नई दिल्ली ( तेजसमाचार प्रतिनिधि ) – भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विचारक गोविंदाचार्य ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर एनपीआर पर सुझाव दिया है. उन्होंने कहा है कि पूर्व के राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में दर्ज सूचनाओं के नवीनतम आधार डेटा के साथ एकीकरण से अपडेटेड एनपीआर को बनाने में मदद मिल सकती है.
गोविंदाचार्य ने सरकार को प्रस्ताव दिया है कि वह मौजूदा आईडी जैसे आधार, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट व वोटर आईडी का एनपीआर व एनआरसी के लिए इस्तेमाल करे, जिससे सरकारी खजाने पर बोझ नहीं पड़ेगा और मात्र पांच प्रतिशत आबादी के सत्यापन की जरूरत पड़ेगी.
इस पत्र को कैबिनेट सचिव राजीव गौबा व गृह सचिव अजय कुमार भल्ला भेजा गया है. गोविंदाचार्य ने यह भी कहा कि इसमें सभी जरूरी विवरण होंगे, जो जनसंख्या मैपिंग के लिए जरूरी हैं.
उन्होंने उल्लेख किया कि पहला एनपीआर 2010-11 में यूपीए सरकार द्वारा किया गया था और इसे 2015 में एनडीए सरकार द्वारा अपडेट किया गया था.
गोविंदाचार्य ने कहा है कि “संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के आधार के विजन के साथ एनपीआर के कार्यान्वयन की जरूरत भाजपा सरकार को है.”
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने आधार की पहुंच और दायरे का विस्तार किया और यूआईडीएआई के आंकड़ों के अनुसार, यह भारत के करीब 125 करोड़ व्यक्तियों को कवर करता है. सरकार ने सभी व्यक्तियों को आधार संख्या प्रदान करने के लिए एक सचेत निर्णय लिया है और इसीलिए इसे भारत में नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं माना जाता है.
गोविंदाचार्य ने कहा, “आधार का इस्तेमाल भारत में एनपीआर नंबर को सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है.”
रिपोर्ट के अनुसार, एनपीआर में लगभग 115 करोड़ व्यक्ति थे, जिसे अब अपडेट किया जाना है. एनआरसी के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार एनपीआर के माध्यम से अधिक प्रश्नों द्वारा जानकारी को विस्तार देने की योजना बना रही है, जिसे जुलाई 2019 में रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के पत्र द्वारा अधिसूचित किया गया है.