धुलिया (तेज समाचार प्रतिनिधि) : संभवत: नवंबर 2018 मे होने वाले धुलिया महानगरपालिका चुनावो को राफ़ेल सौदे मे हुई कथित गडबडीया बेहद प्रभावीत कर सकती है . इसकी साफ़ सुथरी वजह है धुलिया से सांसद और केंद्र कि मोदी सरकार मे रक्षा राज्यमंत्री का जिम्मा संभालने वाले डा सुभाष भामरे कि वह चुप्पी जो कांग्रेस के लिए असले का काम करेगी और चुनाव के दौरान राफ़ेल कि बमबारी से भाजपा को इसका खामीयाजा भुगतना पड सकता है .वैसे भी केवल खास समुदाय विशेष से ताल्लुक रखने वाले डा भामरे कि शहर तथा पार्टी संगठन मे कोई खास पैठ नही बन पायी है .
NCP सुप्रिमो शरद पवार के दौरे के बाद से भाजपा विधायक अनिल गोटे के पार्टी विरोधी तेवर बरकरार है . स्वाधीनता आंदोलन मे उत्तर महाराष्ट्र से क्रांतिकार्यो मे अग्रनी रहा धुलिया किसी समय कांग्रेस का मजबुत गड़ था जिसे अब तक पूर्ण रुप से कोई ढहा नही सका है . इसी क्रांतिज्योती को प्रज्वलित करने कि पुरजोर कोशीश अब कांग्रेस द्वारा राफ़ेल के इंजन कि भांप से कि जा सकती है उसमे इंधन के दाम वैसे भी आसमान छु रहे है जिससे उपजी महंगायी से आम आदमी परेशान है . निकाय चुनाव प्रचार मे स्थानीय समस्याओ के साथ राष्ट्रीय मुद्दो का गहरा प्रभाव दिखायी पडने के आसार नजर आ रहे है . राफ़ेल घमासान के बाद सुबे मे शायद धुलिया का पहला आम चुनाव होगा जिसमे लोगो के रुझान से राष्ट्रीय राजनीती का गलियारा और चित्र स्पष्ट हो जाएगा . इसी बिच चुनाव मैदान मे उतरने वाले भाजपा के संकटमोचक और मेडीकल मैन मंत्री गिरीश महाजन राफ़ेल से भाजपा को होने वाली क्षती से निपटने के लिए किस तरह के रीलिफ़ कैम्प लगवाते है यह देखना रोचक तथा मजेदार होगा यह तो समय ही तय करेंगा उंड किस करवट बदलता है.