पुणे (तेज समाचार डेस्क). भारत में सिर की मालिश के लिए ‘चम्पी’ शब्द घर-घर में प्रचलित है और पूरी तरह से व्यक्तिगत एवं आराम देने वाली यह प्रक्रिया हमारे देश में कई पीढ़ियों से चली आ रही है.हर व्यक्ति के जीवन में कभी-न-कभी ऐसा अवसर जरूर आया होगा, जब उसके परिवार के किसी बुजुर्ग सदस्य ने उसकी ‘चम्पी’ की होगी और निश्चित तौर पर उसे आराम मिला होगा. वर्तमान में कोविड-19 के बड़े पैमाने पर प्रसार की वजह से हम सभी को अपने जीने के तरीके में बदलाव लाना पड़ा है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ था. आज हम में से ज्यादातर लोग अपने-अपने घरों से काम कर रहे हैं, और ऐसी स्थिति में यह बताने की जरूरत नहीं है कि इस दौरान हम सभी के लिए अपनी देखभाल पर थोड़ा-बहुत ध्यान देना बेहद आवश्यक है। नियमित रूप से तेल की मालिश करने से सिर की त्वचा, यानी स्कैल्प सेहतमंद होती है, बालों को पोषण मिलता है तथा रूखे एवं क्षतिग्रस्त बालों को बेहतर बनाने में मदद मिलती है.सदियों पुरानी एवं बेहद लाभदायक ‘चम्पी’ की प्रक्रिया न केवल बेहद आरामदायक गतिविधि है, जो खून के प्रवाह को बेहतर बनाने के साथ-साथ मानसिक शांति देती है, बल्कि यह अपने प्रियजनों के साथ अपने बंधन को अटूट बनाने का एक ख़ास तरीका भी है. इस लॉकडाउन के दौरान, रोज़मर्रा के जीवन में बालों की देखभाल के लिए कई भारतीय परिवारों में ‘चम्पी’ की वापसी हुई है.