– पर्यटन मंत्री रावल का आश्वासन,
– विरोधियों पर राजनीति का लगाया आरोप
पुणे (तेज समाचार डेस्क). दुर्लिक्षत व लावारिस किलों का जतन तथा विकास करने के लिए राज्य सरकार ने नीति बनाई है. परंतु ये किले शादी या समारोह के लिए नहीं दिए जाएंगे. इसे लेकर विरोधी बेवजह राजनीति कर रहे हैं. उक्त आरोप राज्य के पर्यटन मंत्री जयकुमार रावल ने लगाए.
-किलों की देखभाल के लिए विशेष नीति
राज्य सरकार राज्य के २५ कले निवेशकों को दिए जाएंगे. जहां पर होटल व वेडिंग डेस्टीनेशन शुरू करने की अनुमति देने की खबर जैसे ही फैली सोशल मीडिया पर राज्य सरकार का तीव्र विरोध होने लगा. राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता डा. अमोल कोल्हे व जितेंद्र आव्हाड ने इस निर्णय का विरोध किया. जिसके बाद स्पष्टीकरण के लिए रावल सामने आए. पुण्यात पत्रकार परिषद में उन्होंने बताया कि सत्ता में रहते समय इन विरोधियों ने इन दुर्ग व किलों का संवर्धन नहीं किर पाए. पर आज वे हमारे निर्णय पर राजनीति कर रहे हैं.
– छोटे-बड़े 1000 से अधिक किले
उन्होंने कहा कि राज्य में एक हजार से अधिक छोटे बड़े किले हैं. इसमें केंद्रीय पुरातत्व विभाग व राज्य सरकार पुरातत्व विभाग के पास कुछ किले हैं. इन किलों पर कोई काम नहीं किया जा सकता. वहीं तीसरे प्रकार के किलों को निजी निवेशकों की मदद से विकसित करने का हमारा प्रयास है. पर इसमें ऐतिहासिक दृष्टि से अहम किले इसमें शामिल नहीं हैं. उन्होंने कहा कि राज्य के गांवों में अनेकों छोटे किले, गढ हैं. जो आज दुर्लक्षित व लावारिस पड़ी हुई हैं. इसमें से कुछ किले सांस्कृतिक विभाग व कुछ किले राजस्व विभाग के अधीन हैं. ये किले जर्जर हो चले हैं. इनकी मरम्मत करने व देखभाल करने के लिए राज्य सरकार ने नीति बनाई है. पर इस नीति को अंतिम स्वरूप नहीं दिया गया है. अगले दो महीनों में इसे स्वरूप दिया जाएगा. ’
– संवर्धन करेगी सरकार
उन्होंने कहा कि सत्ताधारी भाजपा- शिवसेना की सरकार ने महाराष्ट्र के अहम किलों के संवर्धन के लिए ६०० करोड़ की निधि मंजूर की है. उसमें से ८० करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. रायगढ़, शिवनेरी आदि किलों पर काम हुआ है.
– खुदाई की मंजूरी नहीं
रावल ने बताया कि सिंधुदुर्ग के निवती, रत्नागिरी जिले के हरणाई व नगर जिले के मांजरसुबा, धुलिया जिले के कुछ किलों का पहले विकास किया जाएगा. निवेशकों को कुछ शर्तों के साथ काम करने की मंजूरी दी जाएगी. पर यहां पर खुदाई की मंजूरी नहीं दी जाएगी.