पुणे (तेज समाचार डेस्क). कोरोना काल में इलाज और स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव के चलते कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. ताजा मामला पुणे से सामने आया है. यहां बॉटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के 61 वर्षीय रिटायर्ड वैज्ञानिक की वेंटिलेटर ना मिलने की वजह से मौत हो गई. उनको कोरोना हो गया था. परिवार का कहना है कि वो पूरे शहर के प्राइवेटऔर सरकारी अस्पतालों में उन्हें लेकर गए लेकिन कहीं वेंटिलेटर नहीं मिला और आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया.
– एक साल पहले ही हुए थे सेवानिवृत्त
61 साल के डॉ. लक्ष्मी नरसिम्हन रिटायर वैज्ञानिक थे. एक साल पहले ही वो बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया से रिटायर हुए थे. उनको सांस लेने में तकलीफ के चलते पुणे के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.परिवार के करीबी ने बताया कि मंगलवार शाम को डॉ लक्ष्मी को सांस लेने में तकलीफ हुई जिसके बाद उनकी पत्नी और बेटी उनको लेकर पास के अस्पताल पहंचे. उनको बताया गया कि वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है. इसके बाद परिवार एक-एक कर शहर के कई अस्पतालों में उन्हें लेकर गया लेकिन उनको भर्ती नहीं किया गया.
– ससून में भी नहीं मिला बेड
इसके बाद परिवार ने कांग्रेस नेता रमेश अय्यर और अरविंद शिन्दे से इसको लेकर संपर्क साधा. इसके बाद उनको ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया. यहां भी उनको आईसीयू बेड नहीं मिल सका. बुधवार को दोपहर में आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया. कांग्रेस नेता रमेश अय्यर ने बताया कि डॉ लक्ष्मी की तबीयत की जानकारी उनको मंगलवार को ही मिल गई थी. वो लगातार कोशिश करते रहे कि वेंटिलेटर की सुविधा उनको मिल जाए. कई अस्पतालों में उन्होंने जानकारी ली लेकिन सभी जगह से मायूसी हाथ लगी.
– ऑक्सीजन के सहारे स्थिर रखने की कोशिश नाकाम
ससून अस्पताल के महाप्रबंधक डॉ सुनील राव ने कहा, “हमारे पास कोई बेड नहीं था. हमने अन्य अस्पतालों में भी कोशिश की लेकिन आईसीयू बेड नहीं थे. रोगी को एक आईसीयू वार्ड की जरूरत थी जो हमारे पास नहीं था और इसलिए हमें उसे दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित करना पड़ा. हमने मरीज को बाहर भेजने से पहले उसकी ऑक्सीजन सैचुरेसन में वृद्धि करके उन्हें स्थिर करने की कोशिश की थी.