पुणे (तेज समाचार डेस्क). एल्गार परिषद मामले के सभी 19 संदिग्धों के खिलाफ जल्द ही चार्ज फ्रेम किया जाएगा. इसके बाद इन सभी के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा चलाया जाएगा. इन 19 संदिग्धों में से 9 इस समय न्यायालयीन हिरासत में जेल में हैं. अदालत ने इन सभी की जमानत याचिका पहले ही खारिज कर दी थी. जेल में बंद 9 आरोपियों के अलावा शेष 6 में कुछ आरोपियों को न्यायालय ने गिरफ्तारी पूर्व अंतरिम संरक्षण दिया है, जबकि कुछ अभी भी भूमिगत है. पुलिस उनकी तलाश कर रही है.
ज्ञात हो कि एल्गार परिषद प्रकरण में सुधीर ढवले, सागर उर्फ सूर्या गोरखे, हर्षाली पोतदार, रमेश गाईचोर, दौला कामा डेंगले ऊर्फ दीपक ऊर्फ प्रताप, ज्योति जगताप, रोना विल्सन, एड. सुरेंद्र गडलिंग, शोमा सेन, महेश राऊत, मिलिंद तेलतुंबडे, प्रकाश उर्फ नवीन, मंगलू, दीपू किशन उर्फ प्रशांतो बोसे, अरुण फरेरा, वर्णन गोन्साल्विस, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव शामिल है.
न्यायालय ने आरोपियों को निर्देश जारी किए है कि सभी संदिग्ध पुलिस की ओर से पेश किए गए सबूतों की जांच करने के लिए अपना स्वयं का इलेक्ट्रॉनिक विशेषज्ञ नियुक्त करें. संबंधित विशेषज्ञ को क्लोन कॉपी के संदर्भ में पूरी तरह से जांच करने बाद इसकी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी न्यायालय ने दिए है. इस कारण क्लोन कॉपी को लेकर उपजा विवाद अब समाप्त हो गया है.
जिला सरकारी वकील उज्ज्वला पवार ने विशेष न्यायाधीश एस.आर. नावंदर के कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ किस धारा के अंतर्गत मुकदमा चलाया जाना है, इसकी रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट के आधार पर ही अब मामले की सुनवाई शुरू होगी.
दरम्यान आरोपियों के वकीलों की दलील है कि वरवरा राव और रोना विल्सन के साथ कुछ आरोपियों के विरोध में संदेहास्पद और गैरकानूनी गतिविधियों को लेकर यूएपीए के तहत कोई भी सबूत नहीं है. इस कारण इसका उल्लेख चार्जशीट में नहीं किया गया है. बावजूद इसके सभी आरोपियों के खिलाफ यूएपीए की धाराएं लगाए गई है. आरोपियों ने वकीलों ने इन धाराओं को हटाने की मांग अदालत से की है.