ैसला दिल्ली हाईकोर्ट का नहीं बल्कि केंद्र की मोदी सरकार का है, क्योंकि संसद द्वारा पारित दिल्ली सरकार के अधिकाऱों से संबंधित नए संशोधित कानून को अब दिल्ली पर लागू हो चुका है और केजरीवाल के अधिकारों के पर कुतर दिए गए हैं. दिल्ली सरकार का मतलब अब बस उप-राज्यपाल ही होंगे. इसके चलते ये माना जा रहा है कि दिल्ली की समस्याएं हल हो सकती हैं.
राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कम होती सुविधाओं को लेकर पिछले एक हफ्ते से दिल्ली हाईकोर्ट केजरीवाल सरकार को लताड़ लगा रहा है. ऐसे में केंद्रीय गृहमंत्रालय ने एक अधिसूचना के जरिए ये घोषित कर दिया है कि दिल्ली की सरकार का मतलब अब उप-राज्यपाल होगा, क्योंकि दिल्ली सरकार के अधिकारों को पहले से और कम कर दिया गया है. दरअसल, संसद से पारित दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम, 2021 के लागू होने की अधिसूचना जारी कर दी है, और केजरीवाल सरकार के लिए एक बड़ा झटका है. केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा जारी की गई इस अधिसूचना में साफ कहा गया है कि, “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2021, 27 अप्रैल से अधिसूचित किया जाता है; अब दिल्ली में सरकार का अर्थ उपराज्यपाल है.”
गृहमंत्रालय के अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन के हस्ताक्षर वाली इस अधिसूचना में लिखा गया, “दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम, 2021 (2021 का 15) की धारा एक की उपधारा -2 में निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार 27 अप्रैल 2021 से अधिनियम के प्रावधानों को लागू करती है.”बजट सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा सभा से पास हुए नए प्रावधानों के मुताबिक अब सरकार को उपराज्यपाल के पास विधायी प्रस्ताव कम से कम 15 दिन पहले और प्रशासनिक प्रस्ताव कम से कम 7 दिन पहले भेजने होंगे. दिल्ली विधानसभा में पारित विधान के परिप्रेक्ष्य में सरकार का आशय दिल्ली के उपराज्यपाल से होगा. सरकार को किसी भी कार्यकारी कदम से पहले उपराज्यपाल की सलाह लेनी पड़ेगी, और ऐसा न करने पर सरकार द्धारा पारित नियमों का महत्व नहीं होगा.
इस मुद्दे पर लोकसभा और राज्यसभा में आम आदमी पार्टी ने अपना विरोध दर्ज किया था, और कहा था कि जब दिल्ली में सरकार से अधिकार छीन लिए जाएंगे, तो केजरीवाल सरकार काम कैसे करेगी. इसके इतर केंद्र द्वारा अधिसूचना जारी होने और नए एक्ट के लागू होने के पहले ही लोगों ने दिल्ली सरकार का निकम्मापन देख लिया है.स्वास्थ्य पूर्ण रुप से दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अंतर्गत आता है, और कोरोना की दूसरी लहर में जिस तरह से दिल्ली के मरीजों को प्राथमिक सुविधाओं के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है, वो इस बात का संकेत देता है कि दिल्ली सरकार केवल विज्ञापन में ही दुरुस्त है. इसीलिए केजरीवाल सरकार को दिल्ली हाईकोर्ट से लगातार लताड़ मिल रही है.
ऐसे में मोदी सरकार के इस कदम के बाद दिल्ली के लोग ये उम्मीद कर सकते हैं कि उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं अब खत्म होने लगेंगी, क्योंकि उप राज्यपाल अनिल बैजल के जरिए केंद्र की मोदी सरकार दिल्ली में कोरोना रोकथाम के लिए बड़े फैसले ले सकती है, जिसमें केजरीवाल सरकार की दखल शून्य मात्र भी नहीं होगी. यही कारण है कि इस बुरे वक्त में मोदी सरकार के अंतर्गत आने वाले गृहमंत्रालय द्वारा उठाए गए इस कदम को दिल्ली के आम लोगों के लिए सकारात्मक माना जा रहा है.