विधायक अनिल गोटे ने बीजीपी पर लगाया दोहरी भूमिका निभाने का आरोप
धुलिया(वाहिद ककर ):धूलिया में विकास की आड़ में मंदिरों पर अतिक्रमण के नाम पर हथोड़ा चलाने की सियासत गरमाई हुई है। गत वर्ष 14 मई को पांझरा नदी के तट पर स्थित मां कालिका और पंच मुखी हनुमान मंदिर को अतिक्रमण बता कर पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने मंदिर तोड़ने का फरमान जारी कर दिया था। वहीं पर इन मंदिरों को अन्य स्थानों पर स्थानांतरित करने की बात विधायक अनिल गोटे ने कही थी।
गौरतलब है कि शिवसेना बीजीपी ने मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस से मुलाकात कर मंदिर नहीं तोड़ने और हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी। ज्ञात हो कि विधायक अनिल गोटे द्वारा पांझरा नदी तट के दोनों किनारे पर साढे पांच किलोमीटर लंबी अवधि की सड़क मार्ग निर्माण कार्य के लिए सड़क के बीचों बीच आने वाले दोनों मंदिरों को उनके स्थान से हटाने के लिए जोर लगाया था लेकिन मुख्यमंत्री ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
उस समय विधायक गोटे के जन्मदिवस के अवसर पर मनोज मोरे, हिरामन गवली तथा अन्य महिला कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन बीजीपी विधायक अनिल गोटे के विरुद्ध जबरदस्त आंदोलन पुकारा था और उनकी अर्थी उनके आवास के सामने से निकाला और उनके पुतले का दहन किया था और गोटे को मंदिर तोडू हिंदुत्व विरोधी बताया था।
एक साल के बाद फिर से धुलिया की राजनीति में भगवान शंकर की प्रतिमा को लेकर भूचाल बरपा है। बीजीपी के दो गुटों में जंग छिड़ी हुई है, एक ओर गत वर्ष विधायक अनिल गोटे के द्वारा सड़क मार्ग का विस्तार करने सड़क के बीचों बीच कालिका मंदिर और पंच मुखी हनुमान मंदिर के अतिक्रमण हटाने के लिए अड़े हुए थे आज एक साल के बाद समय का चक्र पलटा है।
आदम कद भगवान शंकर की प्रतिमा स्थापित करने के स्थान को अतिक्रमण घोषित किया गया है जिसके चलते भगवान शंकर की प्रतिमा स्थापित स्थान से हटाने के आदेश स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी किए गए हैं जिससे बीजेपी के बागी विधायक अनिल गोटे ने स्थानीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था जिसमें न्यायालय ने मूर्ति को उसी स्थान पर फ़ैसला आने तक रखने के आदेश दिए हैं।
विधायक अनिल गोटे ने मंदिर और भगवान शंकर की प्रतिमा को लेकर स्थानीय भाजपा नेताओं पर जमकर निशाना साधा है और कहा है कि बीजेपी की दोहरी नीति है, अब कहां गए धर्म के ठेकेदार, कल तक तो गोटे की शव यात्रा निकाल रहे थे आज भगवान शंकर की प्रतिमा हटाने पर महिला और अन्य कार्यकर्ताओं के द्वारा निर्धारित आंदोलन करने वाले कहाँ गायब हो गए जो मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से विकास की आड़ में मंदिरों के अतिक्रमण नही हटाने की गुहार लगा रहे थे, आज ख़ामोग क्यों है इस तरह का प्रश्न गोटे ने उपस्थित किया है।