साल 1946। पाकिस्तान की मांग अपने चरम पर थी। उस वक़्त दारूल उलूम देबबंद और उसके बड़े उलेमा पाकिस्तान की मांग के खिलाफ थे। देबबंद के बड़े आलिमों में से एक थे मौलाना हुसैन अहमद मदनी। वो रमजान के महीने अक्सर असम के सिलहट जिले में गुजारते थे और वहां की मस्जिद में इबादत और तिलावते-कुरान में मशगूल रहते थे।
एक दिन वो नमाज़ से फारिग हुए तो फ़रमाया, “आसमानों पर और फरिश्तों में पाकिस्तान के कियाम का फैसला हो चुका है, मुझे यकीन है कि अगले बरस तक पाकिस्तान बन जाएगा।” उनकी इस बात को सुनकर उनके कुछ मुरीदों ने कहा कि अगर ये फैसला (यानि पाकिस्तान के कियाम का) आसमानों पर हो चुका है तो फिर हम इसका विरोध क्यों कर रहें हैं ? इसपर मौलाना मदनी ने सूरह कलम की ये आयतें पढ़ी :-
“हम ऐसों को क्रमशः (विनाश की ओर) ले जाएँगे, ऐसे तरीक़े से कि वे नहीं जानते ,मैं उन्हें ढील दे रहा हूँ। निश्चय ही मेरी चाल बड़ी मज़बूत है !!”
फिर फ़रमाया कि “जैसे किसी मछुआरे के जाल में जब मछली फंस जाती है तो वह उसे ढील देता जाता है इसी तरह कई बार कोई इंसान या कौम गुमराही पर चलती है तो अल्लाह उन्हें उनकी इस गुमराह राहों पर चलने के लिए ढील देता जाता है ताकि अपने पाप में वो बुलंदी पा लें और फिर उनके गुनाहों पर उन्हें पकड़ता है , शायद यही पाकिस्तान बनाने वालों और पाकिस्तान के साथ होगा।”
1971 में मजहब के नाम पर बने मुल्क का भाषा और संस्कृति के आधार पर हुआ विभाजन, रोज हो रहे कत्लो-गारत के काम, आतंकवादी और फितनापरस्त मुल्क का तमगा और पाकिस्तान के अन्दर सिन्धी, बलूची, मोहाजिर, पंजाबी जैसे झगड़े जो उसके कई-कई टुकड़े करने पर आमादा हैं शायद हुसैन अहमद मदनी की पेशीनगोई को सही साबित कर रही है।
ये पेशीनगोई केवल हुसैन अहमद मदनी की नहीं थी, मैं पाकिस्तान के कई ब्लॉग और वेबसाइटों पर घूमता रहता हूँ जहाँ पाकिस्तान का एक ऐसा तबका मौजूद है जिसे रफ़्ता-रफ़्ता पाकिस्तान के विनाश की ओर बढ़ते चले जाने का पूरा एतमाद है और वो अपनी नमाज़ों में पाकिस्तान के लिए कुछ और मोहलत तलब कर रहा है।
पाकिस्तान के अंत की पेशीनगोई मरहूम मौलाना इसरार अहमद ने इन लब्जों में की थी:-
“मुझे खौफ़ है कि अल्लाह पाकिस्तान को यकीनन एक बड़े अज़ाब में मुब्तला करने वाला है।”
आज सारा भारत श्री नरेंद्र मोदी की तरफ इस आशा से देख रहा है कि वो इस शैतानी मुल्क पाकिस्तान का अस्तित्व ही मिटा दें। जिस आसमानी फैसले की पेशीनगोई मौलानाओं ने की थी मोदी उसे पूरा करके इतिहास में अमर हो सकते हैं।
देश आपके साथ खड़ा है मोदी जी !!!!!!
सादर/साभार
सुधांशु
(साभार: अभिजीत जी)