ऋषिकेश (तेज समाचार डेस्क). प्रदूषित गंगा की सफाई के लिए काफी लंबे समय से आंदोलन आदि होते रहे हैं. राजनीति में भी पक्ष-विपक्ष सदैव ही गंगा की सफाई को मुद्दा बनाते रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश गंगा की सफाई का मुद्दा आज भी ज्यौ का त्यौ है. हालांकि केन्द्र की भाजपा सरकार इस दिशा में काफी तेजी से काम कर रही है, फिर भी अभी तक गंगा प्रदूषित ही है. गंगा की सफाई की मांग को लेकर पर्यावरणविद् जी.डी. अग्रवाल पिछले 111 दिन से अनशन पर बैठे थे.
9 अक्टूबर को उन्होंने अपनी इस मांग को लेकर जल भी त्याग दिया था. गुरुवार को आखिरकार उन्होंने अधूरी मंशा के साथ ही अपने प्राण त्याग दिए. वे 86 साल के थे. तबीयत बिगड़ने पर सरकार ने ही उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया था. उन्हें स्वामी सानंद के नाम से भी जाना जाता था. वे गंगा की अविरलता बनाए रखने के लिए विशेष कानून बनाने की मांग कर रहे थे.
– पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख भी थे अग्रवाल
जीडी अग्रवाल आईआईटी कानपुर में सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख थे. उन्होंने राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण का काम किया. इसके अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पहले सचिव भी रहे.
– 2008 में पहली बार की थी हड़ताल
गंगा समेत अन्य नदियों की सफाई को लेकर जीडी अग्रवाल ने पहली बार 2008 में हड़ताल की थी. मांगें पूरी कराने के लिए उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों को अपना जीवन समाप्त करने की धमकी भी दी. वे तब तक डटे रहे, जब तक सरकार नदी के प्रवाह पर जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण को रद्द करने पर सहमत न हुई.
– 2010 में जयराम नरेश ने मानी थीं मांगें
जुलाई 2010 में तत्कालीन पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री जयराम रमेश ने व्यक्तिगत रूप से उनके साथ बातचीत में सरकार के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. साथ ही, गंगा की महत्वपूर्ण सहायक नदी भागीरथी में बांध नहीं बनाने पर सहमति भी जताई.
– 2012 में पहली बार शुरू किया आमरण अनशन
अग्रवाल 2012 में पहली बार आमरण अनशन पर बैठे थे. इस दौरान राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण को निराधार कहते हुए उन्होंने इसकी सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया. साथ ही, अन्य सदस्यों को भी यही करने के लिए प्रेरित किया. पर्यावरण के क्षेत्र में उनकी प्रतिष्ठा को देखते हुए उनके हर उपवास को गंभीरता से लिया गया.
– नरेन्द्र मोदी से उम्मीद थी
2014 में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा की स्वच्छता के लिए प्रतिबद्धता दिखाई थी. इसके बाद जीडी अग्रवाल ने आमरण अनशन खत्म कर दिया था. हालांकि, सरकार बनने के बाद से अब तक ‘नमामि गंगे’ परियोजना का सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया. ऐसे में अग्रवाल ने 22 जून, 2018 को हरिद्वार के जगजीतपुर स्थित मातृसदन आश्रम में दोबारा अनशन शुरू कर दिया.
– अनशन से उठा ले गई थी पुलिस
10 जुलाई, 2018 को पुलिस ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे जीडी अग्रवाल को जबरन उठा लिया और एक अज्ञात स्थान पर ले गए. अग्रवाल ने इसके खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 12 जुलाई, 2018 को उत्तराखंड के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि जीडी अग्रवाल से अगले 12 घंटे में बैठक करके उचित हल निकाला जाए. इसके बावजूद कुछ भी सार्थक परिणाम नहीं निकला.
– 9 अक्टूबर को जल त्याग दिया
सरकार ने वयोवृद्ध पर्यावरणविद को ऋषिकेष स्थित एम्स में हिरासत में ले लिया. यहां चिकित्सकों के जबरदस्ती करने पर भी उन्होंने भोजन नहीं किया. 9 अक्टूबर से जल भी त्याग दिया था. इस दौरान सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने उनसे अनशन खत्म करने का आग्रह किया, जिसे स्वामी सानंद ने अस्वीकार कर दिया था.