नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क):भारत का अंतरराष्ट्रीय कद अब धीरे-धीरे अपना प्रभाव बढ़ाने लगा है। कभी जो संगठन खुलेआम भारतीय संस्कृति का उपहास उड़ाकर साफ बच निकलती थी, अब उन्हीं संगठनों पर अन्य देश खुलेआम कार्रवाई को विवश हो रहे हैं। हाल ही में जर्मनी ने एक ऐसे संगठन को प्रतिबंधित किया है, जिसने खुलेआम दिल्ली में हिन्दू विरोधी दंगों को भड़काने वालों को बढ़ावा दिया है।जर्मनी के डुसेलडॉर्फ में स्थित अंसार इंटरनेशनल को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया गया है। जर्मनी के गृह मंत्री हॉर्स्ट सीहॉफर ने स्पष्ट बताया कि कैसे इस इस्लामवादी संगठन ने डोनेशन के नाम पर दुनिया भर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया गया है, जिसके लिए उसने जर्मनी को अपना अड्डा बनाया है।तो इसका भारत से क्या संबंध है? दरअसल अंसार इंटरनेशनल पर सीरिया समेत कई देशों के इस्लामवादी, विशेषकर आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता पहुंचाने का आरोप है।
दिल्ली में भड़के दंगों के लिए भी इस संगठन ने वित्तीय सहायता इकट्ठा की थी, लेकिन वह सारी सहायता केवल और केवल मुसलमानों के लिए थी, विशेषकर उन लोगों के लिए, जो कहीं न कहीं इन दंगों से जुड़े हुए थे। जर्मनी पिछले कुछ महीनों से अपनी सरजमीं को आतंक के प्रयोगशाला में स्वीडन की भांति परिवर्तित नहीं होने देना चाहता है, इसलिए अंसार इंटरनेशनल के विरुद्ध इस प्रकार से कार्रवाई की गई है।दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों को कौन भूल सकता है? जिस दिन अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का आवभगत कर रहे थे, उसी दिन कुछ कट्टरपंथी डोनाल्ड ट्रम्प का ध्यान आकर्षित करने के लिए दिल्ली में उपद्रव मचा रहे थे। जब स्थानीय प्रशासन ने रोकने का प्रयास किया, तो इन कट्टरपंथियों ने पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे भड़का दिए, जिसमें 50 से भी ज्यादा निर्दोष व्यक्ति मारे गए और 250 से अधिक लोग घायल हुए, जिसमें सुरक्षाकर्मी भी शामिल थे, जिनपर कट्टरपंथी तत्वों ने तेजाब और बंदूकों से भी हमला किया था। फिलहाल, इन हमलों के आरोप में आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और वामपंथी छात्रनेता उमर खालिद समेत कई कट्टरपंथियों को इन दंगों को भड़काने के आरोप में हिरासत में लिया गया है और UAPA के अंतर्गत कार्रवाई चल रही है।
ऐसे में अंसार इंटरनेशनल पर जर्मनी की कार्रवाई को हम क्या समझे? यह एक तरह से भारत के लिए किसी कूटनीतिक विजय से कम नहीं है। एक समय होता था जब भारत के विरुद्ध कोई भी कभी भी विष उगलता था और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर लोग साफ बचके निकाल जाते थे, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नया भारत कूटनीतिक रूप से बेहद सशक्त है, जिसके समक्ष चीन और अमेरिका जैसे ताकतवर देश तक नहीं टिक पाते, कट्टरपंथी संगठन तो दूर की कौड़ी ठहरी। हाल ही में अमेरिका ने वैक्सीन उत्पादन में सहायता के नाम पर दादागिरी दिखाने का प्रयास किया था, लेकिन भारत के बदले स्वरूप के कारण वर्तमान प्रशासन को मुंह की खानी पड़ी।ऐसे में जिस प्रकार से जर्मनी को एक हिन्दू विरोधी संगठन के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए बाध्य होना पड़ा है, वो अपने आप में भारत के बढ़ते कूटनीतिक कद का प्रमाण है। हम आशा करते हैं कि भारत विरोधी, विशेषकर हिन्दू विरोधी संगठनों के विरुद्ध अन्य देश ऐसे ही सहयोग करें।